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License Fee Controversy : DTH लाइसेंस फीस में कटौती का विरोध - सरकार से TRAI की सिफारिश खारिज करने की मांग

License Fee Controversy: अगर DTH ऑपरेटरों की लाइसेंस फीस को कम किया गया या पूरी तरह खत्म कर दिया गया, तो इससे केबल टीवी ऑपरेटरों के साथ बड़ा भेदभाव होगा।

Sonal Girhepunje
Published on: 18 July 2025 9:15 PM IST
License Fee Controversy
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License Fee Controversy (Image Credit-Social Media)

लखनऊ. डायरेक्ट-टू-होम (DTH) सेवाओं के लिए लाइसेंस फीस में कटौती की TRAI की सिफारिश के खिलाफ ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) ने सरकार को चेताया है। AIDCF का कहना है कि अगर DTH ऑपरेटरों की लाइसेंस फीस को कम किया गया या पूरी तरह खत्म कर दिया गया, तो इससे केबल टीवी ऑपरेटरों के साथ बड़ा भेदभाव होगा। साथ ही, इससे सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंचेगा और लगभग 10 लाख लोगों की रोज़गार सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है। फरवरी 2025 में TRAI ने DTH लाइसेंस फीस को मौजूदा 8% से घटाकर 3% करने और 2026-27 तक पूरी तरह समाप्त करने की सिफारिश दोहराई थी। इसी के विरोध में AIDCF ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को विस्तृत पत्र लिखा है।

DTH को मिल रही रियायतों से असमानता गहराई: AIDCF

AIDCF ने सरकार को भेजे अपने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि DTH ऑपरेटरों को पहले से ही कई वाणिज्यिक और संरचनात्मक लाभ मिल रहे हैं, जिनमें मुफ्त स्पेक्ट्रम प्रमुख है। DTH सेवाएं कु-बैंड स्पेक्ट्रम पर चलती हैं, जो प्रशासनिक आधार पर निशुल्क आवंटित होता है। वहीं, केबल टीवी ऑपरेटरों को जमीन के ऊपर और नीचे केबल बिछाने के लिए भारी खर्च उठाना पड़ता है।

AIDCF ने बताया कि:

• केबल ऑपरेटरों को ROW (Right of Way) शुल्क के तौर पर ₹3,000 प्रति पोल प्रति वर्ष तक का खर्च वहन करना पड़ता है।

• जमीन के नीचे केबल डालने पर लगभग ₹8 लाख प्रति किलोमीटर का CAPEX (पूंजीगत खर्च) आता है।

• इसके अलावा रखरखाव और अनुमति शुल्क का बोझ भी केबल ऑपरेटरों पर पड़ता है।

• नए ग्राहक को जोड़ने पर लगभग 5,000 रुपये प्रति ग्राहक का खर्च आता है, जबकि DTH कंपनियों पर ऐसा कोई खर्च नहीं होता।

लाइसेंस फीस में छूट से राजस्व और रोज़गार पर संकट :

AIDCF ने चेताया है कि DTH लाइसेंस फीस में छूट से केवल एक क्षेत्र को फायदा होगा, जिससे न केवल बाजार में असंतुलन पैदा होगा बल्कि सरकार को मिलने वाला राजस्व भी प्रभावित होगा। इसके अलावा, केबल टीवी क्षेत्र से जुड़े करीब 10 लाख लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ सकता है।

पत्र में AIDCF ने कहा:

“यह कदम न केवल असमानता को बढ़ाएगा, बल्कि सार्वजनिक खजाने को भी नुकसान पहुंचाएगा। अगर लाइसेंस फीस घटाई जाती है, तो सरकार को स्पेक्ट्रम की पूरी लागत वसूल करने का कोई तरीका होना चाहिए। इससे सेवा प्रदाताओं के बीच समान अवसर मिलेंगे और नीति में पारदर्शिता बनी रहेगी।”

क्या TRAI की सिफारिश वाकई सभी के लिए फायदेमंद है? :

AIDCF की मांग है कि सरकार TRAI की सिफारिश को खारिज करे और सुनिश्चित करे कि DTH ऑपरेटरों को भी वही आर्थिक दायित्व निभाने पड़ें जो केबल टीवी ऑपरेटरों को निभाने पड़ते हैं। उनका तर्क साफ है - नीति समान होनी चाहिए, जिससे किसी एक क्षेत्र को फायदा न हो, सभी सेवा प्रदाताओं के लिए निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रहे और उद्योग में संतुलन बना रहे।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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