Grey Market Premium (GMP): क्या IPO लिस्टिंग का सटीक संकेतक है या सिर्फ एक अनुमान?

Grey Market Premium (GMP): IPO लॉन्च होते ही निवेशकों की रुचि बढ़ जाती है, लेकिन उससे पहले ही एक अनौपचारिक बाजार हलचल में आ जाता है, जिसे ग्रे मार्केट के नाम से जाना जाता है।

Sonal Girhepunje
Published on: 10 July 2025 8:14 PM IST
Grey Market Premium GMP Is it an accurate indicator of IPO listing or just a guess
X

Grey Market Premium GMP Is it an accurate indicator of IPO listing or just a guess

Grey Market Premium (GMP): IPO लॉन्च होते ही निवेशकों की रुचि बढ़ जाती है, लेकिन उससे पहले ही एक अनौपचारिक बाजार हलचल में आ जाता है, जिसे ग्रे मार्केट के नाम से जाना जाता है। यहां सबसे ज़्यादा चर्चा होती है GMP की - जो दर्शाता है कि निवेशक इश्यू प्राइस से ऊपर कितना देने को तैयार हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी IPO का इश्यू प्राइस ₹100 है और GMP ₹50 है, तो शेयर की संभावित लिस्टिंग कीमत ₹150 मानी जा रही है। क्या यह अंदाजा सटीक होता है या केवल अटकल? चलिए इस पर नज़र डालते हैं।

Grey Market और GMP कैसे काम करते हैं?

Grey Market एक अनौपचारिक ट्रेडिंग स्पेस है, जो IPO के शेयरों के अलॉटमेंट से पहले ही सक्रिय हो जाता है। यहां शेयरों की खरीद-फरोख्त स्टॉक एक्सचेंज के बाहर, निवेशकों और दलालों के बीच सीधे संपर्क के ज़रिए होती है।

इस प्रणाली में दो प्रमुख शब्द देखने को मिलते हैं:

  1. GMP (Grey Market Premium): वह प्रीमियम राशि जो किसी IPO के इश्यू प्राइस से ऊपर निवेशक देने को तैयार होते हैं।
  2. Kostak Rate: वह रकम जो किसी एक IPO एप्लिकेशन के लिए दी जाती है, चाहे उस व्यक्ति को अलॉटमेंट मिले या नहीं।

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कंपनी का इश्यू प्राइस ₹100 है और GMP ₹60 है, तो यह माना जा सकता है कि शेयर की लिस्टिंग कीमत ₹160 के करीब हो सकती है, बशर्ते बाजार की स्थितियां अनुकूल हों।

क्या GMP से लिस्टिंग प्राइस का अंदाजा लगाया जा सकता है?

GMP को आम तौर पर लिस्टिंग प्राइस का पूर्व संकेतक माना जाता है, लेकिन यह हमेशा सटीक नहीं होता। इसकी कुछ मुख्य सीमाएं हैं:

बाजार की स्थितियां: IPO की लिस्टिंग पर सेंसेक्स, निफ्टी और सेक्टोरल ट्रेंड्स का प्रभाव पड़ता है। यदि बाजार कमजोर है, तो GMP वाला प्राइस भी नहीं टिक पाता।

निवेशक भावना: कभी-कभी GMP अधिक होता है, लेकिन अगर कंपनी के फंडामेंटल्स मजबूत नहीं हैं, तो लिस्टिंग कमजोर हो सकती है।

बड़े संस्थागत निवेशकों की भूमिका: QIBs और Anchor Investors का रुझान IPO के प्रदर्शन को काफी हद तक प्रभावित करता है। इनकी भागीदारी अगर कमजोर रही, तो GMP भ्रामक साबित हो सकता है।

कई बार ऐसा होता है कि GMP बहुत आकर्षक होता है, लेकिन लिस्टिंग दिन पर शेयर उम्मीद से नीचे खुलता है। वहीं कुछ IPO में GMP बहुत कम होने के बावजूद शानदार लिस्टिंग देखने को मिलती है। इसका मतलब ये है कि GMP एक ट्रेंड दिखाता है, लेकिन उस पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता।

निवेशक क्या करें? GMP को कैसे लें?

GMP को एक संकेतक की तरह देखना चाहिए, लेकिन यह किसी भी निवेश निर्णय का एकमात्र आधार नहीं होना चाहिए। IPO में निवेश करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें:

कंपनी के वित्तीय आंकड़े और उसका भविष्य का प्लान

उस सेक्टर की स्थिति जिसमें कंपनी काम कर रही है

बड़े निवेशकों जैसे QIBs और Anchor Investors की भागीदारी

कंपनी का मैनेजमेंट और उसका रिकॉर्ड

इन सब बातों के आधार पर ही निवेश का निर्णय लेना बुद्धिमानी होती है।

निष्कर्ष: GMP है एक अनुमान, अंतिम फैसला नहीं

Grey Market Premium निवेशकों को IPO के संभावित लिस्टिंग मूल्य का एक अनुमान जरूर देता है, लेकिन इसे किसी भी तरह की निश्चित भविष्यवाणी नहीं माना जा सकता। यह एक अनौपचारिक और असंगठित संकेत मात्र है, जो वास्तविक मूल्य निर्धारण का आधिकारिक तरीका नहीं है। इसलिए, GMP को केवल एक संकेतक की तरह समझना चाहिए और निवेश का निर्णय सोच-समझकर, संपूर्ण विश्लेषण के आधार पर ही लेना चाहिए।

IPO में निवेश के लिए सही रणनीति है - गहराई से रिसर्च करें, ठंडे दिमाग से सोचें और बाजार की चाल समझकर ही अगला कदम बढ़ाएं।

1 / 6
Your Score0/ 6
Admin 2

Admin 2

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!