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NDA की PC में नीतीश,नड्डा समेत दिग्गज नेताओं ने क्यों साधी चुप्पी, सिर्फ़ 26 सेकंड में किया संकल्प पत्र का विमोचन
बिहार चुनाव 2025 में एनडीए के 'संकल्प पत्र' के विमोचन पर बवाल मच गया। नीतीश कुमार, जेपी नड्डा और अन्य दिग्गज नेताओं की चुप्पी ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। विपक्ष ने इसे एनडीए की अंदरूनी कमजोरी बताया।
NDA Sankalp Patra Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का रण अब पूरी तरह से गर्मा चुका है। शुक्रवार को पटना के होटल मौर्या में एनडीए (NDA) के साझा 'संकल्प पत्र 2025' को जारी करने के लिए एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस (PC) बुलाई गई, लेकिन इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जो हुआ, उसने सियासी गलियारों में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा समेत गठबंधन के सभी शीर्ष नेता मंच पर तो आए, मगर कुछ ही मिनटों में बिना किसी संबोधन के वहां से निकल गए। इस 'खामोश' लॉन्चिंग ने विरोधी दलों को एनडीए पर हमला बोलने का एक बड़ा मौका दे दिया है।
खामोश दिग्गज: सिर्फ़ 26 सेकंड में संकल्प पत्र का विमोचन
पटना में सुबह ठीक 10 बजे शुरू हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनडीए के सभी बड़े चेहरे एक साथ आए। नेताओं ने साझा रूप से संकल्प पत्र जारी किया, फोटो खिंचवाई और मिनटों में ही बाहर निकल गए। किसी भी बड़े नेता ने जनता के सामने या मीडिया के सवालों का जवाब देने के लिए माइक नहीं थामा। बाद में, उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को अकेले मीडिया के सामने आना पड़ा और उन्होंने ही गठबंधन के चुनावी वादों को विस्तार से जनता के सामने रखा। इस घटनाक्रम पर सियासी पारा तुरंत हाई हो गया। विपक्ष ने इस चुप्पी और जल्दबाजी पर तीखे सवाल खड़े किए हैं, जो सीधे तौर पर एनडीए की एकजुटता और आत्मविश्वास पर निशाना साध रहे हैं।
विपक्ष का सनसनीखेज आरोप: "लोकतंत्र के लिए ख़तरा!"
एनडीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस से बिना बोले दिग्गजों के निकलने पर कांग्रेस ने इसे 'लोकतंत्र के लिए खतरनाक' बताया है। बिहार चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने पटना में सीधे तौर पर आरोप लगाया कि एनडीए ने "महज 26 सेकंड में अपना घोषणा पत्र जारी किया।" उन्होंने कहा कि एनडीए के नेता मीडिया के सवालों से डरकर और भाग खड़े हुए। गहलोत ने सवाल उठाया कि क्या एनडीए अपने वादों पर खुद ही आश्वस्त नहीं है, जो उनके बड़े नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ भी कहना जरूरी नहीं समझा? यह आरोप एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, जिसे विपक्षी दल अब बिहार की जनता के बीच एक बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं।
एनडीए ने दी सफाई: "चुनावी व्यस्तता के कारण जल्दबाजी"
विपक्षी हमलों के बाद, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने इस जल्दबाजी पर सफाई दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि सभी नेताओं ने एक साथ मिलकर संकल्प पत्र जारी किया है, जो गठबंधन की एकजुटता को दर्शाता है। उन्होंने निकलने की वजह चुनावी व्यस्तता को बताया। कुशवाहा ने कहा, "सभी नेताओं को अलग-अलग जगहों पर प्रचार के लिए तुरंत निकलना था। अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक घंटा समय लगाते तो प्रचार अभियान पर इसका बुरा असर पड़ता।" उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी इस बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी आए, उन्होंने एनडीए का संकल्प पत्र जारी किया। मैं उनका सहयोगी हूं और उनके विजन को ही आगे बढ़ा रहा हूं।" उन्होंने कहा कि नीतीश जी के विजन को जनता तक पहुंचाने के लिए ही उन्होंने बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
देरी से शुरू हुई पीसी, पहले से ही था 'नो-संबोधन' प्लान?
इस पूरे घटनाक्रम में एक और दिलचस्प जानकारी सामने आई है। एनडीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस पहले से तय समय (सुबह 9.30 बजे) से लगभग आधा घंटा देरी से 10 बजे शुरू हुई। सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि यह पहले से ही तय था कि पीसी में कोई बड़ा नेता संबोधन नहीं देगा, सिर्फ सम्राट चौधरी ही संकल्प पत्र की मुख्य बातें मीडिया के सामने रखेंगे। हालांकि, विपक्षी दलों को यह तर्क गले नहीं उतर रहा है और उन्होंने इसे सीट बंटवारे या अंदरूनी तनाव का संकेत बताना शुरू कर दिया है। यह 'खामोश' लॉन्चिंग बिहार चुनाव के सबसे चर्चित मुद्दों में से एक बन चुकी है, जिस पर आने वाले दिनों में और तीखी बयानबाजी देखने को मिल सकती है।
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