TRENDING TAGS :
NDB के उद्देश्य में बदलाव की जरूरत: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान
Statement of Finance Minister Nirmala Sitharaman: NDB को सिर्फ पूंजी का स्रोत नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच बनना चाहिए जो सदस्य देशों के विकासात्मक लक्ष्यों को कुशलता और संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ा सके।
Statement of Finance Minister Nirmala Sitharaman (Image Credit-Social Media)
Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की भूमिका और उद्देश्य को वर्तमान वैश्विक परिवेश के अनुसार पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता जताई है। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक अनिश्चितताओं और तकनीकी बदलावों को देखते हुए अब समय आ गया है कि NDB अपने कामकाज में अधिक लचीलापन, तकनीकी दक्षता और तेज़ निर्णय लेने की क्षमता विकसित करे। ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित एनडीबी गवर्नर्स सेमिनार में उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण (Global South) के लिए सतत विकास को वित्तीय सहायता प्रदान करना मात्र धन इकट्ठा करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण है जो न्याय, भरोसे और नेतृत्व के मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि NDB को सिर्फ पूंजी का स्रोत नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच बनना चाहिए जो सदस्य देशों के विकासात्मक लक्ष्यों को कुशलता और संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ा सके।
वैश्विक दक्षिण की ज़रूरतों के अनुरूप NDB का नया स्वरूप
सीतारमण ने बताया कि न्यू डेवलपमेंट बैंक ने अब तक 100 से अधिक परियोजनाओं को स्वीकृति दी है और कुल 35 अरब डॉलर से अधिक का वित्तपोषण किया है। इन परियोजनाओं में भारत की मेट्रो रेल, नवीकरणीय ऊर्जा और जल प्रबंधन जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि NDB सिर्फ वित्तीय संसाधनों का स्रोत नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जो विकासशील देशों के लिए एक समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक वित्तीय ढांचा बनाने में सहायक बन सकता है।
सीतारमण ने ज़ोर दिया कि वर्तमान समय में बैंक का कार्यदायित्व केवल धनराशि प्रदान करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि यह नीतिगत सहयोग और तकनीकी नवाचार के माध्यम से सदस्य देशों के लिए दीर्घकालिक समाधान पेश करने वाला संस्थान बनना चाहिए।
भारत की नीति-निर्माण की दिशा और वैश्विक नेतृत्व
वित्त मंत्री ने भारत की नीतिगत पहलों का उल्लेख करते हुए बताया कि देश ने आधार, यूपीआई और जन धन जैसी योजनाओं के माध्यम से वित्तीय समावेशन को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि भारत इस समय एक ऐसे मोड़ पर है जहां एक ओर अरबों लोगों की उम्मीदें हैं और दूसरी ओर एक तेजी से बदलता हुआ पर्यावरणीय और वैश्विक परिदृश्य है। इस स्थिति में सही नीति और निर्णायक नेतृत्व ही विकास की गति को तय करेगा।
इसके अलावा उन्होंने "गति शक्ति" राष्ट्रीय मास्टर प्लान, "राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन" और 220 गीगावाट से अधिक की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की स्थापना जैसे प्रयासों का उल्लेख किया, जो भारत को स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं। इन प्रयासों को मजबूत आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास के लक्ष्य से भी जोड़ा गया है।
विकासशील देशों के लिए सतत विकास एक बड़ी चुनौती
सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद विकासशील देशों के सामने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में भारी वित्तीय चुनौतियां आ रही हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 4.2 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महत्वाकांक्षा और वास्तविकता के बीच खाई बढ़ती जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन, राजकोषीय दबाव और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारक लंबे समय तक निवेश को प्रभावित करते हैं और नवीकरणीय ऊर्जा एवं जलवायु-संवेदनशील अवसंरचना में प्रगति को धीमा कर देते हैं। ऐसे समय में, भारत जैसे देशों को नेतृत्व करते हुए वैश्विक दक्षिण के देशों को एक साथ मिलकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge