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NDA में उम्मीदवारों के ऐलान में देरी से भड़के गिरिराज सिंह, चिराग चिराग-कुशवाहा को बनाया निशाना, 2010 की दिलाई याद
बिहार विधानसभा चुनाव में NDA के उम्मीदवारों के ऐलान में देरी से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह नाराज, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को बनाया निशाना, 2010 के स्ट्राइक रेट का जिक्र कर दी चेतावनी।
Giriraj Singh angry on NDA: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों के बंटवारे का ऐलान तो हो गया, लेकिन सोमवार शाम को होने वाली कैंडिडेट्स के नाम की घोषणा अचानक एक दिन के लिए टाल दी गई। यही नहीं, संयुक्त प्रेस वार्ता की सूचना देने वाला आधिकारिक ट्वीट भी डिलीट कर दिया गया, जिससे राजनीतिक गलियारों में गर्म चर्चा का बाजार तेज हो गया है। इसी बीच, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह का सोशल मीडिया पर एक बवाली पोस्ट आया है, जिसमें उन्होंने 2010 विधानसभा चुनाव के नतीजों की झलक दिखाकर 'स्ट्राइक रेट' की राजनीति करने वालों पर तंज कसा है।
गिरिराज सिंह का 'स्ट्राइक रेट' वाला तीखा तंज
गिरिराज सिंह ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' (X) पर एक लंबा पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका निशाना चिराग पासवान जैसे उन सहयोगियों पर माना जा रहा है, जिन्होंने लोकसभा के स्ट्राइक रेट के आधार पर ज्यादा सीटें हासिल की हैं। गिरिराज सिंह ने लिखा, "ये होता है असली स्ट्राइक रेट। आज मजबूत सीट लेकर स्ट्राइक रेट का झुनझुना बजा रहे है।" उन्होंने 2010 के बिहार चुनाव के आँकड़े पेश किए, जब NDA ने 243 में से 206 सीटें जीतकर इतिहास रचा था।
जेडीयू: 141 में से 115 सीटें जीतीं (स्ट्राइक रेट 81%)।
बीजेपी: 102 में से 91 सीटें जीतीं (स्ट्राइक रेट 89%)।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2010 में विपक्ष 37 सीटों पर सिमट गया था, जिसमें लालू की आरजेडी को 22 और रामविलास पासवान की लोजपा को मात्र 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
क्यों आया यह 'बवाली' पोस्ट?
गिरिराज सिंह का यह पोस्ट इसलिए अहम है, क्योंकि NDA के सीट बंटवारे में चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव के शानदार स्ट्राइक रेट (5 में से 5 सीट) पर बीजेपी को बारगेन किया। 2020 में 135 सीटों पर लड़कर मात्र 1 सीट जीतने वाली लोजपा-आरवी को इस बार 29 सीटें देनी पड़ीं। चिराग पासवान को राजी करने के लिए नित्यानंद राय, धर्मेंद्र प्रधान और अमित शाह को अपनी ऊर्जा खर्च करनी पड़ी। एक बार तो नित्यानंद राय को चिराग के घर से खाली हाथ लौटना पड़ा, क्योंकि चिराग मंत्रालय चले गए थे। चिराग को 29 सीटें देने के लिए, 15 सीट मांगने वाले जीतनराम मांझी को 6 सीट और कम से कम 10 सीट मांगने वाले उपेंद्र कुशवाहा को भी 6 सीटों पर संतोष करना पड़ा। इस फेरबदल के चलते बीजेपी को भी 2020 के 112 के मुकाबले 101 और जेडीयू को 115 के मुकाबले 101 सीटों पर समझौता करना पड़ा।
कैंडिडेट ऐलान टलने से बढ़ी बेचैनी
सीटों के बंटवारे के ऐलान के बाद भी उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई है, जिसके कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस टालनी पड़ी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह देरी गिरिराज सिंह जैसे नेताओं की नाराजगी या फिर सहयोगियों की जीती हुई सीटों पर दावेदारी के कारण हो सकती है। फिलहाल, सभी की निगाहें मंगलवार पर टिकी हैं, जब NDA गठबंधन अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर सकता है।
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