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Early Retirement Planning: क्या आप पीछे तो नहीं रह गए? अब 35 की उम्र में ही शुरू हो रही रिटायरमेंट प्लानिंग
Early Retirement Planning: आज का युवा अब केवल आज के खर्च नहीं देख रहा, बल्कि वह भविष्य के हर पड़ाव को भी ध्यान में रखकर चल रहा है। पेंशन प्लान अब सिर्फ पेंशन नहीं, एक फाइनेंशियल सुरक्षा कवच बन चुका है।
Early Retirement Planning (Image Credit-Social Media)
Early Retirement Planning: अब रिटायरमेंट का मतलब 60 की उम्र में रुकना नहीं, बल्कि 35 की उम्र में सोचकर तैयारी करना है। पहले जहां रिटायरमेंट की प्लानिंग सिर्फ 50 पार करने के बाद की जाती थी, अब युवा 30 की उम्र में ही इस पर काम शुरू कर रहे हैं। वजह साफ है - महंगाई बढ़ रही है, नौकरी की स्थिरता कम हो रही है और लंबा जीवन अब नई जिम्मेदारियों के साथ आता है।
आज का युवा अब केवल आज के खर्च नहीं देख रहा, बल्कि वह भविष्य के हर पड़ाव को भी ध्यान में रखकर चल रहा है। पेंशन प्लान अब सिर्फ पेंशन नहीं, एक फाइनेंशियल सुरक्षा कवच बन चुका है।
रिटायरमेंट की सोच में बड़ा बदलाव: क्यों अब 30 की उम्र में ही शुरू हो रही है प्लानिंग? :
पुरानी सोच यह थी कि रिटायरमेंट की तैयारी जीवन के अंतिम पड़ाव पर होती है, लेकिन अब यह नजरिया बदल चुका है।
आज का पढ़ा-लिखा, तकनीक से जुड़ा और आर्थिक रूप से जागरूक युवा समझ चुका है कि अगर अब से प्लानिंग शुरू नहीं की, तो बाद में केवल पछतावा हाथ लगेगा।
अब पेंशन प्लान लेने वालों में सबसे बड़ी संख्या 40 वर्ष या उससे कम उम्र के लोगों की है, जो कुल निवेशकों का 59% हिस्सा बनाते हैं।
आंकड़ों से समझिए कैसे बदल रहा है भारत का निवेश व्यवहार :
• 41 से 45 साल के बीच के लगभग 15.6% लोग अब पेंशन योजनाओं में सक्रिय रूप से निवेश कर रहे हैं,
• 46 से 50 वर्ष के आयु वर्ग में यह हिस्सेदारी घटकर 13.2% रह जाती है।
• 50 साल के बाद सिर्फ 11.6% लोग ही पेंशन प्लान ले रहे हैं
यानि अब लोग इंतज़ार नहीं कर रहे - वे समझ रहे हैं कि अगर 30 की उम्र में शुरुआत हो, तो 60 की उम्र में आज़ादी के साथ जिया जा सकता है।
जल्दी रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों बन गई है ज़रूरी? :
1. बढ़ती जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) : अब 75-80 साल की उम्र तक लोग एक्टिव रहते हैं। रिटायरमेंट के बाद 20-25 साल की वित्तीय ज़रूरतें होती हैं।
2. बढ़ती महंगाई: आज की ₹1 लाख की वैल्यू 30 साल बाद शायद ₹30,000 जैसी ही रह जाएगी। ऐसे में अभी से सेविंग और ग्रोथ जरूरी है।
3. सरकारी पेंशन की गैर-मौजूदगी : सरकारी नौकरियों के बाहर आज की पीढ़ी को पेंशन नहीं मिलती। ऐसे में हर व्यक्ति को अपनी खुद की रिटायरमेंट स्ट्रैटजी बनानी होगी।
छोटे शहरों की बड़ी सोच: अब मेट्रो नहीं, टियर-2 सिटीज़ हैं आगे :
रिपोर्ट के अनुसार, 75% से ज़्यादा रिटायरमेंट प्लानिंग पॉलिसी छोटे और मझोले शहरों के लोग खरीद रहे हैं।
पेंशन योजनाओं में मेट्रो शहरों की भागीदारी सिर्फ 24.7% है, जिससे साफ है कि आज फाइनेंशियल प्लानिंग की लहर छोटे शहरों तक भी पहुँच चुकी है।
नया भारत, नई सोच: युवा सोच रहे हैं भविष्य की लंबी रेस :
Policybazaar के CBO विवेक जैन कहते हैं, "अब वह दौर बीत चुका है जब लोग मानते थे कि रिटायरमेंट की योजना 50 की उम्र के बाद ही शुरू करनी चाहिए। आज 60% से अधिक पेंशन योजनाएं 40 वर्ष से कम उम्र के लोग खरीद रहे हैं, और इनमें बड़ी हिस्सेदारी छोटे शहरों के युवाओं की है।"
यानी अब युवा सिर्फ आज की तनख्वाह नहीं देख रहा, बल्कि 60 की उम्र में अपने 'फ्री और फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट' जीवन की नींव रख रहा है।
निष्कर्ष: आप कब शुरू करेंगे? :
रिटायरमेंट प्लानिंग अब "बुजुर्गों का टॉपिक" नहीं रहा - यह हर 30+ भारतीय की ज़िम्मेदारी बन गई है।
जितना जल्दी आप इसकी शुरुआत करेंगे, उतना ही कम निवेश में बेहतर रिटर्न मिलेगा।
सोचिए, अगर आपने अभी से ₹2000/महीना निवेश किया, तो 60 की उम्र तक आपके पास करोड़ों की रकम हो सकती है।
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