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सोना एक हफ्ते में 1.5% टूटा: क्या यह खरीदारी का सही समय है?
Gold dropped by 1.5% in a week: जानें सोने की कीमतों में गिरावट का कारण, निवेश का सही समय या रुकें? डॉलर और वैश्विक संकेतों का पूरा विश्लेषण।
Gold dropped by 1.5% in a week
Gold dropped by 1.5% in a week: अगस्त की शुरुआत में गोल्ड की कीमतों ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पिछले एक हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने में करीब 1.5 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, भारत में भी MCX पर गोल्ड फ्यूचर्स दबाव में नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब गोल्ड में निवेश करने का सही समय है? क्या मौजूदा गिरावट को एक अवसर की तरह देखा जाना चाहिए? खासकर तब, जब आर्थिक अनिश्चितता और डॉलर की मजबूती जैसी स्थितियाँ बाजार को प्रभावित कर रही हों, निवेशकों की रणनीति और भी अहम हो जाती है।
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में गोल्ड का हाल :
1 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय बाजार में Spot Gold की कीमत 3,292.18 डॉलर प्रति औंस के आसपास स्थिर रही, जबकि अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स में 0.2 फीसदी की हल्की कमजोरी दर्ज की गई और यह 3,342.10 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सुबह 11:30 बजे तक गोल्ड फ्यूचर्स 0.33 फीसदी यानी 323 रुपये गिरकर 97,764 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था।
डॉलर इंडेक्स की मजबूती इसका एक बड़ा कारण है। दुनिया की प्रमुख करेंसीज़ के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है, जिससे गोल्ड की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर दबाव बन रहा है। दरअसल, डॉलर में मजबूती आने पर अन्य करेंसीज़ में गोल्ड खरीदना महंगा हो जाता है, जिससे उसकी मांग घटती है और कीमतों पर असर पड़ता है।
फेडरल रिजर्व की नीति और गोल्ड पर असर :
अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने हाल ही में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया। बाजार पहले से ही मानकर चल रहा था कि फेड इंटरेस्ट रेट नहीं घटाएगा। लेकिन उसका आक्रामक रुख डॉलर को मजबूती दे रहा है। जब ब्याज दरें ज्यादा होती हैं, तो निवेशक बॉन्ड्स की तरफ आकर्षित होते हैं और गोल्ड की चमक कुछ हद तक कम हो जाती है।
वहीं, Marex के एनालिस्ट एडवार्ड मेर के अनुसार, पिछले दो महीनों से सोने की कीमतें 3,250 से 3,450 डॉलर प्रति औंस के दायरे में बनी हुई हैं और अब ये इस रेंज के निचले स्तर को तोड़ सकती हैं। इसका मतलब है कि गोल्ड अभी और गिर सकता है, लेकिन यही गिरावट निवेशकों के लिए एक बेहतर एंट्री पॉइंट हो सकती है।
और अगर सोने की कीमतों में 5% से ऊपर की गिरावट आती है, तो फाइनेंशियल एडवाइजर्स का मानना है कि यह निवेश के लिए एक अच्छा मौका हो सकता है।
क्या अब गोल्ड में निवेश करना सही रहेगा? :
वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि किसी भी निवेश पोर्टफोलियो में गोल्ड का होना जरूरी है। यह न सिर्फ पोर्टफोलियो को स्थिरता देता है, बल्कि बाजार में गिरावट के समय भी बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी भी निवेश पोर्टफोलियो में गोल्ड की हिस्सेदारी 5% से 10% तक होनी चाहिए।
गोल्ड में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। आप फिजिकल गोल्ड (सोने के गहने, सिक्के आदि) के अलावा गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्यूचुअल फंड्स या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स में भी निवेश कर सकते हैं। SIP के माध्यम से हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश कर लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न पाया जा सकता है।
गोल्ड में निवेश के फायदे :
1. सुरक्षा: जब शेयर बाजार में तेज गिरावट आती है, तो गोल्ड एक सुरक्षित एसेट के रूप में काम करता है। यह आपके पोर्टफोलियो को बैलेंस करता है।
2. मुद्रास्फीति से बचाव: गोल्ड को महंगाई के समय में एक हेजिंग टूल के रूप में भी देखा जाता है, यानी यह आपकी क्रय शक्ति को बचाने में मदद करता है।
3. तरलता: जरूरत पड़ने पर गोल्ड को आसानी से नकद में बदला जा सकता है।
4. लंबी अवधि में रिटर्न: ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि गोल्ड ने लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न दिया है।
डिस्क्लेमर:
यह केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। निवेश से पहले अपनी रिसर्च करें या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।
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