स्कूल से कॉलेज तक और बैंक से डाक तक, जानें 9 जुलाई को भारत बंद में क्या - क्या खुला रहेगा

Bharat Bandh 9 July 2025: कल यानी 9 जुलाई को हकीकत बनने जा रही है क्योंकि 25 करोड़ से ज़्यादा मज़दूर और कर्मचारी भारत बंद का ऐलान कर चुके हैं। जी हां, मंगलवार को भारत की सड़कें गरजेंगी, और आवाज़ आएगी उन लोगों की जो अब चुप नहीं बैठना चाहते।

Harsh Srivastava
Published on: 8 July 2025 5:37 PM IST (Updated on: 8 July 2025 7:41 PM IST)
स्कूल से कॉलेज तक और बैंक से डाक तक, जानें 9 जुलाई को भारत बंद में क्या - क्या खुला रहेगा
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Bharat Bandh 9 July 2025: कल्पना कीजिए… सुबह 9 बजे आप बैंक पहुंचते हैं और दरवाज़े पर ताला लटक रहा है। पास के डाकघर में सन्नाटा पसरा है। शहर की सड़कों पर बसें नहीं, बल्कि गुस्से से लबरेज़ हज़ारों लोग नारे लगा रहे हैं। कोयले की खदानों में अजीब-सी ख़ामोशी है, और निर्माण कार्य पूरी तरह ठप। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि कल यानी 9 जुलाई को हकीकत बनने जा रही है क्योंकि 25 करोड़ से ज़्यादा मज़दूर और कर्मचारी भारत बंद का ऐलान कर चुके हैं। जी हां, मंगलवार को भारत की सड़कें गरजेंगी, और आवाज़ आएगी उन लोगों की जो अब चुप नहीं बैठना चाहते। बैंकिंग से लेकर खनन तक, डाक से लेकर परिवहन तक सार्वजनिक सेवाओं की रफ्तार थमने वाली है, क्योंकि यह हड़ताल सिर्फ छुट्टी नहीं, एक सीधा अल्टीमेटम है मोदी सरकार को।

क्यों हो रहा है इतना बड़ा भारत बंद?

ये कोई छोटी-मोटी हड़ताल नहीं। इसे बुलाया है देश की 10 सबसे बड़ी ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे ने, जिनके साथ हैं किसान संगठन, ग्रामीण कर्मचारी, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी और करोड़ों असंतुष्ट युवा। इन सबका आरोप है कि सरकार अब मज़दूर की बात नहीं सुनती, सिर्फ कॉर्पोरेट्स को फायदा पहुंचाने वाली नीतियां बना रही है। सरकार जिन चार नए श्रम संहिताओं को लागू करना चाहती है, वे मज़दूरों के हड़ताल करने और यूनियन बनाने के अधिकारों को कमजोर करती हैं। सामूहिक सौदेबाज़ी को खत्म किया जा रहा है, बेरोज़गारी आसमान छू रही है, और महंगाई से पेट की आग बुझाना मुश्किल होता जा रहा है।

सरकार के नाम खुला एलान: ये बंद नहीं चेतावनी है!

संयुक्त मोर्चा ने इस बंद को सरकार के सामने सीधा राजनीतिक और आर्थिक संदेश करार दिया है। उनका कहना है कि जब तक मज़दूरों की आवाज़ नहीं सुनी जाएगी, तब तक भारत के हर कोने से विरोध की गूंज उठेगी।

क्या होगा बंद? और क्या रहेगा चालू? जानिए पूरे देश का हाल

कल यानी 9 जुलाई को कई अहम सेक्टर पूरी तरह ठप रहेंगे। इसमें शामिल हैं:

सभी राष्ट्रीयकृत और ग्रामीण बैंक – मतलब बैंकिंग सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी। चेक क्लियरिंग, नकदी निकासी, ट्रांजैक्शन में देरी होगी।

भारतीय डाक सेवा – पोस्टमैन से लेकर स्पीड पोस्ट, सब कुछ थम जाएगा।

कोयला खनन और इस्पात उत्पादन – ऊर्जा आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, खासतौर पर इंडस्ट्रियल ज़ोन में।

राज्य परिवहन – कई राज्यों में सरकारी बस सेवाएं सड़कों से नदारद रहेंगी।

बीमा कंपनियां और सरकारी ऑफिस – इनका संचालन प्रभावित होगा।

निर्माण और औद्योगिक क्षेत्र – मज़दूरों के बाहर निकलने से प्रोजेक्ट्स रुक सकते हैं।

कौन-कौन संगठन खड़े हैं इस भारत बंद में?

इन बड़े संगठनों का समर्थन बंद को मिला है:

AITUC, INTUC, CITU, HMS, SEWA, LPF, UTUC जैसे ट्रेड यूनियन दिग्गज, संयुक्त किसान मोर्चा और देश भर के ग्रामीण संगठनों का समर्थन

रेलवे, इस्पात उद्योग, कोयला खनन और NMDC जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी

क्या मांग कर रहे हैं ये 25 करोड़ लोग?

इनका कहना है – बस अब बहुत हो गया...

चारों श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए, क्योंकि ये मज़दूरों को श्रमिक नहीं गुलाम बना रही हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र में भर्तियों की बहाली हो और खाली पदों को तत्काल भरा जाए।

मनरेगा की मज़दूरी बढ़े और यह सिर्फ गांवों तक सीमित न रहकर शहरों तक फैलाई जाए।

स्वास्थ्य और शिक्षा में निजीकरण पर रोक लगे, और सरकार इन मूलभूत सुविधाओं को फिर से मज़बूत करे।

युवाओं के लिए ठोस रोजगार योजनाएं लाई जाएं, सिर्फ दिखावटी पोर्टल और वादों से काम नहीं चलेगा।

लेकिन क्या सबकुछ बंद रहेगा?

नहीं, राहत की बात ये है कि कुछ सुविधाएं सामान्य रहेंगी:

स्कूल और कॉलेज खुले रहेंगे, खासतौर पर निजी संस्थान

निजी कंपनियों और कार्यालयों में कामकाज जारी रहेगा

रेलवे सेवाएं बंद नहीं होंगी, लेकिन हड़ताल की वजह से ट्रेन संचालन में देरी की संभावना है

हॉस्पिटल और आपातकालीन सेवाएं – जैसे एम्बुलेंस, दवा दुकानों आदि पर असर नहीं पड़ेगा

क्या यह सिर्फ एक हड़ताल है या किसी बड़े आंदोलन की शुरुआत?

ट्रेड यूनियन नेताओं की मानें, तो 9 जुलाई का भारत बंद महज़ एक शुरुआत है। अगर सरकार ने इसे हल्के में लिया या मांगे नहीं मानी, तो देश के प्रत्येक सेक्टर में चरणबद्ध आंदोलन शुरू हो सकता है। और तब असर इतना व्यापक होगा कि सरकार की अर्थव्यवस्था से लेकर उसकी साख तक हिल सकती है।

अब जनता के लिए सबसे बड़ा सवाल

अगर आपको कल बैंक जाना है, या डाक से कोई ज़रूरी दस्तावेज़ आना है, या आपको कोयले से जुड़े उद्योगों में किसी सप्लाई का इंतज़ार है तो संभल जाइए। क्योंकि 9 जुलाई को भारत थमेगा, और उसकी गूंज सिर्फ शहरों में नहीं, गांवों और खेतों से भी सुनाई देगी।

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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