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Bihar Assembly Election: क्या कहता है बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का पूरा चुनावी गणित?
Bihar Assembly Election Update: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। यह वह चुनाव था जिसमें सत्ता की बागडोर तो एनडीए गठबंधन के पास रही, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी विपक्ष से यानी आरजेडी के खाते में गई।
Bihar Chunav 2020 Results and Political Analysis
Bihar Assembly Election Update: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। यह वह चुनाव था जिसमें सत्ता की बागडोर तो एनडीए गठबंधन के पास रही, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी विपक्ष से यानी आरजेडी के खाते में गई। गठबंधन राजनीति, जातीय समीकरण और नेतृत्व की प्रतिष्ठा — इन तीनों ने इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाई।कुल 243 सीटों में से बहुमत का आंकड़ा 122 था। एनडीए ने 125 सीटें जीतकर सत्ता पर क़ब्ज़ा बनाये रखा। लेकिन इस बहुमत तक पहुँचने की कहानी बहुत उतार-चढ़ाव भरी थी।पर इस चुनावी नतीजों का टिकट बंटवारे में खासी भूमिका दी जा रही है। इस बार एनडीए और महागठबंधन दोनों को अपने अपने गठबंधन के दलों को सीटें देने में बीते चुनाव के स्ट्राइक रेट का ख़ासा ख्याल रखा जा रहा है। ऐसे में बीते चुनावों के हर दल को स्ट्राइक रेट पर नज़र डालना ज़रूरी हो जाता है-
एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का प्रदर्शन
एनडीए में मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) शामिल थे।
इस गठबंधन ने कुल 125 सीटें जीतीं।
इनमें बीजेपी को 74 सीटें मिलीं।
बीजेपी ने कुल 110 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, यानी उसका स्ट्राइक रेट लगभग 67 फीसदी रहा — यह पूरे बिहार चुनाव में सबसे बेहतर प्रदर्शन था।
बीजेपी ने इस चुनाव में लगभग 19.46 फीसदी वोट शेयर हासिल किया, जो पिछले यानी 2015 के विधानसभा चुनाव की तुलना में काफ़ी अधिक था।
जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड), जो नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ी थी, ने 115 सीटों पर मुकाबला किया लेकिन केवल 43 सीटें जीत सकी।इसका स्ट्राइक रेट मात्र 37 फीसदी रहा।2015 के मुकाबले यह उसके लिए भारी गिरावट थी। जब वह आरजेडी के साथ गठबंधन में थी और 71 सीटें जीती थी।जेडीयू का वोट शेयर लगभग 15.4 फीसदी दर्ज किया गया।
छोटे सहयोगियों में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 4 सीटें मिलीं जबकि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को 4 सीटें मिलीं।दोनों दलों ने सीमित सीटों पर चुनाव लड़ा था और उनका स्ट्राइक रेट करीब 25-30 फीसदी के बीच रहा।इन दलों की भूमिका इतनी ही थी कि उन्होंने एनडीए के बहुमत में कुछ ज़रूरी अंक जोड़ दिए।
महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वाम दलों) का प्रदर्शन
दूसरी तरफ महागठबंधन (या INDIA ब्लॉक) ने जबरदस्त टक्कर दी थी।
यह गठबंधन राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस, और वाम दलों — यानी भाकपा (CPI), भाकपा (माले), और भाकपा (एम) — का संयोजन था।
आरजेडी ने इस चुनाव में 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 75 सीटें जीतीं।
इस तरह उसका स्ट्राइक रेट लगभग 52 फीसदी रहा। जो काफी मजबूत प्रदर्शन माना गया।आरजेडी को लगभग 23.1 फीसदी वोट शेयर मिला और वह सबसे अधिक वोट पाने वाली पार्टी बनी।तेजस्वी यादव इस चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में एक निर्णायक युवा चेहरा बनकर उभरे।
कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल 19 सीटें जीत सकी।इसका स्ट्राइक रेट महज़ 27 फीसदी रहा, जो गठबंधन में सबसे कमजोर था।कांग्रेस का वोट शेयर करीब 9.5 फीसदी रहा।महागठबंधन के भीतर कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन बाद में लगातार आलोचना का विषय बना। आरजेडी नेताओं ने खुले तौर पर कहा कि कांग्रेस की निष्क्रियता ने गठबंधन को नुकसान पहुँचाया।
वाम दलों का प्रदर्शन, उम्मीद से कहीं बेहतर रहा।भाकपा-माले ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और 12 सीटें जीतकर शानदार स्ट्राइक रेट 63 फीसदी दिखाया। भाकपा (CPI) ने 6 में से 2 सीटें और भाकपा (एम) ने 4 में से 2 सीटें जीतीं।इन वाम दलों की संयुक्त उपस्थिति ने विपक्ष को ग्रामीण इलाकों में ताकत दी।
एलजेपी (लोक जनशक्ति पार्टी) की अलग राह और नतीजा
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस बार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी थी।उन्होंने लगभग 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन मात्र 1 सीट जीत सके।उनका स्ट्राइक रेट 1 फीसदी से भी कम रहा।हालांकि, उनके उम्मीदवारों ने कई सीटों पर जेडीयू के वोट काटे, जिससे जेडीयू को नुकसान और बीजेपी को अप्रत्यक्ष फायदा मिला।
कुल नतीजा और गठबंधन की तस्वीर
कुल मिलाकर 2020 के चुनाव परिणामों का सार यह था कि एनडीए को कुल 125 सीटें मिलीं। इसमें बीजेपी की 74, जेडीयू की 43, वीआईपी की 4, हम की 4 सीटें शामिल हैं।जबकि महागठबंधन को कुल 110 सीटें मिलीं। इसमें आरजेडी का 75, कांग्रेस की 19, वाम दल की 16 और अन्य स्वतंत्र और छोटे दलों ने 8 सीटें शामिल थीं।
एनडीए ने भले बहुमत प्राप्त किया, लेकिन उसके भीतर जेडीयू की कमजोर स्थिति और बीजेपी की बढ़त ने सत्ता संतुलन बदल दिया। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने, पर भाजपा अब गठबंधन में मुख्य निर्णायक शक्ति बन गई।
2020 के नतीजों से यह साफ़ हुआ कि बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण से ज़्यादा नेतृत्व और संगठनात्मक शक्ति निर्णायक कारक बन चुकी है।बीजेपी ने अपने स्ट्राइक रेट से यह साबित किया कि वह अब सिर्फ़ सहयोगी नहीं, बल्कि एनडीए की ‘मुख्य स्तंभ’है।आरजेडी ने सबसे बड़ी पार्टी बनकर विपक्ष की नई ऊर्जा दिखाई, लेकिन कांग्रेस की कमजोरी उसके रास्ते की सबसे बड़ी बाधा बनी।2025 का चुनाव इन्हीं समीकरणों की अगली कड़ी है । जहां हर दल अब 2020 के प्रदर्शन के आधार पर अपनी रणनीति, दावे और गठबंधन के स्वरूप को फिर से परिभाषित कर रहा है।
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