स्वदेशी ने चमकाया बाजार, चीन को लगा ₹1 लाख करोड़ का झटका

दिवाली 2025 में भारतीयों ने स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर बाजार में रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की, जिससे घरेलू उद्योग मजबूत हुआ और चीनी सामानों की मांग में भारी गिरावट आई।

Sonal Girhepunje
Published on: 22 Oct 2025 10:08 AM IST
स्वदेशी ने चमकाया बाजार, चीन को लगा ₹1 लाख करोड़ का झटका
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Record Diwali Sales Boost Indian Economy: इस साल की दिवाली भारतीयों के लिए बहुत खास रही। पूरे देश में बाजारों और दुकानों में रौनक देखने लायक थी। कारोबारियों ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाया और रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार, इस बार दिवाली पर कुल बिक्री ₹6.05 लाख करोड़ तक पहुंच गई, जो पिछले साल से 25% ज्यादा है। इस बड़ी सफलता के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, GST दरों में कटौती ने सामानों को सस्ता बनाया और लोगों की खरीद क्षमता बढ़ाई। साथ ही, उपभोक्ताओं में त्योहार को लेकर उत्साह और खरीदारी की प्रवृत्ति ने भी बाजार को मजबूती दी। इस बार दिवाली पर ₹5.40 लाख करोड़ का कारोबार सामानों का और ₹65 हजार करोड़ सेवाओं से हुआ। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि इस साल की दिवाली ने न केवल कारोबारियों को फायदा पहुंचाया बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा दी।

स्वदेशी पर जोर, विदेशी पर असर

इस साल खास बात यह रही कि स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता मिली। भारतीयों ने लोकल और देशी सामान खरीदा। इसका असर यह हुआ कि चीनी सामान की बिक्री में लगभग ₹1 लाख करोड़ की गिरावट आई। यह भारत के घरेलू उद्योग और छोटे दुकानदारों के लिए बड़ी मदद है।

दिवाली की खरीदारी में उत्साह

इस दिवाली उपभोक्ताओं का उत्साह बहुत बढ़ा और खरीदारी ने नया रिकॉर्ड बनाया। GST में कटौती से सामान सस्ता हुआ और महंगाई पर नियंत्रण मिला। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की बिक्री में तेजी आई। इस सबके कारण यह साफ दिखा कि भारतीय लोग स्वदेशी उत्पादों को अपनाना पसंद कर रहे हैं। इससे घरेलू उद्योग मजबूत हुआ और आयातित सामानों की मांग में कमी आई, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिला।

त्योहार के साथ स्वदेशी का उत्सव

दिवाली 2025 ने सिर्फ त्योहार नहीं मनाया बल्कि स्वदेशी आंदोलन को नई ताकत दी। भारतीय उत्पादों की चमक बढ़ी और चीन समेत विदेशी उत्पादों की बिक्री में कमी आई। यह न केवल आर्थिक रूप से देश के लिए फायदेमंद है, बल्कि सामाजिक तौर पर भी यह संदेश देता है कि जागरूक उपभोक्ता अपने देश के विकास में मदद कर सकते हैं।

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