छत्तीसगढ़ में छठ महापर्व की धूम, एशिया का सबसे बड़ा घाट बिलासपुर में

रायपुर-बिलासपुर में छठ पूजा का भव्य आयोजन, संस्कृति और आस्था का अद्भुत संगम

Newstrack Desk
Published on: 24 Oct 2025 3:41 PM IST
Chhattisgarh Bilaspur News
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Chhattisgarh Bilaspur News (Image from Social Media)

Chhattisgarh News: लोक आस्था का महापर्व छठ सिर्फ बिहार या पूर्वांचल तक सीमित नहीं रहा। छत्तीसगढ़ की धरती अब इस पर्व की शुद्धता और भव्यता की नई पहचान बन रही है। यहाँ छठ पूजा, सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि 'सांस्कृतिक एकता का महाकुंभ' बन चुका है।

इस बार जब सूर्य उपासना का यह पर्व शुरू होगा, तब पूरे छत्तीसगढ़ में एक अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा— बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ की संस्कृति का संगम।

सबसे बड़ी वजह: बिलासपुर का वो 'विशाल घाट', जो एशिया में बेमिसाल!

जब छठ घाटों की बात होती है, तो सबकी निगाहें बिलासपुर पर ठहर जाती हैं। अरपा नदी के तट पर बना यहाँ का स्थायी छठ घाट किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

यह घाट केवल विशाल नहीं, बल्कि यह 'स्थायी संरचना' (Permanent Structure) के साथ बना है। जहाँ अन्य स्थानों पर अस्थायी घाट बनाए जाते हैं, वहीं बिलासपुर का यह घाट हर साल लाखों श्रद्धालुओं का बोझ उठाने के लिए पूरी तरह तैयार रहता है, जो इसे एशिया के सबसे बड़े और सर्वश्रेष्ठ व्यवस्थित घाटों में से एक का दर्जा दिलाता है।

स्थानीय प्रशासन इस आस्था के सैलाब के लिए पक्के प्लेटफॉर्म, रोशनी और सुरक्षा की इतनी चाक-चौबंद व्यवस्था करता है कि यह किसी राष्ट्रीय पर्व जैसा एहसास कराता है।

भावनाओं का संगम: यह पर्व, जो दिलों को जोड़ता है!

छत्तीसगढ़ में छठ महापर्व की आत्मा इसके सामाजिक-सांस्कृतिक समन्वय में बसी है। राज्य में बड़ी संख्या में प्रवासी पूर्वांचली समुदाय (बिहारी, झारखंडी) निवास करते हैं, जो अपनी परंपरा को पूरी शिद्दत से यहाँ निभाते हैं।

एकता की तस्वीर: यहाँ घाटों पर आपको वो अद्भुत नजारा दिखेगा, जब पूर्वांचल के लोग अपनी 'छठी मैया' के गीत गा रहे होंगे, और उनके साथ छत्तीसगढ़ के मूल निवासी भी हाथ जोड़कर सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में खड़े होंगे।

बदलती परंपरा: छठ पूजा की पवित्रता और प्रकृति प्रेम (सूर्य और जल की पूजा) से प्रभावित होकर अब स्थानीय छत्तीसगढ़िया समुदाय भी इस महापर्व में बढ़-चढ़कर शामिल हो रहा है। यह वास्तव में 'मिनी भारत' की एक खूबसूरत झाँकी है।

स्वच्छता का 'महा-अभियान': प्रकृति से प्रेम का सबसे बड़ा सबूत

छठ महापर्व की सबसे बड़ी खूबी है इसकी शुद्धता। छत्तीसगढ़ में व्रती (व्रत करने वाले) और आयोजक समितियाँ इसे 'स्वच्छता का सबसे बड़ा ब्रांड एंबेसडर' मानती हैं।

पवित्रता पर ज़ोर: पर्व से पहले नदी, तालाबों और जलाशयों के घाटों की सफाई एक जन-अभियान बन जाती है।

समर्पण की पराकाष्ठा: 36 घंटे का निर्जला व्रत, सात्विक जीवन शैली और प्रसाद (ठेकुआ, फल) बनाने में 'जीरो एरर' की शुद्धता... यह सिर्फ व्रत नहीं, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि का महायज्ञ है।

भव्यता और भक्ति: रायपुर से बिलासपुर तक 'छठ मय' माहौल

राजधानी रायपुर का खारुन नदी स्थित महादेवघाट हो, या औद्योगिक नगरी भिलाई के तालाब—हर जगह छठ के दौरान 'उत्सव और भक्ति' का माहौल होता है। घाटों पर बजते पारंपरिक छठ गीत, 'छठी मैया' की लोककथाएँ और डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देने का मनमोहक दृश्य हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है।

छत्तीसगढ़ ने छठ पूजा को केवल अपनाया नहीं है, बल्कि इसे स्थायी भव्यता और अटूट सांस्कृतिक मेल-जोल के साथ राष्ट्रीय स्तर पर एक नया आयाम दिया है। यह पर्व अब यहाँ की साझा विरासत बन चुका है।

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