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Lucknow News: केंद्र सरकार के आदेशों को धता बता रही यूपी की योगी सरकार - पेंशन देने में कर रही हीलाहवाली, बुजुर्गों की बढ़ी परेशानी

Lucknow News: अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय का आरोप योगी सरकार केंद्रीय दिशानिर्देशों की लगातार अनदेखी कर रही है, जिससे सेवा देने वाले बुजुर्गों को उनके बुढ़ापे में उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 1 July 2025 7:47 AM IST
Lucknow News
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Lucknow News (Social Media image)  

Lucknow News: उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए सैकड़ों वरिष्ठ नागरिक अपनी रुकी हुई पेंशन के कारण गंभीर संकट में हैं, जबकि केंद्र सरकार ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी किए थे। यह आरोप लगाते हुए, अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा है कि योगी सरकार केंद्रीय दिशानिर्देशों की लगातार अनदेखी कर रही है, जिससे सेवा देने वाले बुजुर्गों को उनके बुढ़ापे में उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।

दिसंबर 2023 से बंद हुई पेंशन के कारण कपेश्वर नाथ श्रीवास्तव (76), रविन्द्र कुमार पाण्डेय (67), और श्रीमती रमा शर्मा (86) जैसे वरिष्ठ नागरिक न केवल आर्थिक बल्कि मानसिक रूप से भी परेशान हैं। इन सभी ने बार-बार राज्य सरकार को अपनी व्यथा बताई, परंतु शासन स्तर पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

विजय कुमार पाण्डेय ने मीडिया को बताया कि केंद्र सरकार ने 4 अप्रैल 2024 को केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड को बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन इसके साथ ही सभी राज्यों को यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन व अन्य लाभ निर्बाध रूप से जारी रखे जाएं। कई पत्रों में (जिनमें 28 अप्रैल 2022, 14 जुलाई 2022, 24 मार्च 2023, 30 अप्रैल 2023, 16 अक्टूबर 2023 व 20 मई 2024 की तारीखें शामिल हैं) यह साफ-साफ कहा गया था कि पेंशन का दायित्व अब राज्यों का है। इसके बावजूद, उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है।

रविन्द्र कुमार पाण्डेय, जो स्वयं ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हैं, ने मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में बताया है कि उनकी पत्नी का कैंसर उपचार भी पेंशन बंद होने के कारण रुक गया है। वहीं, श्रीमती रमा शर्मा, जिनके पति ने समाज कल्याण बोर्ड में पूरी सेवा देने के बाद देह त्यागी थी, अब विधवा पेंशन से भी वंचित हैं। कपेश्वर नाथ श्रीवास्तव, जिन्होंने वर्षों तक विभाग में सेवा की, अब इलाज के लिए दूसरों पर निर्भर हैं।

अधिवक्ता पाण्डेय ने इस बात पर भी जोर दिया कि बंद हो चुके राज्य समाज कल्याण बोर्ड के खातों में ₹7.83 करोड़ से अधिक की अवशेष धनराशि उपलब्ध है। उनका कहना है कि यदि इस राशि का उपयोग अस्थायी रूप से ही सही, पेंशन भुगतान में किया जाता, तो इन वरिष्ठ नागरिकों को तत्काल राहत मिल सकती थी। उन्होंने तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड और चंडीगढ़ जैसे राज्यों का उदाहरण दिया, जहाँ बोर्ड के कर्मियों को आज भी पेंशन मिल रही है, जो उत्तर प्रदेश सरकार की कथित लापरवाही को और उजागर करता है।

विजय कुमार पाण्डेय ने प्रेस के माध्यम से यह जानकारी देते हुए कहा कि यह केवल कुछ व्यक्तियों की समस्या नहीं, बल्कि शासन व्यवस्था की संवेदनशीलता और संवैधानिक दायित्वों की परीक्षा है। उन्होंने मांग की है कि सरकार तत्काल पेंशन भुगतान बहाल करे, लंबित बकाया जैसे ग्रेच्युटी एवं अवकाश नकदीकरण का भुगतान करे, और भविष्य के लिए एक सुनिश्चित व्यवस्था बनाए। उनकी चेतावनी है कि सेवा देने वालों को जीवन के इस पड़ाव पर अपमानित किया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन है।

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