Impact of US Tariffs on Share Market : अमेरिका के टैरिफ का असर - Nifty में गिरावट क्या पहले से अनुमानित थी?

Impact of US Tariffs on Share Market: अमेरिका के टैरिफ के बीच बाजार की चाल, Nifty में गिरावट, टॉप गेनर्स-लूजर्स और सेक्टर प्रदर्शन पर विस्तृत नजर।

Sonal Girhepunje
Published on: 31 July 2025 5:28 PM IST
Impact of US Tariffs on Share Market
X

Impact of US Tariffs on Share Market

हाल ही में अमेरिका द्वारा तांबे सहित कई औद्योगिक धातुओं पर 50% तक का आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी। इस फैसले का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिखाई दिया, खासकर Nifty 50 पर। 31 जुलाई 2025 को Nifty 50 ने दिन की शुरुआत मजबूती के साथ की और दोपहर 1 बजे तक यह 24,960.85 के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया। लेकिन इसके बाद बाजार में मुनाफावसूली और घबराहट का माहौल बन गया और Nifty अंततः गिरकर 24,765.60 के स्तर पर बंद हुआ। यानी दिन में लगभग 195 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। इससे यह स्पष्ट हुआ कि निवेशकों के बीच इस फैसले को लेकर असमंजस की स्थिति थी।

तेज़ी से गिरावट तक - निवेशकों की बदलती सोच का संकेत :

30 जुलाई को बाजार में हल्की तेजी देखी गई, लेकिन दोपहर बाद दबाव बनना शुरू हो गया। इससे संकेत मिला कि निवेशक अमेरिका के संभावित फैसले को लेकर सतर्क हो गए थे। 31 जुलाई की शुरुआत में तेज़ी दिखी और निवेशकों ने यह मान लिया कि टैरिफ का असर भारत पर सीमित रहेगा। इस सकारात्मक सोच के कारण बाजार में अच्छी तेजी देखने को मिली।

हालांकि, दोपहर के बाद माहौल अचानक बदल गया। बाजार में तेज़ गिरावट आई और निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी। इस गिरावट से यह संकेत मिला कि बाजार को अब इस फैसले के गहरे प्रभाव का आभास होने लगा है। निवेशकों को यह महसूस हुआ कि अमेरिका के टैरिफ का सीधा असर भारत की धातु व निर्यात से जुड़ी कंपनियों पर पड़ सकता है, जिससे उनकी आय और लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है।

क्या बाजार ने पहले ही डिस्काउंट कर लिया था?

बाजार की शुरुआती प्रतिक्रिया यह दर्शा रही थी कि निवेशकों ने इस टैरिफ फैसले को पहले से ही मूल्यांकन में शामिल कर लिया है। लेकिन जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ा और फैसले की गंभीरता स्पष्ट हुई, बाजार में बिकवाली बढ़ गई। इससे यह साफ हो गया कि टैरिफ के प्रभाव को पूरी तरह से नहीं समझा गया था। बाजार ने आंशिक रूप से इस फैसले का पूर्वानुमान लगाया था, लेकिन इसकी गंभीरता और व्यापक प्रभाव की सच्चाई बाद में सामने आई।

शुरुआत में आई तेजी से लगता है कि बड़ी पूंजी (स्मार्ट मनी) ने फैसले को हल्के में लिया और अवसर का लाभ उठाया। लेकिन जैसे ही व्यापक निवेशकों तक पूरी जानकारी पहुंची, डर का माहौल बन गया और नतीजतन, बिकवाली तेज हो गई।

आगे की रणनीति - सतर्कता और अवसर दोनों :

अमेरिका का यह टैरिफ फैसला भारत के लिए दोहरी चुनौती लेकर आया है। एक ओर, भारत की वे कंपनियां जो अमेरिका को धातु या उससे जुड़ा सामान निर्यात करती हैं, उनके लिए यह चिंता का विषय है। दूसरी ओर, वैश्विक व्यापार में बढ़ती अनिश्चितता विदेशी निवेशकों को भी सतर्क कर सकती है, जिससे भारतीय बाजारों से धन का बहिर्वाह संभव है।

इस स्थिति में भारत सरकार की भूमिका अहम हो जाती है। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार प्रभावित सेक्टर्स को राहत देने के लिए कोई नीतिगत पहल करती है? क्या कंपनियां वैकल्पिक निर्यात बाजारों की तलाश कर पाएंगी? और क्या घरेलू मांग को मजबूती देकर नुकसान की भरपाई की जा सकेगी?

कुल मिलाकर, अमेरिका के टैरिफ फैसले ने भारतीय बाजार में अस्थिरता जरूर पैदा की है, लेकिन यह पूरी तरह अप्रत्याशित नहीं था। बाजार ने आंशिक रूप से इसे पहले से ही भांप लिया था, लेकिन जैसे ही फैसले की गहराई समझ में आई, गिरावट शुरू हो गई। निवेशकों को अब सतर्क रहकर आगे बढ़ना चाहिए और खासतौर पर उन सेक्टर्स पर नजर रखनी चाहिए जिन पर इस टैरिफ का सीधा असर पड़ सकता है। जोखिम को समझते हुए रणनीतिक रूप से निवेश करना ही आगे की सबसे समझदारी भरी चाल होगी।

1 / 8
Your Score0/ 8
Sonal Girhepunje

Sonal Girhepunje

Mail ID - [email protected]

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!