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रिसर्च में खुलासा: हर दिन खा रहे हैं ब्रेड? तो हो सकती हैं ये जानलेवा बीमारियां, हो जाएगी मौत!

Bread Side Effects: रोजाना ब्रेड खाने की आदत सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि ब्रेड को नियमित डाइट का हिस्सा न बनाएं।

Ragini Sinha
Published on: 19 Jun 2025 4:43 PM IST
Bread Side Effects
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 Bread Side Effects (SOCIAL MEDIA)

Bread Side Effect: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में लोग ऐसी चीजों की तलाश में रहते हैं, जो जल्दी बन जाए और पेट भी भर दे। ऐसे में ब्रेड लोगों का एक आम नाश्ता बन गया है। बच्चे हों या बड़े, ब्रेड पर मक्खन या जैम लगाकर खाना लगभग हर घर में आम है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि डेली ब्रेड खाने से हमारे शरीर को नुकसान होता है। जी हां... यही ब्रेड धीरे-धीरे आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है?

एक्सपर्ट का मानना है कि रोज ब्रेड खाने की आदत सिर्फ पेट ही नहीं, बल्कि मानसिक सेहत पर भी असर डाल सकती है। खासकर बाजार में मिलने वाली सफेद ब्रेड जो स्वाद में भले अच्छी हो, लेकिन शरीर के लिए जानलेवा हो सकती है।


शरीर पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव

  • डायबिटीज का खतरा: ब्रेड में ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत अधिक होता है, जिससे यह जल्दी पचती है और शरीर में ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है। जो लोग पहले से डायबिटीज के मरीज हैं उन्हें ब्रेड से परहेज करना चाहिए।
  • कोलेस्ट्रॉल और हार्ट की बीमारी: ब्रेड में फाइबर और जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
  • पाचन तंत्र पर असर: ब्रेड में ग्लूटेन और रिफाइंड कार्ब्स होते हैं, जो पेट में गैस, कब्ज और दस्त जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इसके लगातार सेवन से पेट की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है।
  • वजन बढ़ना: ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। अगर आप इसे रोज खा रहे हैं, तो वजन तेजी से बढ़ सकता है। खासतौर पर बिना एक्सरसाइज किए यह मोटापे की वजह बन सकता है।
  • लिवर और किडनी पर प्रभाव: ब्रेड में प्रिजर्वेटिव्स और केमिकल्स मिलाए जाते हैं ताकि यह लंबे समय तक खराब न हो। ये तत्व लिवर और किडनी को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर असर

ब्रेड का रोजाना सेवन न केवल शारीरिक सेहत बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, ब्रेड में मौजूद रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और ग्लूटेन दिमाग के न्यूरोकेमिकल्स के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। इससे व्यक्ति तनाव, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का शिकार हो सकता है। इसके अलावा, रोज ब्रेड खाने की आदत से ध्यान केंद्रित करने की कैपेसिटी में कमी आ सकती है।

व्यक्ति को कॉन्सनट्रेट होने में दिक्कत होती है और मानसिक थकावट भी महसूस होती है। ब्रेड में मौजूद तत्व शरीर में सूजन की स्थिति भी पैदा कर सकते हैं, जिससे दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इसलिए जरूरी है कि ब्रेड का सेवन सीमित मात्रा में किया जाए और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए संतुलित और पोषक आहार को प्राथमिकता दी जाए।


ऑटो-ब्रुअरी सिंड्रोम का खतरा

यह एक दुर्लभ बीमारी है, लेकिन हाल ही में इसकी चर्चा बढ़ी है। ब्रेड में Yeast का इस्तेमाल होता है। जब कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में ब्रेड खाता है, तो यह Yeast पेट में मौजूद कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मदद करता है, लेकिन साथ ही फर्मेंटेशन प्रक्रिया के दौरान शरीर में इथेनॉल बन जाती है। इसका नतीजा यह होता है कि व्यक्ति बिना शराब पिए नशे जैसा महसूस करता है। इसके लक्षणों में चक्कर आना, थकान, उलझन, और असामान्य व्यवहार शामिल हो सकते हैं। यह स्थिति Auto-Brewery Syndrome कहलाती है। अधिक मात्रा में ब्रेड खाने वालों में यह खतरा बढ़ जाता है।

कैसे करें बचाव?

रोजाना ब्रेड खाने की आदत सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि ब्रेड को नियमित डाइट का हिस्सा न बनाएं। इसकी जगह सप्ताह में 1-2 बार ही ब्रेड खाएं और बाकी दिनों में पौष्टिक विकल्पों को अपनाएं जैसे कि दलिया, उपमा, पोहा, पराठा या ताजे फल। ये न केवल पेट के लिए हल्के होते हैं बल्कि पोषण से भी भरपूर होते हैं। अगर ब्रेड खाना जरूरी हो, तो बाजार से होल व्हीट या मल्टी ग्रेन ब्रेड ही चुनें।


ध्यान दें कि ब्रेड में प्रिजर्वेटिव्स न हो, ताकि शरीर को रसायनों से नुकसान न पहुंचे। नाश्ते में अंकुरित अनाज, उबला अंडा, मूंग दाल चीला या फ्रूट-सलाद जैसे हेल्दी विकल्प शामिल करें। इससे शरीर को जरूरी फाइबर, प्रोटीन और विटामिन मिलते हैं। अगर ब्रेड खाने के बाद पेट दर्द, पाचन समस्या या मानसिक अस्वस्थता महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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