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बिहार चुनाव का बहिष्कार करेंगे तेजस्वी? BJP पर हुए हमलावर, कहां- "वोटर गायब कर रही सरकार"
Tejashwi Yadav boycott Bihar Election: तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की दी धमकी, बीजेपी और चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप।
Tejashwi Yadav boycott Bihar Election: जब सभी पार्टियां बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर ज़ोर-शोर से तैयारियों में जुटी थीं तभी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक ऐसा बयान दे दिया जिसने पूरी राजनीतिक जमीन हिला दी। तेजस्वी ने सीधे चुनाव आयोग और बीजेपी पर मिलकर लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश का आरोप लगाते हुए ये तक कह दिया कि "अगर सब कुछ तय करके चुनाव कराना है तो फिर चुनाव का क्या मतलब है? बॉयकॉट पर भी बात हो सकती है।" तेजस्वी के इस बयान ने ना सिर्फ विपक्ष में हलचल पैदा कर दी बल्कि सत्तापक्ष भी सकते में आ गया है। क्या वाकई बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार होने वाला है? और अगर ऐसा हुआ तो इसका असर सिर्फ बिहार ही नहीं देशभर की राजनीति में गूंजेगा।
चुनाव आयोग पर सीधा हमला साजिश का खुला आरोप
तेजस्वी यादव का आरोप है कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) एक पूर्व-नियोजित स्क्रिप्ट के तहत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत है। चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर वोटरों की सफाई कर रहा है। तेजस्वी ने कहा कि ये सिर्फ नाम काटने की बात नहीं है ये पूरी तरह से लोकतंत्र पर हमला है। जब 70 फर्जी वोटर एक ही बीजेपी नेता के पते पर बना दिए जाते हैं तो यह चुनाव नहीं एक राजनीतिक मज़ाक बनकर रह जाता है।
"अब सरकार वोटर चुन रही है न कि वोटर सरकार"
तेजस्वी का सबसे बड़ा हमला यही था। उन्होंने कहा कि पहले जनता सरकार चुनती थी लेकिन अब सरकार वोटर चुन रही है। उन्होंने पूछा कि जब सब तय है कि कौन जीतेगा किसे कितने वोट मिलने हैंतो फिर चुनाव का दिखावा क्यों? ऐसे में वो चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर सकते हैं लेकिन इसका फैसला जनता से बात करके लेंगे। उनका कहना है कि “यह लोकतंत्र को बचाने की आखिरी लड़ाई है” और अगर आज विरोध नहीं किया गया तो कल देश में राजशाही आ जाएगी।
सदन में क्यों नहीं होने दी गई चर्चा?
तेजस्वी यादव ने नाराजगी जताई कि विधानसभा में SIR मुद्दे पर चर्चा शुरू होने ही वाली थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अचानक व्यवधान डाल दिया और उनके मंत्री बीच में बोल-बोलकर चर्चा रोकते रहे। तेजस्वी ने कहा कि सरकार चाहती ही नहीं कि SIR पर सवाल उठाए जाएं क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है और यहां अगर लोकतंत्र को ही कुचला गया तो ये पूरे देश के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा।
अदालत की शरण में क्यों जाना पड़ा?
तेजस्वी ने यह भी बताया कि उन्होंने चुनाव आयोग से बार-बार मांग की कि SIR प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए। लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला और प्रेस कॉन्फ्रेंस तक नहीं हुई तब मजबूर होकर अदालत का सहारा लेना पड़ा। तेजस्वी का कहना है कि सिर्फ कागजों में 98% काम पूरा दिखाया गया है जबकि जमीन पर हकीकत बिल्कुल अलग है। लोगों के नाम लिस्ट से गायब हैं और गाइडलाइंस का पालन तक नहीं हुआ।
“हम वोटर को नहीं बचा सके तो क्या नेता हैं हम?”
तेजस्वी ने भावुक होकर कहा कि अगर वो अपने वोटरों के अधिकार की रक्षा नहीं कर सकते तो उन्हें नेता कहलाने का कोई हक नहीं है। उन्होंने कहा कि सिर्फ वोट का अधिकार नहीं छीना जा रहा है बल्कि आदमी का अस्तित्व छीना जा रहा है। उनका कहना है कि जब नागरिक को वोट देने का हक नहीं रहेगा तो वो इस देश में कागज़ी नागरिक बनकर रह जाएगा। उसकी संपत्ति अधिकारसब कुछ एक दिन कब्जा कर लिया जाएगा।
महागठबंधन तैयार लेकिन लोकतंत्र की कीमत पर नहीं
तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा तय हो चुका है जल्द ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया जाएगा। लेकिन उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि अगर वोटरों के साथ न्याय नहीं हुआ तो सिर्फ सीटों का बंटवारा ही नहीं पूरे चुनाव की बुनियाद ही सवालों के घेरे में होगी। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई सिर्फ सत्ता पाने की नहीं लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है।
नीतीश का आखिरी चुनाव?
तेजस्वी यादव ने एक और बड़ा संकेत दियाउन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव हो सकता है। अब जेडीयू को कौन बचाएगा ये तो वही लोग बताएंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ रहते-रहते नीतीश कुमार ने अपनी पहचान ही मिटा दी है और आने वाला वक्त जेडीयू के लिए अस्तित्व का संकट ला सकता है।
क्या होगा बिहार का लोकतांत्रिक भविष्य?
अब सबसे बड़ा सवाल यही हैक्या तेजस्वी यादव वाकई चुनाव का बहिष्कार करेंगे? क्या जनता उनकी इस अपील पर सड़कों पर उतरेगी? क्या चुनाव आयोग अपनी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता साबित कर पाएगा? या फिर बिहार चुनाव 2025 इतिहास में लोकतंत्र पर सबसे बड़ा सवाल बनकर दर्ज होगा? “अगर वोटर नहीं तो नेता नहीं अगर लोकतंत्र नहीं तो चुनाव नहीं।” तेजस्वी की यह चेतावनी सत्ता की नींव हिला सकती है।
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