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Bihar Election 2025: डैमेज कंट्रोल की रणनीति पर भी जुटी है भाजपा
Bihar Assembly Election 2025: भारतीय जनता पार्टी ने तकरीबन डेढ़ दर्जन पुराने विधायकों के टिकट काट दिये हैं...
Bihar Assembly Election 2025 BJP Ticket Cut MLA Rebellion Mathili Thakur Ali Nagar Politics
Bihar Assembly Election 2025: भारतीय जनता पार्टी ने तकरीबन डेढ़ दर्जन पुराने विधायकों के टिकट काट दिये है। जिन विधायकों के नए टिकट कटे है, उनके यहाँ विरोध के स्वर का मुखर होना लॉजिमी है। हालाँकि भाजपा नें इन सीटों पर डैमेज कंट्रोल के भी सभी नुस्खे आजमाने शुरु कर दिये है।
दरभंगा जिले की अलीनगर सीट भी विवाद का सबब हैं।यहां पार्टी ने अलिनगर मैथिली ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। वह एक लोकप्रिय फोक सिंगर हैं।
इस कदम पर स्थानीय BJP कार्यकर्ता और नेताओं ने विरोध किया। उन्होंने लोकल उम्मीदवार चाहने की मांग की और बाहरी उम्मीदवार को उतारे जाने को लेकर विरोध जताया है। मैथिली को टिकट मिलने की वजह से वर्तमान विधायक मिश्री लाल यादव ने भाजपा छोड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँची है । क्योंकि पार्टी उन्हें टिकट नहीं दी। इस असंतोष के प्रभाव को केवल स्थानीय बूथ प्रबंधन से काटा जा सकता है। 2020 के मन चुनावी नतीजों पर गौर करें तो भाजपा के मिश्री लाल यादव ने राजद प्रत्याशी अब्दुल बारी सिद्दीकी को लगभग 26,000 वोटों से हराया था। इस विधानसभा में यादव, मुस्लिम, भूमिहार और मैथिल ब्राह्मण वोट निर्णायक मतदाता है। यादव-मुस्लिम समीकरण यहाँ राजद को नैसर्गिक बढ़त देता है। पर 2020 में NDA के पक्ष में मैथिल ब्राह्मण और कोर भाजपाई वोटों ने गेम बदला।
मैथिली ठाकुर की प्रसिद्धि युवाओं और शहरी मध्यमवर्ग में बड़ी है, पर यादव-मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उन्हें लोकप्रिय चेहरा से ज़्यादा नए प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है। विरोध यदि बूथ-स्तर तक कायम रहा तो राजद को लोकल लाभ हो सकता है।
असंतोष को हवा देने वाली दूसरी सीट हैं—गोपालगंज सदर । यहां भाजपा ने कुसुम देवी के स्थान पर सुभाष सिंह को टिकट दिया गया है। इस को समय की राजनीति की दृष्टि से देखा जा रहा है। जहाँ पार्टी ने यह संकेत दिया कि पदस्थापित चेहरे हमेशा टिके नहीं रहेंगे।
पिछले यानी 2020 के चुनाव में गोपालगंज सदर सीट पर भाजपा की कुसुम देवी ने राजद के महागठबंधन उम्मीदवार मोहन गुप्ता को लगभग 16,000 वोटों से हराया था। इस विधानसभा में यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया और अनुसूचित जाति मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यादव-राजपूत मुकाबले में बीजेपी ने राजपूत-ब्राह्मण वोट और महिला प्रत्याशी कुसुम देवी की सरल छवि से जीत बनाई थी।
कुसुम देवी समर्थकों ने आंतरिक असंतोष दिखाया, लेकिन कोई खुला विरोध नहीं। भाजपा ने यहाँ संगठन को तुरंत सक्रिय किया और युवा मोर्चा की यूनिटों को समायोजित कर असंतोष को ठंडा करने की कोशिश की।चूंकि कुसुम देवी का व्यक्तिगत वोट-बैंक सीमित था और पार्टी वोट स्थिर है, यहाँ विरोध का असर सीमित रह सकता है। लेकिन राजद इस सीट पर टिकट-कटे चेहरे की सहानुभूति भुनाने की कोशिश कर रही है।
पटना जिले की बरह सीट के टिकट को लेकर भी असंतोष के स्वर सुने जा रहे है। यहां भाजपा ने ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ग्यानू की जगह सियाराम सिंह को कमल थमा दिया है। इस बदलाव से यह स्पष्ट हुआ कि पार्टी बदलाव की नीति को कई कस्बाई और सांस्कृतिक महसूस होती सीटों पर लागू कर रही है।यह बदलाव विवादित तो बताया गया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर बड़े विद्रोह की खबर नहीं आई।
पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम में भाजपा के ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ग्यानू ने राजद के संजय कुमार को लगभग 38,000 वोटों से हराया था।यहां भूमिहार, ब्राह्मण, यादव और कोयरी वोट अहम हैं। यहाँ भूमिहार-ब्राह्मण संधि बीजेपी का पारंपरिक गढ़ रही है।भाजपा वोट ट्रांसफरेबल माना जाता है, पर अगर भूमिहारों में भीतरखाने असंतोष गहराया तो राजद कांग्रेस गठबंधन को थोड़ी बढ़त मिल सकती है।
तीसरी सूची में भाजपा ने रमनगर में निवर्तमान विधायक भागीरथी देवी को हटा कर नंद किशोर काम को टिकट दिया। यह परिवर्तन पार्टी की दिशा-निर्देश मेंतब्दीलियों की रणनीति बताता है।विशेष रूप से उन सीटों पर जहाँ महिला उम्मीदवार थे।पश्चिम चंपारण की रमनगर सीट के पिछले परिणाम में भाजपा की भागीरथी देवी ने कांग्रेस की रानी देवी को लगभग 20,000 वोटों से पराजित किया।राजपूत, मुसहर, अनुसूचित जाति, यादव और ईबीसी वोट मजबूत जातीय आधार तैयार करते है। यह क्षेत्र महादलित-राजपूत साझा प्रभाव वाला है।2025 में भागीरथी देवी को हटा कर नंदकिशोर राम को प्रत्याशी बनाया गया।
कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने पुराने चेहरे को हटाए जाने पर असंतोष जताया।नई उम्मीदवारी को दलित प्रतिनिधित्व के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी की कोशिश है कि महादलित और राजपूत दोनों समूह साथ रहें। अभी तक ज़मीन पर विरोध सीमित है।
पश्चिम चंपारण की नरकटियागंज सीट पर असंतोष मुखर है। इस सीट पर भाजपा ने निवर्तमान विधायक रश्मि वर्मा की जगह संजय पांडेय को उतार दिया। यह बदलाव पार्टी के फेस रिफ्रेश एजेंडा के अनुरूप है। पिछला विधानसभा चुनाव में रश्मि वर्मा ने राजद की रश्मि यादव को लगभग 18,000 वोटों से हराया।बनिया-राजपूत-यादव-ईबीसी मतदाताओं के साथ ही साथ महिला प्रत्याशी रश्मि वर्मा ने स्थानीय व्यवसायिक वर्ग और महिला वोटरों में अच्छी पकड़ बनाई थी।
वर्मा समर्थकों ने टिकट काटे जाने पर निराशा जताई; ज़िला यूनिट में बैठकों में कुछ नेताओं ने खुलकर आपत्ति की।यदि पार्टी समय रहते स्थानीय वर्करों को साथ नहीं रख पाई तो यह सीट थोड़ा कठिन हो सकती है, क्योंकि RJD यहाँ पहले से प्रतिस्पर्धी है।
सीट बदला गया प्रत्याशी पिछला जीत अंतर विरोध स्तर संभावित असर
अलिनगर मिश्री लाल यादव → मैथिली ठाकुर ~26,000 तेज (सार्वजनिक) RJD को संभावित लाभ
गोपालगंज कुसुम देवी → सुभाष सिंह ~16,000 हल्का (संगठन स्तर) सीमित असर
बरह ग्यानेंद्र सिंह → सियाराम सिंह ~38,000 मद्ध्यम (भीतरखाने) जातीय असर संभव
रमनगर भागीरथी देवी → नंदकिशोर राम ~20,000 न्यूनतम असर नगण्य
नरकटियागंज रश्मि वर्मा → संजय पांडे
सीट बदला गया प्रत्याशी पिछला जीत अंतर विरोध स्तर संभावित असर
अलिनगर मिश्री लाल यादव → मैथिली ठाकुर ~26,000 तेज (सार्वजनिक) RJD को संभावित लाभ
गोपालगंज कुसुम देवी → सुभाष सिंह ~16,000 हल्का (संगठन स्तर) सीमित असर
बरह ग्यानेंद्र सिंह → सियाराम सिंह ~38,000 मद्ध्यम (भीतरखाने) जातीय असर संभव
रमनगर भागीरथी देवी → नंदकिशोर राम ~20,000 न्यूनतम असर नगण्य
नरकटियागंज रश्मि वर्मा → संजय पांडे
बीजेपी की इस बार की रणनीति साफ़ है। एंटी-इन्कम्बेंसी काटने और सामाजिक संकेत बदलने के लिए उसने कई सीटों पर सिटिंग चेहरों को बदला है। अलिनगर और नरकटियागंज में विरोध खुला और मीडिया-विज़िबल है। गोपालगंज, बरह और रमनगर में विरोध स्थानीय और नियंत्रित रूप में है। हालाँकि अभी तक संगठन-स्तर पर कोई बगावत या दलबदल नहीं हुआ है। पार्टी ने बाहरी बनाम स्थानीय के तनाव को मैनेज करने के लिए शीर्ष नेताओं की त्वरित प्रचार सभाएँ और संगठनात्मक समायोजन शुरू कर दिए हैं।
यह देखना बाकी है कि मतदान तक यह असंतोष वोट-लाइन को कितना प्रभावित करता है। पर राजनीतिक रूप से इन पाँचों सीटों का व्यवहार बिहार की भाजपा के लिए फील्ड-टेस्ट बन गया है।
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