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UP School: कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा से न रहने पाए अछूता! यूपी सरकार का फैसला, शारदा योजना के तहत स्कूल न जाने वाले बच्चों की होगी पहचान
UP School: उत्तर प्रदेश सरकार स्कूल न जाने वाले बच्चों की पहचान के लिए शारदा योजना के तहत सर्वेक्षण कार्यक्रम शुरू करने जा रही है।
UP School: शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए यूपी सरकार स्कूल न जाने वाले बच्चों की पहचान करेगी। उत्तर प्रदेश सरकार स्कूल से बाहर बच्चों की पहचान और उन्हें फिर से औपचारिक स्कूली शिक्षा से जोड़ने की उद्देश्य लिए 'स्कूल हर दिन आएं अभियान' (SHARDA) के तहत राज्यव्यापी घरेलू सर्वेक्षण कराने जा रही है। इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से कराने के साथ-साथ इसकी बारीकि से निगरानी भी की जाएगी। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सर्वेक्षण का पहला चरण 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगा, जबकि दूसरा चरण 16 अगस्त से 15 सितंबर, 2025 तक चलेगा।
स्कूल स्तरीय टीमें करेंगी सर्वेक्षण
ये सर्वेक्षण स्कूल स्तरीय टीमों द्वारा कराया जायेगा, जिसमें प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शिक्षा मित्र, प्रशिक्षक, बीटीसी प्रशिक्षु, गैर सरकारी संगठनों के स्वयंसेवक और अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल हैं। प्रत्येक स्कूल अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों जैसे कि मोहल्ले, बस्तियां या वार्ड को इन टीमों के बीच वितरित करेगा ताकि पूर्ण कवरेज सुनिश्चित हो सके।
6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों की होगी पहचान
इस सर्वेक्षण में ऐसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को शामिल किया जायेगा जिसमें झुग्गी-झोपड़ियों, ईंट भट्टों, खदानों, होटलों, आदिवासी क्षेत्रों और प्रवासी (खानाबदोश) समुदायों के परिवार शामिल हों। इन परिवारों से 6 से 14 वर्ष की आयु के ऐसे बच्चों की पहचान की जायेगी जो स्कूल नहीं जाते हैं। जारी बयान के अनुसार जिन बच्चों को ड्रॉपआउट माना जाता है, उनमें वे बच्चे शामिल हैं जिनका कभी नामांकन नहीं हुआ या जो 30 से अधिक संचयी दिनों से अनुपस्थित रहे हैं और जिन्होंने वार्षिक मूल्यांकन या NAT (राष्ट्रीय उपलब्धि परीक्षण) में 35 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त किए हैं। इस सर्वेक्षण में अत्यंत गरीब परिवारों के बच्चों को समाज कल्याण विभाग, श्रम विभाग और अन्य की प्रासंगिक सामाजिक कल्याण योजनाओं से जोड़ा जाएगा। इस पहल का उद्देश्य उनकी शिक्षा में स्थिरता और निरंतरता लाना है। सर्वेक्षण के दौरान पहचाने गए बच्चों को उनकी आयु के अनुसार उपयुक्त कक्षाओं में नामांकित किया जाएगा और स्कूल स्तर पर उन्हें गहन, पाठ्यक्रम-आधारित प्रशिक्षण दिया जाएगा।
बच्चों के ज्ञान का होगा मूल्यांकन
सर्वेक्षण में नामांकन के लगभग 15 दिन बाद, बच्चों के सीखने के स्तर को मापने के लिए शारदा ऐप का उपयोग करके एक आधारभूत मूल्यांकन किया जाएगा। इसके बाद, अक्तूबर, जनवरी और मार्च 2026 में तिमाही मूल्यांकन आयोजित किए जाएंगे। ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित नोडल शिक्षक और स्वयंसेवक इस विशेष प्रशिक्षण को देने और निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार बच्चों का मार्गदर्शन करने के लिए जिम्मेदार होंगे। प्रवासी परिवारों के बच्चों को उनके नए निवास स्थान पर नामांकन में मदद करने के लिए प्रवास प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। शिक्षक नियमित रूप से घर का दौरा और अभिभावकों से बातचीत करेंगे ताकि लगातार उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार का मानना है कि शिक्षा केवल अधिकार नहीं है, बल्कि हर बच्चे के भविष्य की गारंटी है।"
उन्होंने कहा, "अगर कोई बच्चा स्कूल नहीं पहुंच पाता है, तो शिक्षा उसके दरवाजे तक पहुंचनी चाहिए। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए शारदा जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "इस पहल से न केवल ड्रॉपआउट कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य को शैक्षिक समावेशन की दिशा में भी आगे बढ़ाया जाएगा।"
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