Petrol Diesel Price Today: दिल्ली-मुंबई स्थिर, यूपी में हल्की गिरावट, जनता को मिली राहत

, यूपी के कई शहरों में ₹1 तक की गिरावट, कुछ जगहों पर बढ़े दाम

Ramkrishna Vajpei
Published on: 5 Sept 2025 9:08 AM IST
Petrol Diesel Price Today: दिल्ली-मुंबई स्थिर, यूपी में हल्की गिरावट, जनता को मिली राहत
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Petrol Diesel Price Today: देशभर में पेट्रोल और डीजल के ताजा रेट ने एक बार फिर आम आदमी का ध्यान खींचा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज पेट्रोल ₹94.77 प्रति लीटर और डीजल ₹87.67 पर एकदम स्थिर है, जबकि मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में मामूली उतार-चढ़ाव देखने को मिला। मसलन, मुंबई में पेट्रोल ₹103.50 पर टिका है, चेन्नई में पेट्रोल ₹100.90 हो गया यानी ₹0.10 की बढ़त, लेकिन पटना में ₹0.35 कम होकर ₹105.23 रहा। डीजल की बात करें तो कोलकाता में रेट जस का तस है, चेन्नई में ₹0.09 की बढ़त और जयपुर में ₹0.28 की गिरावट दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश: कीमतों में हल्की राहत, कुछ शहरों में बढ़ोतरी

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पेट्रोल ₹94.69 और डीजल ₹87.81 पर स्थिर बने रहे, जबकि बरेली, झांसी, सुलतानपुर जैसे शहरों में कीमतों में हल्की बढ़ोतरी या गिरावट दर्ज हुई। लखीमपुर और महराजगंज में दामों में करीब ₹0.99 तक की गिरावट आई, वहीं रामपुर में पेट्रोल ₹0.58 और डीजल ₹0.63 महंगा हुआ। कानपुर, झांसी, बरेली, देवरिया जैसे शहरों में भी ₹0.30 से ₹0.50 के बीच कीमतों का फेरबदल हुआ—यानी आम आदमी के बजट में थोड़ा असर देखने को मिलेगा।

किसानों और ट्रांसपोर्टर वर्ग में चर्चा

गांवों से आने वाली खबरों पर नज़र डालें तो किसानों को राहत मिली है, क्योंकि डीजल के दाम में ज्यादातर जगहों पर गिरावट आई है। ट्रांसपोर्ट संघों की बैठक में भी यही मुद्दा गरमाया रहा कि दाम बढ़ने से माल भाड़ा बढ़ सकता है। स्थानीय पम्प संचालकों का कहना है कि रेट में भले रोज़ थोड़ा बदलाव हो, मगर आम जनता के खर्च और वाहनों की आवाजाही पर सीधा असर पड़ता है।

राजनीति की हलचल

अधिकारियों की दलील है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार, टैक्स और राज्य सरकार की नीतियों के कारण ही रोज़ रेट बदलते हैं। मगर जिन इलाकों में सिर्फ कुछ पैसे का फर्क आया है वहां लोग सोचते हैं: "छोटी गिरावट भी एक बड़ी राहत है, बशर्ते कल अचानक बढ़त न हो जाए।"

पेट्रोल-डीजल की कीमतें आगे भी संजीदा मुद्दा रहेंगी, क्योंकि बजट, आवागमन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से लेकर शहरी जीवन तक सब पर इसका प्रभाव पड़ता है। फिलहाल आम आदमी उम्मीद कर रहा है कि राजनीतिक बयानबाजी छोड़ सरकार जनता की जेब पर असर कम करने की पुख्ता कोशिश करेगी।

सीधा सवाल यही उठता है—क्या आने वाले दिनों में तेल कंपनियां और राज्य सरकार जनता को राहत देने का कोई नया फॉर्मूला लेकर आएंगी, या फिर ये मामूली उतार-चढ़ाव ही लोगों की रोज़मर्रा की सोच में उलझन बढ़ाए रखेंगे?

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