Bihar Election 2025: पटना और दिल्ली के फेस, जारी रखें हैं वीनिंग रेस

Bihar Election 2025: बिहार भाजपा के प्रमुख नेताओं — सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, मंगल पांडेय, रेणु देवी, श्रेयसी सिंह, सैयद शहनवाज़ हुसैन और राजीव प्रताप रुडी — की ताक़त, चुनौतियाँ और 2025 की राजनीतिक रणनीति पर विस्तृत विश्लेषण।

Yogesh Mishra
Published on: 29 Oct 2025 6:21 PM IST
Bihar BJP Leaders 2025
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Bihar Election 2025 BJP Famous Leaders (Image Credit-Social Media)

Bihar Election 2025 BJP Famous Leaders: जातीय रूप से कोयरी (कुशवाहा) समुदाय से आते हैं, जो यादवों के बाद सबसे बड़ा ओबीसी वोट समूह है।उनकी राजनीतिक यात्रा आरजेडी से शुरू हुई, फिर जेडीयू में रहे और अंततः बीजेपी में स्थायी रूप से स्थापित हुए।2023 में उन्हें बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया और 2024 में नीतीश के साथ उपमुख्यमंत्री बने।उनकी ताक़त ज़मीनी संगठन पर पकड़, जातीय प्रतिनिधित्व और स्पष्ट वाणी है। वे हर मुद्दे पर बिना लाग-लपेट के बोलते हैं।कमज़ोरी यह कि उनका प्रभाव मगध और दक्षिण बिहार क्षेत्रों तक अधिक केंद्रित है। अब तक किसी बड़े भ्रष्टाचार या कानूनी मामले में नाम नहीं आया, लेकिन विपक्ष उन्हें दल-बदलू छवि का प्रतीक बताता है।उनकी चुनौती है — इस आक्रामकता को राज्यव्यापी स्वीकार्यता में बदलना।

संतुलन साधने की बाजीगरी वाले नेता; विजय कुमार सिन्हा (Deputy CM, BJP) –


भूमिहार जाति से आने वाले लखीसराय के अनुभवी नेता।विधानसभा अध्यक्ष, नेता विपक्ष और अब उपमुख्यमंत्री तीनों पदों पर काम कर चुके हैं।उनकी सबसे बड़ी ताक़त विधानसभा के अंदर अनुशासन, प्रक्रिया और संगठनात्मक पकड़ है।भूमिहारों में उनका भरोसेमंद चेहरा है, जो बीजेपी के पुराने सामाजिक आधार से जुड़ा हुआ है।कमज़ोरी यह कि वे जन-आकर्षक या पैन-बिहार नेता नहीं, बल्कि नीति-प्रशासन के व्यक्ति हैं।

उन पर कोई भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप नहीं रहा।राजनीति में उनका रोल नीतीश सरकार में संतुलन साधने वाले मंत्री का है।

छवि के काम आने की प्रतीक्षा; रविशंकर प्रसाद (MP, Patna Sahib)


पटना साहिब के सांसद, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और भारत के पूर्व क़ानून व आईटी मंत्री।कायस्थ समाज के सबसे बड़े राजनीतिक चेहरे, जिनकी पकड़ शहरी मध्यमवर्ग और व्यवसायिक वर्गों में है।उनकी ताक़त नीति, तकनीकी ज्ञान और प्रधानमंत्री मोदी के क़रीबी सर्कल में स्थान है।कमज़ोरी — ग्रामीण बिहार और पिछड़े वर्गों में सीमित पकड़; डिजिटल गवर्नेंस की छवि जन-संपर्क स्तर पर कम असरदार मानी जाती है।उन पर अब तक किसी आर्थिक या व्यक्तिगत घोटाले का आरोप नहीं है।उनकी साख ईमानदार और प्रशासनिक रूप से कुशल मंत्री की है।

ध्रुवीकरण का चेहरा; गिरिराज सिंह (MP, Begusarai)


भूमिहार समुदाय के तेजतर्रार नेता और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री।अपनी स्पष्टवादी और हिंदुत्व-आधारित राजनीति के लिए चर्चित।उनकी ताक़त कट्टर समर्थक वर्ग, संगठन में गहरी पकड़, और बेबाक बयानबाज़ी है।पर यही बेबाकी कई बार पार्टी के लिए असहज भी बनती है। विपक्ष उन्हें ध्रुवीकरण का चेहरा बताता है।2014 में उनके घर से नकदी चोरी का विवाद उछला था, मगर कोई अदालत-सिद्ध अपराध नहीं बना। आज भी वे हार्डलाइनर इमेज के साथ बीजेपी के सबसे मजबूत भूमिहार चेहरों में गिने जाते हैं।

ब्राह्मण समाज में पकड़ का लाभ उठाने की फ़िराक़; अश्विनी चौबे (MP, Buxar)


बिहार के वरिष्ठ ब्राह्मण नेता और केंद्र के पूर्व स्वास्थ्य राज्य मंत्री।लंबे समय से संगठन में सक्रिय और एनडीए के हर दौर में भरोसेमंद चेहरा।उनकी ताक़त ब्राह्मण समाज में मजबूत पकड़, और ज़मीनी कार्यकर्ता नेटवर्क।कमज़ोरी — पब्लिक कम्युनिकेशन में तीखापन और सीमित नई उम्र की पहुँच।2019 में बिहार बाढ़ प्रबंधन और स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए, मगर कोई प्रमाणित भ्रष्टाचार केस नहीं।

उनकी छवि अब भी संगठन के अनुशासित सिपाही जैसी है।

टोक्नोक्रेट नेता की छवि को इनकैश कराने की जुगत; मंगल पांडेय (Health Minister, Bihar)


पार्टी संगठन से उभरे, और बिहार सरकार में सबसे चर्चित मंत्री।स्वास्थ्य विभाग में 2024-25 के दौरान उन्होंने “एंटी-फ्रॉड हेल्थ क्लेम डैशबोर्ड” जैसी तकनीकी पहलें शुरू कीं।ताक़त प्रशासनिक अनुभव, संगठन से जुड़ाव, मीडिया-संवाद में सधा चेहरा।प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए एम्बुलेंस खरीद और मेडिकल विश्वविद्यालय फंडिंग से जुड़े आरोप (जिनका उन्होंने पूर्ण खंडन किया, कहते हैं भुगतान ही नहीं हुआ)।अभी तक कोई अदालती सजा या जांच में दोष सिद्ध नहीं।वे पार्टी के टेक्नोक्रेट व पोलिटिकल मिश्रण वाले मंत्री हैं।

ईबीसी और महिलाओं पर पकड़ की कोशिश; रेणु देवी (Former Dy CM, Bettiah)


बिहार बीजेपी की ईबीसी और महिला चेहरा।2020 में नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम बनीं। यह संदेश देने के लिए कि बीजेपी अब सवर्ण पार्टी नहीं रही।उनकी ताक़त महिला वर्ग में प्रतीकात्मक पहचान और ईबीसी समाज में कनेक्शन।सीमित प्रशासनिक अनुभव और सार्वजनिक भाषणों में साधारण उपस्थिति।उन पर कोई गंभीर आरोप नहीं, उनकी छवि सरल कार्यकर्ता की है।

मार्डन ब्रांड की प्रतिनिधि; श्रेयसी सिंह (MLA, Jamui)


पूर्व शूटर और कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडलिस्ट।2020 में बीजेपी के टिकट पर राजनीति में आईं और जमुई से विधायक बनीं।उनकी ताक़त युवा और खेल पृष्ठभूमि के कारण नई पीढ़ी में अपील।अभी अनुभव सीमित है, और बड़े निर्णयों में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं। कोई विवाद या आरोप नहीं, वे पार्टी के क्लीन और मॉडर्न ब्रांड की प्रतिनिधि हैं।

बीजेपी का ‘मॉडरेट मुसलमान’ चेहरा; सैयद शहनवाज़ हुसैन


सैयद शहनवाज़ हुसैन भारतीय जनता पार्टी के उन गिने-चुने नेताओं में हैं जो मुस्लिम समाज से आते हुए भी पार्टी के मुख्यधारा चेहरे बने।उनका जन्म 12 दिसम्बर, 1968 को सुपौल (बिहार) जिले के शेरघाट गांव में हुआ।शिक्षा — बी.टेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), और शुरुआती करियर के दौरान छात्र राजनीति व आरएसएस निकट छात्र संगठनों से जुड़ाव।

1999 में भागलपुर से सांसद चुने गए और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कपड़ा मंत्री, बाद में नागरिक उड्डयन मंत्री बने।वे उस समय सबसे युवा मंत्री थे और भाजपा के मॉडरेट, सॉफ्ट स्पोकन, टेक्नोक्रेटिक चेहरे के रूप में प्रसिद्ध हुए।

2014 में भागलपुर से हार के बाद वे दिल्ली की राजनीति में संगठनात्मक भूमिका में सक्रिय रहे। राष्ट्रीय प्रवक्ता और अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख रहे।2021 में बीजेपी ने उन्हें बिहार विधान परिषद भेजा और नीतीश कुमार सरकार में उद्योग मंत्री बनाया।

यह फ़ैसला बिहार में मुस्लिम समाज की नकारात्मक धारणा को कुछ हद तक नरम करने और ‘इन्क्लूसिव इमेज’ को उभारने के लिए भाजपा की रणनीति का हिस्सा था।

उद्योग मंत्री के रूप में उन्होंने राजगीर इंडस्ट्रियल क्लस्टर, टेक्सटाइल पार्क और बिहार में MSME प्रोत्साहन नीति जैसे कदमों की रूपरेखा तैयार की। हालाँकि COVID और नौकरशाही सुस्ती के कारण ये परियोजनाएँ अपेक्षित गति नहीं पकड़ सकीं।

उनकी ताक़त शालीन वक्तृत्व, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर अनुभव,और भाजपा के अंदर एक स्वीकार्य मुस्लिम चेहरा होना है। जिससे पार्टी को एक सॉफ्ट इमेज मिलती है।पर चुनावी ज़मीन पर वे 2004, 2009, 2014 यानी बार-बार पराजित रहे हैं। और बिहार में मुस्लिम वोट प्रतिशत पर उनका असर सीमित रहा।उन पर किसी बड़े आर्थिक या भ्रष्टाचार के आरोप नहीं, हालांकि 2023 में उद्योग विभाग की कुछ नीतिगत देरी पर विपक्ष ने उन्हें निष्क्रिय मंत्री कहा।

राजनीतिक रूप से, वे भाजपा की उस दिल्ली से भेजे गए अनुभवी प्रवक्ता श्रेणी में हैं

जिन्हें बिहार में पार्टी का बौद्धिक और संतुलित चेहरा बनाकर प्रस्तुत किया गया।

ताकि यह संदेश दिया जा सके कि भाजपा अब सिर्फ़ सवर्ण या कट्टर हिंदू राजनीति की पार्टी नहीं,बल्कि एक नेशनलिस्ट डेवलपमेंट पार्टी भी है।

बीजेपी का संगठनात्मक व संसदीय चेहरा; राजीव प्रताप रुडी (Rajiv Pratap Rudy);

राजीव प्रताप रुडी बिहार बीजेपी के सबसे अनुभवी और सधे हुए नेताओं में गिने जाते हैं।वे छपरा (सारण) क्षेत्र से आते हैं। जातीय रूप से राजपूत (ठाकुर) समुदाय से है। यह वह वर्ग है जो बिहार में बीजेपी का पारंपरिक वोट-बैंक रहा है।

रुडी 1996 में पहली बार लोकसभा पहुँचे, 1999 में पुनः चुने गए और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे।2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री बने।उनकी ताक़त — दिल्ली और बिहार, दोनों स्तरों पर संगठनात्मक समझ, नीति-निर्माण में दक्षता और अपेक्षाकृत संवेदनशील वक्तव्य देने की आदत।वे बीजेपी के उन कुछ नेताओं में हैं जिनकी प्रशासनिक साख साफ़-सुथरी मानी जाती है। जो नीतीश या केंद्र—दोनों से सहज संवाद रख पाते हैं।

कमज़ोरी यह कि वे चुनावी मैदान में लगातार उतार-चढ़ाव का सामना करते रहे—2019 में सारण से हार गए। हालाँकि 2024 में पार्टी ने उन्हें फिर से अहम प्रचार भूमिका सौंपी।उन पर कोई ठोस भ्रष्टाचार या व्यक्तिगत घोटाले का मामला नहीं;

वे बीजेपी के संतुलित और बौद्धिक चेहरों में गिने जाते हैं।रुडी का योगदान बिहार में कौशल प्रशिक्षण, आईटीआई पुनर्गठन और कौशल भारत मिशन के विस्तार से जुड़ा रहा।

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