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तेजस्वी ने आनन-फानन में जारी किया वीडियो, SC के सवाल से पसरा सन्नाटा, जनता से की अपील
Tejashwi Yadav video message: बिहार की सियासत में हलचल! तेजस्वी यादव ने अचानक वीडियो जारी कर कार्यकर्ताओं से मतदाता सूची में हटाए गए नाम जुड़वाने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट के सख्त सवाल के बाद आरजेडी नेता का यह कदम बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है।
Tejashwi Yadav video message: बिहार की राजनीति में इन दिनों एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन अब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने अचानक एक वीडियो संदेश जारी कर सबको चौंका दिया है। इस संदेश ने सिर्फ आरजेडी कार्यकर्ताओं में ही नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। इस वीडियो में तेजस्वी ने अपने कार्यकर्ताओं से एक ऐसी अपील की है, जो बिहार की सियासत में एक बड़ा मोड़ ला सकती है। क्या यह सिर्फ एक रूटीन अपील है, या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक चाल छुपी है?
तेजस्वी की 'वीडियो अपील': क्यों और अब क्यों?
तेजस्वी यादव ने अपने वीडियो संदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे मतदाता सूची से हटाए गए नामों को फिर से जुड़वाने में जुट जाएं। यह अपील ऐसे समय में आई है, जब मतदाता सूची के मसौदे पर आपत्ति और दावा दाखिल करने की आखिरी तारीख 1 सितंबर है। तेजस्वी अभी 'वोटर अधिकार यात्रा' पर निकले हुए हैं, जिसमें उनके साथ कांग्रेस के राहुल गांधी, सीपीआई-माले के दीपांकर भट्टाचार्य, और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश सहनी जैसे महागठबंधन के बड़े नेता भी शामिल हैं।
सवाल यह उठता है कि क्या तेजस्वी को अचानक इस वीडियो संदेश को जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी? इसका सीधा संबंध सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले से है। पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हैरानी जताते हुए पूछा था कि जब राजनीतिक दलों के 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) हैं, तो वे अब तक कर क्या रहे हैं? अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इन एजेंटों को मतदाताओं की मदद में आगे आना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद तेजस्वी का यह वीडियो संदेश एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लग रहा है, ताकि वे अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर सकें और यह दिखा सकें कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर गंभीर है।
'अन्याय' का आरोप और 'लोकतंत्र' को बचाने की अपील
तेजस्वी ने अपने वीडियो संदेश में चुनाव आयोग पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग लगातार बेईमानी करने पर उतारू है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे लोकतंत्र और संविधान को बचाने का काम करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी गरीब मतदाता का नाम नहीं छूटना चाहिए।
इस तरह के आरोप लगाना तेजस्वी की पुरानी रणनीति का हिस्सा रहा है। वह अक्सर चुनाव आयोग और सत्ताधारी दल पर मिलीभगत का आरोप लगाते रहते हैं। इस बार भी, उन्होंने मतदाता सूची में 'गड़बड़ियों' को ठीक करवाने की अपील कर अपने कार्यकर्ताओं को एक नया मिशन दिया है।
सुप्रीम कोर्ट से मिली एक 'राहत'
तेजस्वी के आरोपों के बीच, सुप्रीम कोर्ट से विपक्षी दलों को एक छोटी सी राहत मिली है। अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आपत्ति और दावा प्रक्रिया के दौरान उसके द्वारा निर्धारित 11 दस्तावेजों के अलावा आधार कार्ड को भी स्वीकार करे। यह फैसला विपक्षी दलों के लिए एक जीत है, क्योंकि इससे मतदाताओं के लिए अपनी पहचान साबित करना आसान हो जाएगा, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास अन्य दस्तावेज नहीं हैं।
तेजस्वी ने अपने वीडियो में नए मतदाताओं के नाम जोड़ने पर भी जोर दिया, जो दिखाता है कि आरजेडी युवा वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है। यह पूरा मामला बताता है कि कैसे बिहार की राजनीति में छोटी-छोटी बातें भी बड़े सियासी मुद्दों में बदल जाती हैं। अब देखना यह है कि तेजस्वी की यह 'वीडियो अपील' कितनी कारगर साबित होती है और क्या आरजेडी कार्यकर्ता 1 सितंबर तक हटाए गए नामों को फिर से मतदाता सूची में जुड़वा पाते हैं।
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