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Bihar में सियासी विस्फोट तय! नीतीश को हटाकर खुद सीएम बनेंगे चिराग? NDA में खौलने लगी बगावत की आग

Bihar Politics Chirag Paswan: एनडीए में शामिल होकर लोकसभा में केंद्र सरकार में मंत्री बने चिराग अब ऐसा दांव खेलने जा रहे हैं, जिसने सीधे नीतीश कुमार और जेडीयू खेमे में घबराहट पैदा कर दी है।

Harsh Srivastava
Published on: 23 Jun 2025 8:45 PM IST
Bihar में सियासी विस्फोट तय! नीतीश को हटाकर खुद सीएम बनेंगे चिराग? NDA में खौलने लगी बगावत की आग
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Bihar Politics Chirag Paswan: बिहार की राजनीति में फिर से उबाल आ गया है। एक बार फिर वही चेहरा, वही नाम और वही रणनीति चर्चा में है – चिराग पासवान। एनडीए में शामिल होकर लोकसभा में केंद्र सरकार में मंत्री बने चिराग अब ऐसा दांव खेलने जा रहे हैं, जिसने सीधे नीतीश कुमार और जेडीयू खेमे में घबराहट पैदा कर दी है। सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान NDA में रहकर ही NDA के भीतर बगावत की जमीन तैयार कर रहे हैं? क्या चिराग पासवान इस बार मुख्यमंत्री बनने की हसरत लेकर चुनावी मैदान में उतरेंगे? और अगर ऐसा हुआ तो बिहार की राजनीति में ऐसा विस्फोट होगा जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी।

दरअसल मामला चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चाओं से शुरू हुआ है। जेडीयू को यह खबर हजम नहीं हो रही कि आखिर चिराग क्यों विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं जबकि वह केंद्र सरकार में मंत्री हैं। जेडीयू नेताओं के बीच यह बात तेजी से घूम रही है कि अगर चिराग विधानसभा का चुनाव लड़ते हैं तो इसकी असली वजह क्या है? क्या ये सीटों के बंटवारे में ज्यादा हिस्सेदारी का दबाव है या बिहार की गद्दी पर नजर?

बिहार एनडीए पहले ही साफ कर चुका है कि 2025 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। नीतीश कुमार को बिहार में NDA का चेहरा घोषित किया जा चुका है। ऐसे में अगर चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो इससे संदेश जाएगा कि वे खुद को भविष्य का मुख्यमंत्री मानते हैं। जेडीयू के लिए यही बात सबसे ज्यादा परेशान करने वाली है।

नीतीश के गढ़ में चिराग का शक्ति प्रदर्शन – जेडीयू में बेचैनी चरम पर

बात सिर्फ चुनाव लड़ने की नहीं है, बल्कि चिराग पासवान अब खुलकर नीतीश कुमार के गढ़ में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रहे हैं। 29 जून को राजगीर में चिराग पासवान बहुजन भीम संकल्प समागम के जरिए करीब दो लाख लोगों की भीड़ जुटाने का ऐलान कर चुके हैं। ये वही राजगीर है जो नीतीश कुमार का गृह जिला है। साफ है कि चिराग अब नीतीश के गढ़ में घुसकर अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं।

यह शक्ति प्रदर्शन सिर्फ संयोग नहीं है। बिहार के सियासी जानकार इसे NDA के भीतर एक तरह की खुली चुनौती मान रहे हैं। चिराग का ये इशारा साफ है कि वे अब सिर्फ दिल्ली के मंत्री नहीं, बल्कि बिहार की सत्ता में भी अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं। जेडीयू के लिए यह स्थिति असहज है क्योंकि पार्टी पहले से ही 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग के कारण बुरी तरह चोट खा चुकी है। तब एलजेपी ने NDA में रहते हुए "नीतीश मुक्त बिहार" का नारा दिया था और जेडीयू की दर्जनों सीटें हार गई थीं।

चिराग के पास क्या है प्लान-B?

अब सवाल उठता है कि अगर चिराग पासवान और NDA में टकराव बढ़ता है तो क्या वे पाला बदलेंगे? क्या वे महागठबंधन का रुख कर सकते हैं या किसी तीसरे मोर्चे की तलाश में हैं? फिलहाल महागठबंधन में चिराग के लिए कोई जगह नहीं दिख रही। तेजस्वी यादव पहले से ही महागठबंधन का चेहरा हैं और वे अपने मुख्यमंत्री पद के सपने से किसी को हिस्सेदारी नहीं देने वाले। कांग्रेस और अन्य घटक दल भी चिराग के साथ सहज नहीं होंगे। ऊपर से चिराग को लेकर भी संशय बना रहेगा कि कहीं वे चुनाव के बाद NDA में लौट न जाएं। चिराग के लिए तीसरा विकल्प प्रशांत किशोर के साथ गठबंधन करने का हो सकता है, लेकिन वहां भी नेतृत्व का सवाल उलझा हुआ है। प्रशांत किशोर अपने संगठन जन सुराज के जरिए खुद बिहार में मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में चिराग अगर उनके साथ जाते भी हैं तो सीटों और नेतृत्व को लेकर संघर्ष तय है।

क्या NDA छोड़ना आत्मघाती कदम होगा?

राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस वक्त चिराग के पास सबसे सुरक्षित विकल्प NDA में बने रहना ही है। वजह साफ है – इस बार हालात 2020 जैसे नहीं हैं। तब जेडीयू कमजोर थी, बीजेपी अकेले खेल रही थी, लेकिन अब जेडीयू और बीजेपी में मजबूती से तालमेल है। केंद्र में मोदी सरकार की मजबूती भी जेडीयू को ताकत देती है। अगर चिराग पासवान NDA से अलग होते हैं तो सबसे बड़ा नुकसान उन्हीं को होगा। उन्हें न महागठबंधन में जगह मिलेगी, न तीसरे मोर्चे में विश्वसनीय साथी। सीटें भी सीमित होंगी और सत्ता का सपना अधूरा रह जाएगा। उल्टा बिहार की जनता में संदेश जाएगा कि चिराग फिर से वही पुरानी राजनीति खेल रहे हैं जिससे बिहार में अस्थिरता आई थी।

क्या NDA में ‘नीतीश बनाम चिराग’ का नया अध्याय खुलेगा?

हालांकि यह बात भी उतनी ही सच है कि चिराग पासवान कभी भी अप्रत्याशित चाल चलने के लिए मशहूर रहे हैं। बिहार की राजनीति में जब भी सब कुछ शांत दिखता है, तभी कोई ऐसा दांव चलता है जिससे सत्ता का पूरा समीकरण हिल जाता है। अब निगाहें टिकी हैं 29 जून के राजगीर रैली पर। अगर वहां वाकई भीड़ जुटती है और चिराग कोई बड़ा एलान करते हैं तो समझ लीजिए बिहार में एक और सियासी विस्फोट तय है।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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