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आज 2 बजे अमित शाह के घर पर होगी BJP नेताओं की बैठक, 'NDA' में सीट बंटवारे पर हो सकता है बड़ा फैसला
अमित शाह ने बिहार में एनडीए सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए बीजेपी नेताओं की अहम बैठक बुलाई।
Amit Shah meeting with BJP leaders: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां अब दिल्ली तक पहुंच गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए कमर कस ली है, और इस रणनीति के केंद्र में हैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। उन्होंने 3 सितंबर को अपने आवास पर एक बेहद महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसका मुख्य एजेंडा बिहार में एनडीए गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना है। इस बैठक में बिहार बीजेपी के कई दिग्गज नेता शामिल हो रहे हैं, और कयास लगाए जा रहे हैं कि आज सीटों पर 'फाइनल डील' हो सकती है। यह बैठक इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बीजेपी ने बिहार में अपनी चुनावी मशीनरी को पूरी रफ्तार दे दी है।
रणनीति का केंद्र: दिल्ली और बिहार का गठजोड़
अमित शाह की बैठक में बिहार बीजेपी के बड़े चेहरे जैसे प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, साथ ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय मौजूद रहेंगे। यह बैठक न केवल दिल्ली में रणनीति बनाने का हिस्सा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
इस बैठक से ठीक पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिहार को लेकर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने 2 सितंबर को बिहार के लिए करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन किया और 13 सितंबर को वह स्वयं पूर्णिया हवाई अड्डे का उद्घाटन करने के लिए बिहार आएंगे। इन कदमों से यह साफ है कि बीजेपी अपनी चुनावी रणनीति को न केवल दिल्ली में, बल्कि जमीनी स्तर पर भी मजबूत कर रही है।
सीट बंटवारे की चुनौती: क्या चिराग पासवान की मांग पूरी होगी?
एनडीए के भीतर सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं है। बीजेपी को अपने सहयोगी दलों जैसे चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर), और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा की महत्वाकांक्षाओं को भी संतुलित करना होगा।
हाल ही में, एलजेपी (आर) के सांसद अरुण भारती ने अपनी पार्टी के लिए 135 सीटों तक की मांग करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने तर्क दिया कि 2015 में उनकी पार्टी ने एनडीए के साथ 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि 2020 में 137 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा था। इस आधार पर, उन्हें 43 से 135 सीटों के बीच सीटें मिलनी चाहिए। ऐसी स्थिति में, अमित शाह की बैठक न केवल बीजेपी की रणनीति को अंतिम रूप देगी, बल्कि गठबंधन सहयोगियों के बीच संतुलन बनाने की भी कोशिश करेगी, ताकि बिहार में एनडीए की जीत सुनिश्चित की जा सके। यह बैठक बिहार की राजनीतिक दिशा तय करेगी, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सभी दल एक समझौते पर पहुंच पाते हैं या नहीं।
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