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कांग्रेस में भूचाल! बगावत की बजी घंटी, शशि थरूर ने PM मोदी की जमकर तारीफ़, पार्टी में मचा कोहराम
Shashi Tharoor praises Modi: हम बात कर रहे हैं कांग्रेस सांसद शशि थरूर की – और इस बार उन्होंने तारीफ की है, लेकिन किसी सामान्य नेता की नहीं, बल्कि सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की! जी हां, वही मोदी जिन पर कांग्रेस दिन-रात हमले करती है
Shashi tharoor praises modi: देश की राजनीति में एक ऐसा धमाका हुआ है जिसने कांग्रेस पार्टी को अंदर से झकझोर कर रख दिया है। वो शख्स जो अक्सर अपने बेबाक बयानों के लिए चर्चाओं में रहते हैं, इस बार कुछ ऐसा बोल गए हैं जिससे न केवल भारतीय राजनीति गरमा गई है, बल्कि खुद उनकी पार्टी असहज हो उठी है। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस सांसद शशि थरूर की – और इस बार उन्होंने तारीफ की है, लेकिन किसी सामान्य नेता की नहीं, बल्कि सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की! जी हां, वही मोदी जिन पर कांग्रेस दिन-रात हमले करती है, उन्हें तानाशाह बताती है, उनकी विदेश नीति को विफल मानती है — उन्हीं नरेंद्र मोदी को शशि थरूर ने भारत के लिए "प्राइम एसेट" करार दे दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी की ऊर्जा, वैश्विक संवाद की तत्परता और कूटनीतिक सक्रियता ही भारत की सबसे बड़ी ताकत बन चुकी है।
मोदी की तारीफ, कांग्रेस में अफरातफरी
शशि थरूर ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब कांग्रेस मोदी सरकार की विदेश नीति को लेकर सबसे ज्यादा हमलावर है। राहुल गांधी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता बार-बार कहते आ रहे हैं कि मोदी सरकार के फैसलों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग कर दिया है। लेकिन अब थरूर का बयान उनके ही स्टैंड को पूरी तरह उलट रहा है। यह कोई सोशल मीडिया पोस्ट नहीं था जिसे बाद में डिलीट कर दिया जाए, यह एक गंभीर, लंबा और विश्लेषणात्मक लेख था जो देश के प्रमुख अखबार में प्रकाशित हुआ है। उस लेख में थरूर ने पीएम मोदी की "ऊर्जा और इच्छाशक्ति को भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करने वाली ताकत" बताया है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ से मिली प्रेरणा
शशि थरूर ने अपने लेख में हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि इसके बाद भारत ने जिस तरह की कूटनीतिक सक्रियता दिखाई, वह असाधारण थी। उन्होंने लिखा कि अमेरिका, ब्राज़ील, पनामा और कोलंबिया जैसे देशों में भारत का पक्ष जिस संकल्प और स्पष्टता के साथ रखा गया, वह बताता है कि आज का भारत जब एकजुट होता है तो उसकी आवाज वैश्विक स्तर पर गूंजती है। थरूर ने इस कूटनीतिक अभियान में खुद भाग लिया था। वह पांच देशों में गए सात सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने लिखा कि इस अनुभव ने उन्हें यह समझने का मौका दिया कि मोदी जैसे नेता की वैश्विक पहुंच और संवाद की कला भारत के लिए कितनी अहम है।
कांग्रेस के लिए बना गले की हड्डी!
थरूर का ये लेख अब कांग्रेस नेतृत्व के लिए गले की हड्डी बन चुका है। पार्टी अंदरखाने हतप्रभ है कि आखिर थरूर बार-बार पार्टी लाइन से बाहर क्यों जाते हैं? इससे पहले भी वे कई बार मोदी सरकार की कुछ नीतियों की तारीफ कर चुके हैं, लेकिन इस बार बात कुछ ज्यादा ही आगे निकल गई है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी में कई वरिष्ठ नेता इस लेख से नाराज़ हैं और इस पर पार्टी नेतृत्व जल्द ही बैठक कर सकता है। पार्टी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा – “अगर हमारे ही सांसद प्रधानमंत्री को सबसे बड़ा एसेट कहेंगे, तो जनता को हम कैसे समझाएंगे कि हम विपक्ष में क्यों हैं?”
थरूर की रणनीति या नई पार्टी की पिचिंग?
राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा गर्म है कि क्या शशि थरूर अब खुलकर कांग्रेस से दूरी बनाना चाहते हैं? क्या वे किसी नई राजनीतिक पारी की तैयारी में हैं? क्या यह मोदी से नजदीकी बढ़ाने का संकेत है? या फिर वे कांग्रेस के भीतर से ही ‘लिबरल मोदीवाद’ की कोई नई धारा शुरू करना चाहते हैं?थरूर ने खुद अभी इस पर कुछ नहीं कहा, लेकिन उनका ट्रैक रिकॉर्ड यह दिखाता है कि वे विचारधारा से ज्यादा पॉलिसी और पर्सनैलिटी पर यकीन करते हैं। और फिलहाल उन्हें मोदी की पर्सनैलिटी और पॉलिसी दोनों में भारत की वैश्विक पहचान दिख रही है।
क्या कांग्रेस फूट के कगार पर है?
थरूर के बयान से कांग्रेस के भीतर जो अंतर्विरोध खुलकर सामने आया है, उसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है — क्या कांग्रेस अपने नेताओं को थाम पाएगी? या एक-एक कर सब छिटकते चले जाएंगे? क्या यह सिर्फ थरूर तक सीमित रहेगा, या आने वाले दिनों में और भी नेता मोदी की वैश्विक छवि की खुलकर तारीफ करने लगेंगे? राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता, लेकिन जब विपक्ष का चेहरा सत्ता की तारीफ करे – और वो भी खुलेआम – तो यह सिर्फ बयान नहीं, भविष्य का संकेत होता है।
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