Bihar Election 2025: भाजपा के OBC चेहरे की टारापुर से परीक्षा, क्या नीतीश के गढ़ में सेंध लगेगी?

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को टारापुर से मैदान में उतारा गया है।

Yogesh Mishra
Published on: 27 Oct 2025 12:28 PM IST
Bihar Assembly Election 2025 Tarapur Seat Samrat Chaudhary BJP vs RJD Analysis
X

Bihar Assembly Election 2025 Tarapur Seat Samrat Chaudhary BJP vs RJD Analysis

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को टारापुर से मैदान में उतारा गया है। यह न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक परीक्षा है, बल्कि भाजपा की उस रणनीति की भी अग्निपरीक्षा है जिसमें वह नीतीश कुमार के पारंपरिक OBC वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। सम्राट चौधरी को कोइरी-कुशवाहा समुदाय का प्रतिनिधि चेहरा बनाकर प्रस्तुत किया गया है, और टारापुर को उन्होंने अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना है। सवाल है — क्या सम्राट यहां से जीतकर खुद को बिहार भाजपा की पहली पंक्ति का निर्विवाद नेता बना पाएंगे?

टारापुर सीट का परिचय और भूगोल (Tarapur Seat Details)

टारापुर विधानसभा सीट (संख्या 164) मुंगेर जिले में स्थित है। यह सीट मुख्यतः ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र को समेटे हुए है। यहाँ की आबादी कृषि, लघु उद्योग और सरकारी सेवाओं पर निर्भर है। यह इलाका गंगा के निकटस्थ क्षेत्रों में आता है और बाढ़, सड़क, सिंचाई, शिक्षा तथा स्वास्थ्य यहाँ के प्रमुख मुद्दे हैं।

सामाजिक और जातीय समीकरण (Tarapur Seat Cast Details)

टारापुर में OBC की संख्या निर्णायक है। विशेष रूप से कुशवाहा/कोइरी समुदाय का प्रभाव काफी मजबूत है। इसके अतिरिक्त यादव, पासवान (SC), ब्राह्मण, भूमिहार और कुछ मुस्लिम मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। इस सीट पर जातीय संतुलन ही चुनावी दिशा तय करता है।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में JD(U) का यहां एक मजबूत आधार रहा है, लेकिन सम्राट चौधरी के आने से भाजपा इस समीकरण को बदलना चाहती है। अगर कुशवाहा वोट भाजपा की ओर झुकता है, तो यह जदयू के लिए बड़ा झटका होगा।

सम्राट चौधरी का राजनीतिक प्रोफाइल (Tarapur Seat Samrat Chaudhary Profile)

सम्राट चौधरी बिहार के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।।उन्हें भाजपा में OBC चेहरे के रूप में देखा जाता है। वे कोइरी‑कुशवाहा जाति से हैं, जो बिहार की राजनीति में पिछड़े वर्ग के लिए महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जाता है। इसके अलावा उन्होंने विधायकी व विधान परिषद सदस्यता भी संभाली है। यह सीट सम्राट चौधरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।।जीत उन्हें भाजपा में आगे की पाँतों में स्थापित करने का मौका दे सकती है। फिलहाल उनके पास मजबूत संगठन, भाजपा का संसाधन व जातीय‑पार्श्व दोनों उपलब्ध हैं। लेकिन जीत की संभावना पक्की नहीं है। यदि विपक्ष ने सही उम्मीदवार‑रणनीति लाई, स्थानीय नाराज़गी या युवा‑मतदाताओं की नाराजगी उभरी, तो भाजपा को चुनौती मिल सकती है।


टारापूर विधानसभा क्षेत्र सम्राट चौधरी की राजनीतिक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गया है। इस सीट पर भाजपा‑एनडीए की बड़ी कोशिश है अपनी OBC‑आधारित राजनीति को पुष्ट करने की। लेकिन यह याद रखने योग्य है कि आज राष्ट्रीय स्तर पर पार्टियों को सिर्फ पहचान के आधार पर नहीं, प्रदर्शन‑परिणाम, युवा‑वोटर‑समर्थन और मतदाता‑समायोजन के दम पर जिता जाना होगा। टारापूर में इस बार यही सब तय होगा — कि क्या सम्राट चौधरी पुरानी राजनीति को आगे ले जाएंगे, या नया राजनीतिक युग इस सीट से शुरू होगा।

पिछले चुनावों का रुझान

2021 के उपचुनाव में जदयू के राजीव कुमार सिंह ने कांग्रेस के राजेश मिश्रा को हराया था। भाजपा ने इस उपचुनाव में अपने सहयोगी दल को समर्थन दिया था। 2020 में भी जदयू ने यह सीट जीती थी। पिछले कुछ चुनावों में यह सीट जदयू के नियंत्रण में रही है, लेकिन भाजपा को यह लगता है कि नीतीश कुमार की छवि में आई गिरावट और एनडीए में भाजपा की बढ़ती भूमिका का लाभ उन्हें यहां मिल सकता है।

सम्राट चौधरी की इस सीट से लड़ने की रणनीति मुख्य रूप से निम्न बिंदुओं पर टिकी दिख रही है—कुशवाहा/कोइरी OBC वोट बैंक पर भाजपा का जवाब देना और पिछड़े वर्ग में अपनी पकड़ बनाना। स्थानीय मुद्दे — रोजगार, पलायन, बुनियादी ढाँचा (सड़क‑पानी‑बिजली) — मतदाताओं के बीच प्राथमिकता में हैं। युवा वर्ग और प्रवासी मतदाता के जुड़ने की संभावना पर काम करना।

हालाँकि, चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं- सम्राट चौधरी के आर्थिक व शैक्षणिक पृष्ठभूमि पर प्रश्न उठे हैं, जो प्रचार‑माहौल को प्रभावित कर सकते हैं। ओबीसी वोट बैंक में बदलाव और नए दलों/विकल्पों का उदय भाजपा के लिए जोखिम बना सकता है। मतदाता‑सूची में संशोधन, प्रत्याशी स्वीकार्यता और बूथ‑स्तर पर संगठन का काम जल्द करना होगा।

2025 में मुख्य उम्मीदवार

राजद की ओर से अरुण कुमार ने नामांकन किया है। राजद की इस सीट पर सुनामी‑वोट बैंक रही है, विशेष रूप से OBC एवं अन्य पिछड़े वर्गों में। पारंपरिक तौर पर इस विधानसभा क्षेत्र में OBC (विशेषकर कुशवाहा/कोइरी) जातियों का प्रभाव अधिक रहा है, और उन्हें इस आधार में लाभ हो सकता है। यदि NDA में गठबंधन समृद्ध नहीं रहा या JDU‑BJP में मत विभाजन हुआ हो, तो अरुण कुमार को उलट मौका मिल सकता है।

सम्राट चौधरी के सीधे मुकाबले में खड़े होने से उन्हें संसाधन और संगठन के मामले में पिछड़ापन हो सकता है — सम्राट के पास भाजपा‑एनडीए का संगठन‑बल अधिक माना जाता है। इस सीट पर पिछले चुनावों में RJD की जीत का अनुपात कम रहा है — उदाहरण स्वरूप, 2020 में RJD ने 32.80% वोट शेयर लिया था (विजेता का 36.93%)। यदि जातीय समीकरण में कुशवाहा/कोइरी जाति ने भाजपा‑एनडीए को झुकाने का निर्णय किया हो, तो अरुण कुमार की जीत स्पष्ट नहीं मानी जा सकती।

मुख्य मुद्दे और चुनावी एजेंडा

टारापुर के मतदाताओं के लिए रोजगार, शिक्षा, सड़क और स्वास्थ्य प्राथमिक मुद्दे हैं। पलायन, कृषि लागत और सिंचाई की समस्याएं भी गंभीर हैं। सम्राट चौधरी इन मुद्दों को ‘स्थानीय बनाम लापता विधायक’ के रूप में गढ़ सकते हैं।

राजद और कांग्रेस यहां ‘बाहरी उम्मीदवार’ और ‘जनविरोधी भाजपा’ की छवि पर हमला करेंगे। वहीं, सम्राट चौधरी खुद को OBC चेहरे, मजबूत संगठन और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के साथ जोड़कर पेश कर रहे हैं।

प्रवासी वोटर और महिला मतदाता की भूमिका

छठ पूजा के बाद प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या में वापसी और महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी चुनावी गणित को बदल सकती है। सम्राट चौधरी को इन दोनों वर्गों से समर्थन पाने के लिए विशेष रणनीति बनानी होगी।

चुनाव में संभावनाएँ और चुनौतियाँ

सम्राट चौधरी के पास संगठन, संसाधन और पार्टी का पूरा समर्थन है। लेकिन टारापुर की जमीनी हकीकत में उन्हें स्थानीय पहचान और व्यक्तिगत जुड़ाव की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यह सीट जदयू के प्रभाव क्षेत्र में रही है और सम्राट के लिए यह बाहरी चुनौती होगी।

अगर भाजपा यह सीट जीत लेती है, तो यह संकेत होगा कि पार्टी ने नीतीश कुमार के कोर वोट बैंक में सेंध लगा दी है। अगर हार होती है, तो यह सम्राट की नेतृत्व क्षमता पर बड़ा प्रश्नचिह्न बन जाएगा।

निष्कर्ष

टारापुर 2025 में बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाली सीटों में से एक होगी। यहां सम्राट चौधरी की जीत या हार सिर्फ एक नेता का राजनीतिक भविष्य नहीं तय करेगी, बल्कि यह भाजपा और जदयू के बीच के समीकरण, और OBC राजनीति की नई रेखाओं को भी निर्धारित करेगी। यह चुनाव परंपरा बनाम प्रयोग, स्थानीय बनाम चेहरे, और नीतीश बनाम सम्राट की जंग है।

टारापुर विधानसभा क्षेत्र – 2025 पूर्वानुमान

अनुमानित स्थिति (2025 विधानसभा चुनाव):

BJP (सम्राट चौधरी): 45–48% वोट संभावित

RJD (अरुण कुमार): 38–41%

अन्य: 8–10%

यह अनुमान सम्राट चौधरी की व्यक्तिगत राजनीतिक छवि, भाजपा के संगठनात्मक बल और ओबीसी वोट बैंक में संभावित ध्रुवीकरण को ध्यान में रखते हुए किया गया है। विपक्षी उम्मीदवार अरुण कुमार की जातीय अपील और RJD के पारंपरिक आधार के बावजूद, सम्राट की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी और भाजपा का संसाधन बल उन्हें बढ़त दे सकता है। लेकिन मुकाबला पूरी तरह एकतरफा नहीं है — यदि गठबंधन में भ्रम, स्थानीय असंतोष या वोट कटाव हुआ, तो मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है।

1 / 6
Your Score0/ 6
Admin 2

Admin 2

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!