चिराग बने NDA की 'किंगमेकर'! 29 सीटें देने पर BJP मजबूर, पासवान का बढ़ता कद बना नीतीश का सरदर्द

चिराग पासवान बने एनडीए के किंगमेकर! उन्हें मिली 29 सीटों ने बढ़ाया राजनीतिक कद, बीजेपी और जेडीयू की रणनीति पर पड़ा असर, समझिए बिहार चुनाव 2025 में इसका महत्व।

Harsh Srivastava
Published on: 13 Oct 2025 2:57 PM IST
चिराग बने NDA की किंगमेकर! 29 सीटें देने पर BJP मजबूर, पासवान का बढ़ता कद बना नीतीश का सरदर्द
X

Chirag Paswan becomes NDA kingmaker: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों का बंटवारा आखिरकार हो गया है, लेकिन इस बंटवारे में सबसे बड़ी जीत लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की हुई है। चिराग को मन के मुताबिक 29 सीटें मिली हैं, जिसने बिहार की राजनीति में उनका कद 'किंगमेकर' के तौर पर स्थापित कर दिया है। जहाँ बीजेपी और जेडीयू दोनों 101-101 सीटों पर बराबरी से चुनाव लड़ने को राजी हुए हैं, वहीं चिराग के लिए इतनी बड़ी संख्या में सीटें छोड़ना बीजेपी और जेडीयू दोनों की सियासी मजबूरी बन गया है।

मन मुताबिक सीटें मिलीं, पर असली इम्तिहान बाकी

चिराग पासवान की पार्टी लगातार 30 से 35 सीटों की मांग कर रही थी, और 29 सीटें मिलना इस बात का संकेत है कि बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने उनकी दावेदारी को पूरा महत्व दिया है। चिराग पासवान का एनडीए में बढ़ता क़द अब किसी से छिपा नहीं है। सवाल यह है कि चिराग पासवान में ऐसी क्या ख़ास बात है कि बीजेपी और जेडीयू दोनों अपनी सीटों का नुक़सान उठाकर भी उन्हें ज़्यादा महत्व देने को तैयार हुए हैं। सीटों की संख्या तो तय हो गई, लेकिन असली मामला अब उन पसंदीदा सीटों पर फंसा है, जिन पर चिराग चुनाव लड़ना चाहते हैं। चिराग पासवान ने जिन 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है, उनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर जेडीयू, बीजेपी और यहाँ तक कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) का भी कब्ज़ा है। बीजेपी और जेडीयू के लिए अपनी जीती हुई सीटें एलजेपी के लिए छोड़ना आसान नहीं होगा। माना जा रहा है कि एलजेपी की दावे वाली चार सीटों पर बीजेपी का कब्ज़ा है, तो तीन सीटों पर जेडीयू के विधायक हैं। इसके अलावा, एक सीट पर जीतनराम मांझी की पार्टी का कब्ज़ा है।

दलित वोट बैंक और 'किंगमेकर' की ताकत

चिराग पासवान को मिली यह अहमियत उनके सियासी जनाधार और दलित वोट बैंक पर उनकी मजबूत पकड़ का नतीजा है। चिराग पासवान अपने पिता और बिहार के दिग्गज दलित नेता राम विलास पासवान की सियासी विरासत को संभाल रहे हैं। दलितों में ख़ासकर दुसाध समुदाय में उनकी गहरी पैठ है, जो राज्य में एक बड़ा जनसमूह है। एनडीए के लिए इस वोट बैंक का साथ जीत में बड़ी भूमिका निभा सकता है, खासकर तब, जब बीजेपी को सवर्ण और शहरी वोटरों का समर्थन मिलता है, और जेडीयू को कुर्मी व पिछड़े वर्ग का। चिराग की पार्टी दलित समुदाय को जोड़कर गठबंधन की सामाजिक पकड़ और मज़बूत करती है।

2020 का 'झटका' बना 2025 की ताकत

चिराग पासवान की आज की अहमियत के पीछे 2020 विधानसभा चुनाव की बगावत एक बड़ी वजह है। 2020 में चिराग पासवान की पार्टी एनडीए से बाहर रहकर 135 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ़ 1 सीट जीत पाई थी। चिराग पासवान भले ही सीटें जीतने में सफल नहीं रहे, लेकिन एनडीए से बाहर जाकर लड़ने पर नीतीश कुमार की पार्टी को गहरा झटका दिया था, जिससे जेडीयू 115 से 43 पर सिमट गई थी। इस अप्रत्यक्ष मदद से एनडीए में पहली बार बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इस बार, 2025 के चुनाव में, चिराग की पार्टी एनडीए के साथ ही लड़ रही है, जिससे गठबंधन को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है।

2024 के प्रदर्शन ने बढ़ाई अहमियत

चिराग की अहमियत बढ़ने का सबसे ताजा प्रमाण 2024 के लोकसभा चुनाव हैं। लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था। वह पाँच सीटों पर चुनाव लड़े थे और सभी पाँचों पर जीत दर्ज किए थे। इस नतीजे ने बीजेपी और जेडीयू दोनों को यह समझा दिया कि चिराग पासवान अब केवल सहयोगी दल के नेता नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक बड़ी ताक़त बन चुके हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सियासी महत्वाकांक्षा और भविष्य की रोशनी

चिराग पासवान की सियासी महत्वाकांक्षा अब सिर्फ़ कुछ सीटें जीतने तक सीमित नहीं है। वह ख़ुद को बिहार की अगली पीढ़ी के नेताओं में स्थापित करना चाहते हैं और किंगमेकर बनने का सपना लेकर चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। वह बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताते हैं, जिससे बीजेपी के साथ उनका रिश्ता और मज़बूत हुआ है। इस बार के सीट बंटवारे ने यह साफ़ कर दिया है कि एनडीए की रणनीति में चिराग पासवान अब छोटे सहयोगी नहीं, बल्कि मुख्य चेहरा बन गए हैं। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या चिराग को मनमर्ज़ी वाली सीटें भी मिलेंगी, और चिराग की पार्टी की मज़बूती आने वाले चुनावों में एनडीए के लिए कितनी रोशनी साबित होती है या फिर अपनी सियासी उम्मीदों को उजाला करती है।

1 / 3
Your Score0/ 3
Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

Mail ID - [email protected]

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!