TRENDING TAGS :
हिंदी साहित्य के महायुग का अंत! आचार्य रामदरश मिश्र नहीं रहे, 102 वर्ष की उम्र में थम गई लेखनी की साँस
Acharya Ramdarash Mishra death: आचार्य रामदरश मिश्र का महाप्रयाण, हिंदी साहित्य के महायुग का अवसान
Acharya Ramdarash Mishra death
Acharya Ramdarash Mishra death: हिंदी साहित्य के एक महायुग का अवसान हो गया। आचार्य रामदरश मिश्र ने दैहिक स्वरूप से विदा ले लिया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरखपुर में डुमरी गांव के ब्राह्मण परिवार में 15 अगस्त 1924 को अवतरित इस साहित्य शिखर की अंतिम सांस आज अभी कुछ देर पहले ही रुक गई। आचार्य मिश्र ने 102 वर्ष का लंबा जीवन जीने के साथ ही हिंदी जगत को बहुत कुछ दिया है। आचार्य रामदरश मिश्र वास्तव में हिंदी साहित्य संसार के एक अप्रतिम नक्षत्र हैं। उनकी देह यात्रा पूरी हुई, विचारों की यात्रा तो निरंतर रहेगी, अनवरत, शोध सारथी बनकर। प्रतिष्ठित साहित्यकार । जितने समर्थ कवि उतने ही समर्थ उपन्यासकार और कहानीकार भी। अत्यंत लंबी साहित्य-यात्रा समय के कई मोड़ों से गुजरी है और नित्य नूतनता की छवि को प्राप्त होती गई है। आचार्य मिश्र किसी वाद के कृत्रिम दबाव में नहीं आये बल्कि उन्होंने अपनी वस्तु और शिल्प दोनों को सहज ही परिवर्तित होने दिया। अपने परिवेशगत अनुभवों एवं सोच को सृजन में उतारते हुए, उन्होंने गाँव की मिट्टी, सादगी और मूल्यधर्मिता को अपनी रचनाओं में व्याप्त होने दिया जो उनके व्यक्तित्व की पहचान भी है। गीत, नई कविता, छोटी कविता, लंबी कविता यानी कि कविता की कई शैलियों में उनकी सर्जनात्मक प्रतिभा ने अपनी प्रभावशाली अभिव्यक्ति के साथ-साथ गजल में भी उन्होंने अपनी सार्थक उपस्थिति रेखांकित की। इसके अतिरक्त उपन्यास, कहानी, संस्मरण, यात्रावृत्तांत, डायरी, निबंध आदि सभी विधाओं में उनका साहित्यिक योगदान बहुमूल्य है।
प्रारंभिक जीवन
डॉ॰ रामदरश मिश्र का जन्म हिन्दी तिथिनुसार श्रावण पूर्णिमा गुरुवार को गोरखपुर जिले के कछार अंचल के गाँव डुमरी में हुआ था। इनके पिता का नाम रामचन्द्र मिश्र और माता का नाम कमलापति मिश्र है। ये तीन भाई थे। स्व॰ राम अवध मिश्र, स्व॰रामनवल मिश्र तथा ये स्वयं, जिनमें ये सबसे छोटे हैं। उनसे छोटी एक बहन है कमला। मिश्र जी की प्रारंभिक शिक्षा मिडिल स्कूल तक गाँव के पास के एक स्कूल में हुई। फिर उन्होंने ढरसी गाँव स्थित ‘राष्ट्रभाषा विद्यालय’ से विशेष योग्यता बरहज से ‘विशारद’ और साहित्यरत्न की परीक्षाएँ पास कीं। 1945 में रामदरश जी वाराणसी चले गये और वहाँ एक प्राइवेट स्कूल में साल भर मैट्रिक की पढ़ाई की। मैट्रिक पास करने के पश्चात ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से जुड़ गये और वहीं से इंटरमीडिएट, हिन्दी में स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट किया। सन् 1956 में सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय, बड़ौदा में प्राध्यापक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। सन् 1958 में गुजरात विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गये और आठ वर्ष तक गुजरात में रहने के पश्चात 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय में आ गये। वहाँ से 1990 में प्रोफेसर के रूप में सेवामुक्त हुए।
साहित्यसेवा
आचार्य रामदरश मिश्र हिन्दी साहित्य संसार के बहुआयामी रचनाकार हैं। उन्होंने गद्य एवं पद्य की लगभग सभी विधाओं में सृजनशीलता का परिचय दिया है और अनूठी रचनाएँ समाज को दी है। चार बड़े और ग्यारह लद्यु उपन्यासों में मिश्र जी ने गाँव और शहर की जिन्दगी के संश्लिष्ट और सघन यथार्थ की गहरी पहचान की है। मिश्र जी की साहित्यिक प्रतिभा बहुआयामी है। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसी प्रमुख विधाओं में तो लिखा ही है, आत्मकथा- सहचर है समय, यात्रा वृत्त तथा संस्मरण भी लिखे हैं। यात्राओं के अनुभव तना हुआ इन्द्रधनुष, भोर का सपना,घर से घर तक, देश-यात्रा तथा पड़ोस की खुशबू में अभिव्यक्त हुए हैं। मिश्र जी ने छहसंस्मरण पुस्तकें लिखी हैं - स्मृतियों के छन्द, अपने-अपने रास्ते, एक दुनिया अपनी, सहयात्राएँ, सर्जना ही बड़ा सत्य हैऔर सुरभित स्मृतियाँ ।उन्होंने अपनी संस्मरण पुस्तक स्मृतियों के छन्द में उन अनेक वरिष्ठ लेखकों, गुरुओं और मित्रों के संस्मरण दिये हैं जिनसे उन्हें अपनी जीवन-यात्रा तथा साहित्य-यात्रा में काफी कुछ प्राप्त हुआ है। हिंदी के प्रसिद्द रचनाकारों के संस्मरण 'सुरभित स्मृतियाँ'संकलित हैं जोकि कोरोना काल में लिखे गए । ये रचना-कर्म के साथ-साथ आलोचना कर्म से भी जुड़े रहे हैं। उन्होंने आलोचना, कविता और कथा के विकास और उनके महत्वपूर्ण पड़ावों की बहुत गहरी और साफ पहचान की है।‘हिन्दी उपन्यास : एक अंतयात्रा, ‘हिन्दी कहानी : अंतरंग पहचान’, ‘हिन्दी कविता : आधुनिक आयाम’, ‘छायावाद का रचनालोक’ उनकी महत्त्वपूर्ण समीक्षा-पुस्तकें हैं।।मिश्र जी ने अपनी सृजन-यात्रा कविता से प्रारंभ की थी और आज तक ये उसमें शिद्दत से जी रहे हैं। उनका पहला काव्य संग्रह ‘पथ के गीत’ 1951 में प्रकाशित हुआ था। तब से आज तक उनके मुख्य पंद्रह कविता संग्रह आ चुके हैं। ये हैं - ‘‘बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ’, ‘पक गयी है धूप’, ‘कंधे पर सूरज’, ‘दिन एक नदी बन गया’, ‘जुलूस कहां जा रहा है’, ‘आग कुछ नहीं बोलती’, ‘बारिश में भीगते बच्चे और ‘हंसी ओठ पर आँखें नम हैं’, (गजल संग्रह)- ‘ऐसे में जब कभी’, आम के पत्ते, तू ही बता ऐ जिंदगी (ग़ज़ल संग्रह),हवाएँ साथ हैं (ग़ज़ल संग्रह),कभी-कभी इन दिनों, धूप के टुकड़े, आग की हँसी, लमहे बोलते हैं, और एक दिन, मैं तो यहाँ हूँ, अपना रास्ता, रात सपने में, सपना सदा पलता रहा(ग़ज़ल संग्रह), पचास कविताएँ, रामदरश मिश्र की लंबी कविताएँ, दूर घर नहीं हुआ (ग़ज़ल संग्रह), बनाया है मैंने ये घर धीरे धीरे (ग़ज़ल संग्रह) नवीनतम काव्य संग्रह है।रामदरश मिश्र ने समय-समय पर ललित निबंध भी लिखे हैं जोकि कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर-परिवेश, छोटे-छोटे सुख, नया चौराहा में संग्रहीत हैं । इन निबंधों ने अपनी वस्तुगत मूल्यत्ता तथा भाषा शैलीगत सहजता से लेखकों और पाठकों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। मिश्र जी ने देशी यात्राओं के अतिरिक्त नेपाल, चीन, उत्तरी दक्षिणी कोरिया, मास्को तथा इंग्लैंड की यात्राएँ की हैं।
कृतियाँ
काव्यः पथ के गीत, बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कन्धे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है?, रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं (ग़ज़ल संग्रह), ऐसे में जब कभी, आम के पत्ते, तू ही बता ऐ जिंदगी (ग़ज़ल संग्रह),हवाएँ साथ हैं (ग़ज़ल संग्रह),कभी-कभी इन दिनों, धूप के टुकड़े, आग की हँसी, लमहे बोलते हैं, और एक दिन, मैं तो यहाँ हूँ, अपना रास्ता, रात सपने में, सपना सदा पलता रहा(ग़ज़ल संग्रह), पचास कविताएँ, रामदरश मिश्र की लंबी कविताएँ, दूर घर नहीं हुआ (ग़ज़ल संग्रह), बनाया है मैंने ये घर धीरे धीरे (ग़ज़ल संग्रह)।
उपन्यासः पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफर, आकाश की छत, आदिम राग,बिना दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का, एक बचपन यह भी, एक था कलाकार।
कहानी संग्रहः खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसन्त का एक दिन, इकसठ कहानियाँ, मेरी प्रिय कहानियाँ, अपने लिए, अतीत का विष, चर्चित कहानियाँ, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ, आज का दिन भी, एक कहानी लगातार, फिर कब आएँगे?, अकेला मकान, विदूषक, दिन के साथ, मेरी कथा यात्रा, विरासत, इस बार होली में, चुनी हुई कहानियाँ, संकलित कहानियाँ, लोकप्रिय कहानियाँ, 21 कहानियाँ, नेता की चादर, स्वप्नभंग, आखिरी चिट्ठी, कुछ यादें बचपन की (बाल साहित्य), इस बार होली में।
ललित निबन्धः कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर-परिवेश, छोटे-छोटे सुख, नया चौराहा।
आत्मकथाः सहचर है समय।
यात्रावृतः घर से घर तक, देश-यात्रा।
डायरीः आते-जाते दिन, आस-पास, बाहर-भीतर, विश्वास ज़िन्दा है।
आलोचना:
1. हिंदी आलोचना का इतिहास (हिंदी समीक्षा: स्वरूप और संदर्भ, हिंदी आलोचना प्रवृत्तियां और आधार भूमि), 2. ऐतिहासिक उपन्यासकार वृन्दावन लाल वर्मा
3. साहित्य: संदर्भ और मूल्य
4. हिंदी उपन्यास एक अंतर्यात्रा
5. आज का हिंदी साहित्य संवेदना और दृष्टि
6. हिंदी कहानी: अंतरंग पहचान
7. हिंदी कविता आधुनिक आयाम (छायावादोत्तर हिंदी कविता)
8. छायावाद का रचनालोक
9. आधुनिक कविता: सर्जनात्मक संदर्भ, 10. हिंदी गद्यसाहित्य: उपलब्धि की दिशाए
11. आलोचना का आधुनिक बोध।
रचनावलीः 14 खण्डों में, कविता संग्रह, कहानी-समग्र।
संस्मरणः स्मृतियों के छन्द, अपने-अपने रास्ते, एक दुनिया अपनी, सहयात्राएँ, सर्जना ही बड़ा सत्य है,सुरभित स्मृतियाँ ।
साक्षात्कार: अंतरंग, मेरे साक्षात्कार, संवाद यात्रा।
संचयनःबूँद बूँद नदी, नदी बहती है, दर्द की हँसी, सरकंडे की कलम।
रामदरश मिश्र के साहित्य पर समीक्षा पुस्तकें
1. उपन्यासकार रामदरश मिश्र सं॰ डॉ॰ वेद प्रकाश अमिताभ तथा डॉ॰ प्रेम कुमार, वाणी प्रकाशन, दिल्ली (1982)
2. कथाकार रामदरश मिश्र ले॰ डॉ॰ सूर्यदीन यादव, इंद्रप्रस्थ प्रकाशन, दिल्ली (1987)
3. रचनाकार रामदरश मिश्र सं॰ डॉ॰ नित्यानंद तिवारी तथा डॉ॰ ज्ञानचंद गुप्त, राधा पब्लिकेशन, दिल्ली (1990)
4. रामदरश मिश्र की सृजन यात्रा ले॰ डॉ॰ महावीर सिंह चौहान, वाणी प्रकाशन, दिल्ली (1991)
5. कवि रामदरश मिश्र स॰ डॉ॰ महावीरसिंह चौहान तथा डॉ॰ नवनीत गोस्वामी, संस्कृति प्रकाशन अहमदाबाद (1991)
6. रामदरश मिश्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व ले॰ डॉ फूलबदन यादव, राधा प्रकाशन, दिल्ली (1992)
7. मूल्य और मूल्य संक्रमण (रामदरश मिश्र के उपन्यासों के संदर्भ में ले॰ डॉ॰ विनीता राय, अनिल प्रकाशन इलाहाबाद (1999)
8. रामदरश मिश्र: व्यक्ति और अभिव्यक्ति स॰ डॉ॰ स्मिता मिश्र तथा डॉ जगन सिंह वाणी प्रकाशन, दिल्ली (1999)
9. रामदरश मिश्र: रचना समय ले॰ डॉ॰ वेद प्रकाश अमिताभ, भारत पुस्तक भंडार, दिल्ली (1999)
10. रामदरश मिश्र की उपन्यास यात्रा ले॰ डॉ॰ प्रभुलाल डी॰ वैश्य, डॉ॰ गुंजनशाह, शाह प्रकाशन अहमदाबाद (2001)
11.रामदरश मिश्र के उपन्यास: चेतना के स्वर डॉ॰ गुंजन शाह, साहित्य भारती, दिल्ली (2002)
12.रामदरश मिश्र के उपन्यासों में समाज-जीवन डॉ॰ प्रकाश चिर्कुडेकर, नमन प्रकाशन, दिल्ली (2002)
13. रामदरश मिश्र की कहानियों में यथार्थ चेतना और मूल्य बोध डॉ॰ राधेश्याम सारस्वत अम्बा जी, गुजरात (2002)
14. रामदरश मिश्र के उपन्यासों में ग्राम चेतना (जल टूटता हुआ’ के संदर्भ में) डॉ॰ ममता शर्मा राष्ट्रीय ग्रंथ प्रकाशन गांधी नगर (2002)
15. रामदरश मिश्र: एक अंतर्यात्रा डॉ॰ प्रकाश मनु, वाणी प्रकाशन दिल्ली (2004)
16. रामदरश मिश्र के उपन्यासों की वैचारिक पृष्ठभूमि डॉ॰ सीमा वैश्य, सत्यम पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली (2004)
17. रामदरश मिश्र की कविता: सृजन के रंग डॉ॰ सूर्यदीन यादव, शांति पुस्तक भंडार, दिल्ली (2005)
18. रामदरश मिश्र के उपन्यासों में गृह- परिवार डॉ॰ यशवंत गोस्वामी, नया साहित्य केंद्र, दिल्ली (2005)
19. रामदरश मिश्र के उपन्यासों में नारी डॉ॰ मनहर गोस्वामी, नया साहित्य केंद्र, दिल्ली (2005)
20.रामदरश मिश्र की कहानियों में पारिवारिक सम्बन्धों का स्वरूप डॉ॰ अमिता, स्वराज प्रकाशन दिल्ली (2006)
21. रामदरश मिश्र के उपन्यासों में आंचलिकता डॉ॰ श्रीधर प्रदीप, अमर प्रकाशन मथुरा, (2004)
22. रामदरश मिश्र के उपन्यासों में ग्रामीण परिवेश अनिल काले, चिंतन प्रकाशन कानपुर (2007)
23. रामदरश मिश्र के साहित्य में ग्राम्य जीवन डॉ॰ वीरचन्द्र जी चौहान, चिंतन प्रकाशन कानपुर (2006)
योगदान
प्राय: सभी भारतीय भाषाओं में मिश्र जी की कविताओं और कहानियों के अनुवाद हुए हैं। उनका एक उपन्यास ‘अपने लोग’ गुजराती में अनूदित है। उनकी रचनाओं विभिन्न स्तरों के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही हैं और देश के अनेक विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर अनेक शोध् कार्य हो चुके हैं और लगातार हो रहे हैं। मिश्र जी देश की अनेक साहित्यिक और अकादमिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किये जा चुके हैं। 21 अप्रैल 2007 को पटना में प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका "नई धारा" द्वारा तृतीय उदयराज सिंह स्मारक व्याख्यान तथा साहित्यकार सम्मान समारोह में प्रसिद्ध साहित्यकार उदयराज सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती शीला सिन्हा ने डॉ॰ रामदरश मिश्र को "उदयराज सिंह स्मृति सम्मान" से सम्मानित किया। उनकी अनेक कृतियाँ पुरस्कृत हुई हैं। ये अनेक साहित्यिक, अकादमिक और सामाजिक संस्थाओं के अध्यक्ष रह चुके हैं। कई लघु पत्रिकाओं के सलाहकार संपादक रहे ।
प्रमुख पुरस्कार
1) सरस्वती सम्मान (2021) -के. के. बिरला फाउंडेशन
2) साहित्य अकादमी (2015)
3) भारत भारती सम्मान (2005) - उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ
4) शलाका सम्मान (2001) - हिंदी अकादमी, दिल्ली
5) व्यास सम्मान (2011) - के. के. बिरला फाउंडेशन
6) उदयराज सिंह स्मृति सम्मान (2007) - नई धारा, पटना
7) विश्व हिंदी सम्मान (2015) –विश्व हिंदी सम्मलेन
8) शान ए हिंदी खिताब (2017) - साहित्योत्सव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र
9) महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान (2004) - केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
10) दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान (1998)
11) डॉ. रामविलास शर्मा सम्मान (2003) - आल इंडिया कान्फ्रेन्स ऑफ़ इंटलेक्चुएल्स, आगरा चैप्टर
12) साहित्य वाचस्पति (2008) - हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग
13) साहित्य भूषण सम्मान (1996) - उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ
14) साहित्यकार सम्मान (1984) - हिंदी अकादमी, दिल्ली
15) नागरी प्रचारिणी सभा सम्मान, आगरा (1996)
16) अक्षरम शिखर सम्मान (2008) - दिल्ली
17) राष्ट्रीय साहित्यिक पुरस्कार (2012) - श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर
18) प्रभात शास्त्री सम्मान (2018) - हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग
19) साहित्य शिरोमणि सम्मान (2018) - अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच
20) पूर्वांचल साहित्य सम्मान (2005) दिल्ली
21) सारस्वत सम्मान (2006) - समन्वय, सहारनपुर
पुरस्कृत कृतियाँ :
आग की हँसी (साहित्य अकादमी), रोशनी की पगडंडियां (हिंदी अकादमी दिल्ली), ‘हिंदी आलोचना का इतिहास‘, ‘जल टूटता हुआ‘, ‘हिंदी उपन्यास एक अन्तर्यात्रा‘, ‘अपने लोग‘, ‘एक वह‘, ‘कंधे पर सूरज‘, ‘कितने बजे हैं‘, ‘जहां मैं खड़ा हूँ‘, ‘आज का हिन्दी साहित्यः संवेदना और दृष्टि‘ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान) ‘अपने लोग‘ (आथर्स गिल्ड), ‘मैं तो यहाँ हूँ’,‘आम के पत्ते‘ (के.के. बिरला फाउंडेशन)
आत्मकथाः सहचर है समय।
यात्रावृतः घर से घर तक, देश-यात्रा।
डायरीः आते-जाते दिन, आस-पास, बाहर-भीतर, विश्वास ज़िन्दा है, मेरा कमरा ।
आलोचना: 1. हिंदी आलोचना का इतिहास (हिंदी समीक्षा: स्वरूप और संदर्भ, हिंदी आलोचना प्रवृत्तियां और आधार भूमि), 2. ऐतिहासिक उपन्यासकार वृन्दावन लाल वर्मा, 3. साहित्य: संदर्भ और मूल्य, 4. हिंदी उपन्यास एक अंतर्यात्रा, 5. आज का हिंदी साहित्य संवेदना और दृष्टि, 6. हिंदी कहानी: अंतरंग पहचान, 7. हिंदी कविता आधुनिक आयाम (छायावादोत्तर हिंदी कविता), 8. छायावाद का रचनालोक, 9. आधुनिक कविता: सर्जनात्मक संदर्भ, 10. हिंदी गद्य साहित्य: उपलब्धि की दिशाएँ 11. आलोचना का आधुनिक बोध|
रचनावलीः 14 खण्डों में, कविता संग्रह, कहानी-समग्र |
संस्मरणः स्मृतियों के छन्द, अपने-अपने रास्ते, एक दुनिया अपनी, सर्जना ही बड़ा सत्य है।
साक्षात्कार: अंतरंग, मेरे साक्षात्कार, संवाद यात्रा|
संचयनःबूँद बूँद नदी, नदी बहती है, दर्द की हँसी, सरकंडे की कलम।
अनुवाद
अंग्रेजी
1) The Laughing Flames and other Poems (Poetry) Sahitya Academy (2021) (आग की हँसी)अनुवादक-उमेश कुमार
2) Down of Red Flames (Novel), Kritika Books, Delhi (2000)
(रात का सफर) अनु.- अनिल राजिम वाला
3) Modern Hindi Fiction (Criticism), Bansal& Co., Delhi (1983)
(हिन्दी उपन्यास एक अंतर्यात्रा तथा हिन्दी कहानी अन्तरंग पहचान) अनुवादक- डॉ. ए.एन. जौहरी
4) The Sky Before Her and Other Short Stories, Radha Publication, Delhi (1998)
(चुनी हुई कहानियाँ )अनु. -वाई.एन. निगम
गुजराती
1. आगनी हँसी (2021),साहित्य अकादमी ,(आग की हँसी)अनुवादक-आलोक गुप्ता
2. आदिम राग(Novel) दर्पण प्रकाशन, नडियाद (2006)
(आदिम राग)अनु.- डॉ. यशवंत गोस्वामी
3.सगा बहालां (Novel)Rangdwar Prakashan, Ahmadabad (1989)
(अपने लोग)अनु.- मणिलाल पटेल
4. रात नी सफर (Novel)दर्पण प्रकाशन, नडियाद (2006)(रात का सफर) अनु.-डॉ. यशवंत गोस्वामी
5.दरवाजा बगरनु मकान (Novel)दर्पण प्रकाशन, नडियाद (2006)
(बिना दरवाजे का मकान)अनु.-डॉ. यशवंत गोस्वामी
मराठी
1. आगीचं हास्य (आग की हँसी ) साहित्य अकादमी 2022
अनुवाद दिलीप भाउ राव पाटील
कन्नड़
6. रात्रिण पयाण (Novel)(रात का सफर) अनु.-जी. चन्द्रशेखर
मलयालम
7. रात्रिदूल ओस यात्रा (Novel) (रात का सफर) अनु.- डॉ. जयकृष्णन जे
पंजाबी
1. आग दी हसी(2021),साहित्य अकादमी , (आग की हँसी)अनुवादक-अमरजीत कौर
2. चोनवींआं कहानी रामदरश मिसरीआं साहित्य अकादेमी पुरस्कृत (रामदरश मिश्र: संकलित कहानियाँ) अनु.- ज़िंदर
अकादमिक एवं साहित्यिक पद
1. अध्यक्ष, भारतीय लेखक संगठन 1984-1990
2. प्रधान सचिव, साहित्यिक संघ, वाराणसी 1952-55
3. अध्यक्ष, गुजरात हिन्दी प्राध्यापक परिषद 1960-64
4. अध्यक्ष, मीमांसा, नई दिल्ली
5. अनेक मंत्रालयों में हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य
6. गुजरात विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी केन्द्र के प्रभारी प्रोफेसर (1959-64)
7. प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय
8. अनेक विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम समिति के सदस्य
9. साहित्य अकादमी, हिन्दी अकादमी, दिल्ली तथा अनेक विश्वविद्यालयों तथा प्रतिष्ठित संस्थाओं की संगोष्ठियों की अध्यक्षता
10. कई पत्रिकाओं के सलाहकार संपादक
11. अध्यक्ष, प्रबंध समिति, राजधानी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय (1999-2000)
साहित्यिक उपलब्धियाँ
1. रचनाओं का देश की प्रायः सभी भाषाओं में अनुवाद।
2. अनेक विश्वविद्यालयों तथा विद्यालयों के पाठ्यक्रम में रचनाएँ।
3. देश के अनेक विश्वविद्यालयों में 250 के लगभग पीएच.डी. एवं एम.फिल. शोधकार्य।
4. रचनाओं पर कई समीक्षात्मक ग्रंथ प्रकाशित।
5 अनेक पत्रिकाओं के विशेषांक प्रकाशित
महान और विराट चिंतन परंपरा के महान आचार्य के महाप्रयाण पर उन्हें सादर नमन।
ॐ शांति।।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!



