छत्तीसगढ़ @25: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से ग्रीन ग्रोथ का सफर

25 साल में छत्तीसगढ़ ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से विकास और आदिवासी सशक्तिकरण की मिसाल कायम की, CM साय का ₹10 लाख करोड़ GSDP लक्ष्य

Newstrack Desk
Published on: 15 Oct 2025 7:00 PM IST
Chhattisgarh 25 Years: From Naxal Zones to Green Growth
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Chhattisgarh 25 Years: From Naxal Zones to Green Growth

Chhattisgarh: 1 नवंबर को अपने 25वें स्थापना दिवस की दहलीज पर खड़ा छत्तीसगढ़ एक बड़े परिवर्तन के दौर में प्रवेश कर रहा है। कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में पहचाना जाने वाला यह राज्य अब सतत विकास (Sustainable Development) और आदिवासी सशक्तिकरण का प्रतीक बन रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति राज्य के बढ़ते राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित करती है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनके प्रशासन ने भविष्य के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण रखा है, जो हरित विकास (Green Growth), समावेशी विकास और बुनियादी ढाँचे के विस्तार पर केंद्रित है, खासकर बस्तर जैसे वन-समृद्ध आदिवासी क्षेत्रों में।

अटल जी के स्वप्न से आज की वास्तविकता तक

राज्य के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा छत्तीसगढ़ के गठन के बाद हुई प्रगति पर बात की। उन्होंने कहा, "हम कभी पिछड़ेपन के लिए जाने जाते थे। आज, छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य, सड़क, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में गर्व से खड़ा है।" श्री कश्यप ने राज्य के विकास में तेज़ी लाने और ऐतिहासिक रूप से वंचित क्षेत्रों में विश्वास बहाल करने का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया।

भारत का 'ऑक्सीजन ज़ोन': हरित विरासत और भविष्य की योजना

छत्तीसगढ़, भारत के तीसरे सबसे बड़े वन क्षेत्र का दावा करता है, जहाँ भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 44.10% यानी लगभग 60,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वनों से आच्छादित है। राज्य संसाधन निष्कर्षण और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। श्री कश्यप ने आश्वासन दिया, "हम खनिजों का निष्कर्षण जिम्मेदारी से करते हैं और वनीकरण सुनिश्चित करते हैं। छत्तीसगढ़ भारत का ऑक्सीजन ज़ोन है, और हम इसे हरा-भरा रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और टिकाऊ वानिकी नीतियों के माध्यम से पर्यावरणीय चिंताओं को दूर किया जा रहा है।

बस्तर का उदय: डर से विकास की ओर

बस्तर को अपना घर बताते हुए, श्री कश्यप ने भावनात्मक रूप से क्षेत्र की उपेक्षा और भय से विश्वास और प्रगति तक की यात्रा का उल्लेख किया। आज, बस्तर सड़कों, शिक्षा, इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे में तेज़ी से विकास देख रहा है। उन्होंने कहा, "जहाँ सड़कें नहीं थीं, अब राजमार्ग मौजूद हैं। जहाँ लोग सरकार से डरते थे, अब सरकारी सेवाएँ हर घर तक पहुँच रही हैं।" जगदलपुर और कांकेर में मेडिकल कॉलेज केवल शुरुआत हैं, जो बस्तर के आदिवासी युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगार के अवसर सुनिश्चित कर रहे हैं।

नक्सलवाद से लड़ाई: विकास-केंद्रित दृष्टिकोण

श्री कश्यप ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास-आधारित संघर्ष समाधान पर राज्य के ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने जोड़ा, "हम सिर्फ घोषणाएँ नहीं कर रहे हैं। हम दूरस्थ गाँवों तक पहुँच रहे हैं, शासन का विस्तार कर रहे हैं, और भय को विश्वास में बदल रहे हैं।"

प्रतीकात्मकता नहीं, कार्रवाई से सशक्तिकरण

इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस नहीं मनाने की आलोचना का जवाब देते हुए श्री कश्यप ने दृढ़ता से कहा: "सशक्तिकरण प्रतीकात्मकता के बारे में नहीं है। यह कार्रवाई के बारे में है। हम आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए हर दिन काम कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि एक आदिवासी उपराष्ट्रपति और कई आदिवासी मुख्यमंत्रियों का होना, भाजपा की आदिवासी कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का स्पष्ट परिणाम है, जो पिछली राजनीतिक शोषण की नीतियों के विपरीत है। श्री कश्यप ने राज्य के लिए 2047 तक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) को ₹10 लाख करोड़ तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी रोडमैप भी प्रस्तुत किया। यह लक्ष्य प्रधानमंत्री श्री मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "25 साल का छत्तीसगढ़ मजबूती से खड़ा है—जो सतत विकास, एकता और समावेशी विकास में नेतृत्व करने के लिए तैयार है।"

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