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Pre-IPO Investment in NSE: क्या NSE के अनलिस्टेड शेयर में प्री-IPO निवेश करना समझदारी है?

Pre-IPO Investment in NSE: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। जब ऐसी मजबूत संस्था का आईपीओ आने वाला हो, तो निवेशकों में उत्साह और उम्मीदें दोनों बढ़ जाती हैं।

Sonal Girhepunje
Published on: 2 July 2025 2:09 PM IST
Pre-IPO Investment in NSE Check Full Report
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Pre-IPO Investment in NSE Check Full Report

Pre-IPO Investment in NSE: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। जब ऐसी मजबूत संस्था का आईपीओ आने वाला हो, तो निवेशकों में उत्साह और उम्मीदें दोनों बढ़ जाती हैं। लेकिन एक बड़ा सवाल यह है – क्या हमें NSE के शेयर प्री-IPO में खरीदने चाहिए या इंतजार करना चाहिए कि यह शेयर लिस्टिंग पर सस्ते दाम पर मिले, जैसा कि HDB फाइनेंशियल के साथ हुआ?

NSE का वर्तमान वैल्यूएशन विश्लेषण:

प्रमुख आँकड़े (FY25 के अनुसार):

  • अनलिस्टेड शेयर मूल्य (प्रति शेयर): ₹2,285
  • लॉट साइज: 250 शेयर
  • मार्केट कैप: ₹5.65 लाख करोड़
  • P/E रेशियो: 46.41
  • P/B रेशियो: 18.63
  • ROE (रिटर्न ऑन इक्विटी): 40.15%
  • बुक वैल्यू: ₹122.64
  • EPS (Earnings per Share): ₹49.24
  • 52 सप्ताह का उच्चतम मूल्य: ₹6,200
  • न्यूनतम मूल्य: ₹1,625

इन आँकड़ों से यह साफ है कि NSE के अनलिस्टेड शेयर अभी ऊँचे मूल्यांकन पर ट्रेड कर रहे हैं।

कंपनी की वित्तीय स्थिति (FY22–FY25):

  • राजस्व (Revenue): ₹8,929 करोड़ से बढ़कर ₹17,141 करोड़ (FY25)
  • शुद्ध लाभ (PAT): ₹5,198 करोड़ से ₹12,188 करोड़ तक
  • ऑपरेटिंग मार्जिन: 72.8% से बढ़कर 75.15%
  • नेट प्रॉफिट मार्जिन: 58.21% से बढ़कर 71.1%

कंपनी का लाभ और मार्जिन लगातार बेहतर हो रहा है, जो इसके संचालन की मजबूती को दर्शाता है।

बैलेंस शीट और नकदी प्रवाह:

  • रिज़र्व (FY25): ₹30,105 करोड़
  • ऋण (Borrowings): शून्य
  • अंतिम नकद शेष राशि: ₹17,322 करोड़

NSE पूरी तरह से ऋण-मुक्त है और इसके पास उच्च नकद भंडार है, जो इसे एक सुरक्षित और मजबूत कंपनी बनाता है।

शेयरहोल्डिंग पैटर्न (FY25):

  • इंडिविजुअल निवेशक: 21.27%
  • विदेशी होल्डिंग्स: 28%
  • वेंचर कैपिटल और AIFs: 19.22%
  • बीमा कंपनियाँ और अन्य संस्थागत निवेशक: लगभग 25%

यह भागीदारी दर्शाती है कि NSE में बड़े निवेशकों का भरोसा बना हुआ है।

HDB फाइनेंशियल का उदाहरण:

HDFC ग्रुप की HDB Financial Services भी एक मजबूत संस्था है। इसके अनलिस्टेड शेयर 2019–2021 के बीच ₹1,100 से ₹1,200 पर ट्रेड हो रहे थे। लेकिन कंपनी का IPO बार-बार टलने और मार्केट सेंटिमेंट कमजोर होने से, इसका अनलिस्टेड प्राइस ₹600–₹700 तक गिर गया।

इससे यह सीख मिलती है कि अगर किसी कंपनी का मूल्यांकन बहुत ऊँचा है और IPO में देरी होती है, तो निवेशकों को घाटा हो सकता है।

यह रहा "NSE बनाम BSE" तुलना का लाइन फॉर्मेट (रेखीय रूप में):

• राजस्व (FY25):

o NSE: ₹17,141 करोड़

o BSE: ₹3,212 करोड़

• EPS (Earnings Per Share, FY25):

o NSE: ₹49

o BSE: ₹98

• मार्केट कैप (7 मई 2025 तक):

o NSE: ₹4,08,375 करोड़

o BSE: ₹90,059 करोड़

• P/E रेशियो (7 मई 2025 तक):

o NSE: 34x

o BSE: 68x

क्या प्री-IPO में निवेश करना चाहिए?

निवेश के पक्ष में:

  • मजबूत मुनाफा और परिचालन मार्जिन
  • ऋण-मुक्त बैलेंस शीट
  • लंबी अवधि में ग्रोथ की संभावनाएँ
  • बड़ी संस्थागत होल्डिंग्स

सावधानी की ज़रूरत:

  • वर्तमान अनलिस्टेड प्राइस महंगा है (P/E ~46x)
  • EPS FY25 के लिए घटकर ₹49.24 होने का अनुमान
  • IPO अगर डिस्काउंट पर आता है, तो अनलिस्टेड निवेशकों को नुकसान हो सकता है

यदि आप लंबी अवधि (3-5 वर्ष) के निवेशक हैं और NSE जैसी संस्था में हिस्सेदारी चाहते हैं, तो प्री-IPO निवेश एक अवसर हो सकता है। लेकिन अगर आप लिस्टिंग गेन की उम्मीद से निवेश कर रहे हैं, तो अभी वैल्यूएशन थोड़ा ऊँचा लग रहा है।

सुझाव: IPO का प्राइस बैंड घोषित होने तक प्रतीक्षा करें। यदि IPO ₹2,000 या उससे कम प्राइस पर आता है, तो वह अधिक समझदारी भरा निवेश होगा। वहीं, अगर लिस्टिंग प्राइस बहुत अधिक हुआ, तब आप सेकेंडरी मार्केट में सही मौके पर निवेश कर सकते हैं।

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