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शिक्षकों का दर्द मेरा दर्द! अखिलेश यादव का 'मास्टरस्ट्रोक', आखिर यूपी में क्यों खतरे में है शिक्षा और शिक्षकों का भविष्य?
UP Primary School Merger: यूपी में प्राइमरी स्कूल मर्जर को लेकर अखिलेश यादव ने शिक्षकों और अभिभावकों के लिये किया भावुक पोस्ट करते हुए बीजेपी पर हमला बोला है।
Lucknow News
Akhilesh Yadav on UP Primary School Merger: यूपी में कम संख्या वाले बच्चों के स्कूलों के 'मर्जर' को लेकर शिक्षक संगठन का विरोध प्रदर्शन जारी है। उत्तर प्रदेश सरकार उन गांव के उन सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है जिसमें छात्र नामंकन संख्या 20 या 20 से कम है। आदेश के मुताबिक, ऐसे स्कूलों को बंद करके उसमें पढ़ रहे छात्रों को पास के विद्यालयों में मर्जर किया जायेगा। सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए शिक्षक संगठन मैदान में उतर आया है। शिक्षक संगठन का कहना है कि "जब सरकार विधान सभा में छात्रों और शिक्षकों का अनुपात मानक के अनुसार बताती है तो प्राइमरी स्कूलों को बंद करने की जरुरत क्यों पड़ रही है?" आखिर सरकार बच्चों के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ कर रही है? सरकारी स्कूलों की स्थिती सुधारने के स्थान पर उन्हें बंद करने का निर्णय देश के भविष्य को अंधकार में ढकेलने जैसा है। स्कूलों को बंद करने के स्थान पर सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि गांव के स्कूलों में बच्चों की संख्या क्यूं कम है?
अखिलेश यादव ने शिक्षकों और अभिभावकों के लिये किया भावुक पोस्ट(Akhilesh Yadav Social Media Post)
इस मुद्दे पर शिक्षकों का सर्थन करते हुए अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav criticized the school merger) ने अपने सोशल मीडिया मीडिया हेंडल एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "स्कूल मर्जर के कारण शिक्षकों की संख्या और भी घट जाएगी। गाँवों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं होने से व असुरक्षा की वजह से मर्जर के बाद बच्चियाँ दूर के स्कूलों में नहीं भेजी जाएंगी, इससे स्त्री शिक्षा कम होगी, लोग अपने बच्चों को स्कूल से निकाल लेंगे लेकिन ये सब बातें परिवारवाले ही समझ सकते हैं।"
उन्होंने शिक्षकों के प्रति भाजपा सरकार के उदासीन रवैये को घेरे में लेते हुए लिखा, "भाजपा शिक्षकों को विरोध का एक ऐसा आंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य न करे जिससे हर क्षेत्र में ठहराव आ जाए। भाजपा शिक्षकों की समस्याओं के प्रति हमेशा बेरुख़ी का नज़रिया अपनाती है। भाजपा की सरकार एक हृदयहीन सरकार है। जिसमें संवेदना न हो वो सरकार नहीं चाहिए।"
स्कूल मर्ज होने से छात्रों पर क्या होगा असर?
छात्रों की कम संख्या वाले स्कूलों के बंद हो जाने से उन्हें पढ़ने के लिए अन्य स्कूलों में जाना पड़ेगा। सरकार ने आदेश तो जारी कर दिया पर ये नहीं सोचा कि उनेक इस फैसले से देश का भविष्य कहे जाने वाले उन मासूम बच्चों पर क्या असर पड़ेगा जिन्हें शिक्षा का अधिकार तो है पर सरकार शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें ढंग के स्कूल उपलब्ध नहीं करा पा रही है।
स्कूल कम तो शिक्षकों की भर्ती भी कम
विद्यालयों की संख्या कम होने से शिक्षकों की भर्ती पर भी असर पड़ सकता है। अगर स्कूलों की संख्या काम होगी तो उसी के आधार पर शिक्षकों की भर्ती में भी कमी आयेगी।
खस्ताहाल स्थिती में हैं कई बेसिक स्कूल
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार शिक्षा बजट के लिये 70,000 करोड़ से अधिक की धनराशि आवंटित की है साथ ही समय -समय पर सरकार की तरफ से विद्यालयों की मरम्मत और अन्य कार्यों के लिए भी खर्च किया जाता है। इन सब के बावजूद आज भी कई ऐसे विद्यालय हैं जहां बिजली,पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। इतना ही नहीं, कई स्कूलों में शौचालय तक की सुविधा नहीं है और जो शौचालय हैं भी वो काफी जरजर हालत में हैं कि उनका उपयोग भी नहीं किया जा सकता है। ऐसे स्कूल की छात्रों और महिला स्टाफ को काफी परेशानी होती है। सरकार को सभी स्कूलों में इन मूलभूत सुविधाओं की जांच करानी चाहिए और जहां जो कमी हो उसे पूरा करना चाहिए।
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