Large vs Mid vs Small Cap: निवेश से पहले जानिए कंपनियों की स्थिति और मार्केट कैप की पूरी जानकारी

Large vs Mid vs Small Cap: यहां जानिए कंपनियों का आकार, जोखिम और निवेश के लिहाज़ से कौन-सी कैटेगरी है आपके लिए सही ।

Sonal Girhepunje
Published on: 25 July 2025 3:46 PM IST
Large vs Mid vs Small Cap
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Large vs Mid vs Small Cap 

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी बातें पहले जाननी चाहिए। उन्हीं में से एक है मार्केट कैपिटलाइजेशन, जिसे हिंदी में बाज़ार पूंजीकरण कहा जाता है। यह शब्द बताता है कि किसी कंपनी का बाजार में कितना मूल्य है।

मार्केट कैप से हमें यह पता चलता है कि कंपनी कितनी बड़ी है और उसका नाम बाजार में कितना मजबूत है। इसी के आधार पर कंपनियों को तीन हिस्सों में बांटा गया है - Large Cap, Mid Cap और Small Cap। इस लेख में हम आपको इन तीनों को बहुत ही आसान भाषा में समझाएंगे।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? :

मार्केट कैप का मतलब है - कंपनी के सभी शेयरों की कुल कीमत।

मार्केट कैप = कुल शेयर × एक शेयर की कीमत

उदाहरण:

अगर किसी कंपनी के पास 10 लाख शेयर हैं और एक शेयर की कीमत ₹100 है, तो उसका मार्केट कैप ₹10 करोड़ होगा।

यह आंकड़ा बताता है कि कंपनी शेयर बाजार में कितनी बड़ी है। इसके आधार पर ही कंपनियों को Large, Mid और Small Cap में रखा जाता है।

Large Cap कंपनियां - सबसे बड़ी और मजबूत :

Large Cap कंपनियां वे होती हैं जिनका बाजार मूल्य सबसे ज़्यादा होता है। भारत में जो कंपनियां मार्केट कैप के हिसाब से टॉप 100 में आती हैं, उन्हें Large Cap कहा जाता है।

• ये कंपनियां पुरानी और भरोसेमंद होती हैं।

• इनका कारोबार बहुत बड़ा होता है और फंडामेंटल मजबूत होते हैं।

• इनमें जोखिम कम होता है और रिटर्न स्थिर होता है।

• ये कंपनियां मंदी में भी टिके रह सकती हैं।

उदाहरण: Reliance Industries, TCS, Infosys, HDFC Bank

नए निवेशकों के लिए Large Cap कंपनियां अच्छा विकल्प हो सकती हैं क्योंकि इनमें उतार-चढ़ाव कम होता है।

Mid Cap कंपनियां - विकास की ओर बढ़ती कंपनियां :

Mid Cap कंपनियां वे होती हैं जो टॉप 101 से 250 के बीच की सूची में आती हैं।

• ये कंपनियां तेजी से बढ़ने वाली होती हैं।

• इनमें थोड़ा ज्यादा जोखिम होता है, लेकिन रिटर्न भी अच्छा मिल सकता है।

• ये कंपनियां नई तकनीक और विस्तार के ज़रिए बड़ी बनने की कोशिश में होती हैं।

उदाहरण: Page Industries, Cummins India, Indian Hotels

अगर आप थोड़ा जोखिम उठाने को तैयार हैं, तो Mid Cap कंपनियों में निवेश फायदेमंद हो सकता है।

Small Cap कंपनियां - नई लेकिन ऊंचे मुनाफे वाली :

Small Cap कंपनियां वे होती हैं जो 251वें नंबर के बाद आती हैं। ये कंपनियां सबसे छोटी होती हैं।

• ये नई या बढ़ने की शुरुआत कर रही कंपनियां होती हैं।

• इनमें सबसे ज्यादा मुनाफा मिल सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा जोखिम भी होता है।

• शेयर बाजार में गिरावट आने पर इन पर सबसे पहले असर होता है।

उदाहरण: Brightcom Group, Ujjivan Small Finance Bank, Trident

Small Cap कंपनियों में निवेश से पहले कंपनी की जानकारी जरूर लेनी चाहिए। हर Small Cap कंपनी मुनाफा नहीं देती, इसलिए रिसर्च जरूरी है।

निवेश के लिए मार्केट कैप क्यों जरूरी है? :

1. जोखिम और रिटर्न का अंदाजा:

मार्केट कैप से यह समझ आता है कि किस कंपनी में कितना जोखिम है और किससे कितना मुनाफा मिल सकता है।

2. संतुलित पोर्टफोलियो बनाना:

समझदार निवेशक तीनों तरह की कंपनियों में पैसा लगाते हैं - जिससे जोखिम कम और मुनाफा संतुलित रहता है।

3. लक्ष्य के अनुसार योजना:

• लंबे समय तक निवेश करना है तो Large Cap चुनें।

• जल्दी मुनाफा चाहिए और जोखिम ले सकते हैं तो Mid या Small Cap पर ध्यान दें।

डिस्क्लेमर:

यह केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। निवेश से पहले अपनी रिसर्च करें या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।

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