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Nifty Monthly report -July 2025 : उतार-चढ़ाव के बीच बाज़ार की चाल, निवेश के मौके और आगे की रणनीति
Nifty Monthly report -July 2025 : शेयर बाजार की चाल, सपोर्ट-रेसिस्टेंस स्तर, सेक्टोरियल एनालिसिस और वैश्विक संकेतों का संपूर्ण लेखा-जोखा।
Nifty Monthly report - July 2025
जुलाई 2025 का महीना भारतीय शेयर बाजार, विशेष रूप से Nifty, के लिए उतार-चढ़ाव से भरा रहा। जून के आखिरी सप्ताह में बाजार में थोड़ी मजबूती दिखाई दी थी, लेकिन जुलाई के दूसरे और तीसरे सप्ताह में मुनाफावसूली, वैश्विक अनिश्चितताओं और विदेशी निवेशकों की सतर्कता के कारण गिरावट का माहौल बन गया।
इस महीने के दौरान Nifty ने लगभग 25,600 का उच्चतम स्तर छुआ, लेकिन वहाँ से गिरकर 24,450 के निचले स्तर तक पहुँच गया। अंततः जुलाई के आखिरी कारोबारी दिन यह 24,768.35 पर बंद हुआ।
Technical Analysis - सपोर्ट और रेसिस्टेंस स्तर :
जुलाई में Technical Analysis यह संकेत देता है कि:
• प्रमुख सपोर्ट स्तर 24,450 और 24,200 पर देखे जा रहे हैं। यदि Nifty 24,200 के नीचे बंद होता है तो और गिरावट संभव है।
• प्रमुख रेसिस्टेंस स्तर 25,200 और 25,600 हैं। जब तक बाजार इन स्तरों को पार नहीं करता, तब तक ऊपर की ओर स्थिर तेजी की संभावना कम है।
ट्रेडर्स को सलाह दी जाती है कि वे 24,450 और 25,200 के बीच की रेंज में सावधानी से काम करें। ब्रेकआउट या ब्रेकडाउन के आधार पर ही पोजिशन लें।
भविष्य की रणनीति और निवेश दृष्टिकोण :
• अगस्त और सितंबर 2025 में बाजार की दिशा कुछ प्रमुख घटनाओं और आंकड़ों पर निर्भर करेगी:
• पहला, भारतीय रिजर्व बैंक की अगस्त माह की मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों को लेकर फैसला बैंकिंग, रियल एस्टेट और वित्तीय सेक्टर को प्रभावित करेगा।
• दूसरा, कंपनियों के Q1 के तिमाही नतीजे यदि बाजार अनुमानों से बेहतर रहते हैं, तो इससे सेंटीमेंट में सुधार आ सकता है।
• तीसरा, अमेरिका और चीन से जुड़े वैश्विक संकेत जैसे डॉलर इंडेक्स, व्यापार टैरिफ, और आर्थिक डेटा, भारतीय बाजार पर सीधा असर डाल सकते हैं।
• निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे ब्लूचिप कंपनियों और फंडामेंटली मजबूत large-cap शेयरों में निवेश जारी रखें। साथ ही, गिरावट के समय में SIP या स्टैगरड निवेश के ज़रिए पोर्टफोलियो में औसत लागत को घटाएं।
Sectorial Analysis - किन सेक्टरों में दिख रही है चाल :
• बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में जुलाई में हल्की कमजोरी रही। हालांकि क्रेडिट ग्रोथ बनी हुई है और ब्याज दर स्थिर रहने की उम्मीद के चलते यह सेक्टर अगले दो महीनों में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
• आईटी सेक्टर ने जुलाई में दबाव झेला। अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी की आशंका के कारण प्रोजेक्ट्स की गति धीमी रही, लेकिन डॉलर में मजबूती के चलते एक्सपोर्ट आधारित कंपनियों को राहत मिल सकती है।
• ऑटोमोबाइल सेक्टर, विशेषकर टू-व्हीलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट ने अच्छा प्रदर्शन किया। बिक्री में वृद्धि और आगामी त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने की संभावना है।
• मेटल्स और एनर्जी सेक्टर पर अमेरिकी टैरिफ और चीन की मांग में गिरावट का असर पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है, जिससे एनर्जी कंपनियों की लागत पर प्रभाव पड़ा है।
• फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर ने स्थिर प्रदर्शन दिया। रिसर्च आधारित कंपनियां, जो वैश्विक मार्केट को सेवा देती हैं, उनमें निवेश जारी है।
वैश्विक बाजार का प्रभाव (Global Market) :
• अमेरिका में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को यथावत रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने यह संकेत दिया है कि महंगाई के स्थिर रहने पर ही दरों में कटौती होगी। इससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है।
• अमेरिका द्वारा कुछ देशों पर लगाए गए नए टैरिफ से वैश्विक व्यापार तनाव में है। इसका असर विशेष रूप से भारत के वस्त्र और धातु सेक्टर पर पड़ सकता है।
• चीन में प्रॉपर्टी सेक्टर की कमजोरी और आर्थिक विकास दर में गिरावट के संकेत एशियाई बाजारों में चिंता का कारण बने हुए हैं।
• कच्चे तेल की कीमतें जुलाई में ब्रेंट क्रूड के लिए 83 से 86 डॉलर प्रति बैरल के बीच बनी रहीं। इससे भारत की तेल कंपनियों की लागत बढ़ी है और आयात घाटे पर भी असर पड़ा है।
• डॉलर-रुपया विनिमय दर में रुपया दबाव में रहा, जिससे इम्पोर्ट आधारित कंपनियों की लागत बढ़ी है, लेकिन एक्सपोर्ट कंपनियों को लाभ हुआ है।
जुलाई 2025 की प्रमुख वित्तीय खबरें :
• अमेरिका द्वारा धातु और टेक्सटाइल पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से निर्यातकों की चिंता बढ़ी है।
• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाओं और म्यूचुअल फंड को लेकर नए नियम लागू किए हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
• जुलाई में भारत का GST संग्रह 1.72 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो घरेलू मांग और आर्थिक मजबूती को दर्शाता है।
• विदेशी संस्थागत निवेशकों ने जुलाई में सतर्क रुख अपनाया और मुनाफावसूली की।
निवेशकों के लिए रणनीतिक सुझाव :
निवेशकों को निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:
1. ब्लूचिप कंपनियों और large-cap शेयरों में निवेश करना स्थिरता और सुरक्षा देता है।
2. मिडकैप कंपनियों में करेक्शन के समय सीमित मात्रा में निवेश करने पर बेहतर रिटर्न की संभावना होती है।
3. एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के ज़रिए लॉन्ग टर्म निवेश जारी रखें।
4. आईटी और ऑटो सेक्टर पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि इनमें अगले तीन महीनों में तेजी की संभावना है।
5. महत्वपूर्ण रेसिस्टेंस स्तरों के पास मुनाफावसूली करते रहें, जिससे जोखिम को सीमित रखा जा सके।
डिस्क्लेमर:
यह केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। निवेश से पहले अपनी रिसर्च करें या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।
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