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उपेंद्र कुशवाहा 2025: बिखरे राजनीतिक सफर के बीच अब कौन सी सीट से ताल ठोकेंगे?
Bihar Assembly Election 2025: बिहार के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा 2025 विधानसभा चुनाव में किस सीट से चुनाव लड़ेंगे, यह अब तक स्पष्ट नहीं है। जानिए उनके संभावित क्षेत्र, जातीय समीकरण, पिछले चुनावों का प्रदर्शन और RLM की वर्तमान स्थिति।
Bihar Assembly Election 2025 Upendra Kushwaha Vidhan Sabha Seat RLM Karhgar Dinara (Image Credit-Social Media)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में उपेंद्र कुशवाहा वह नाम हैं जो कभी केंद्र में मंत्री रहे, कभी एनडीए के सहयोगी, तो कभी महागठबंधन के साझीदार। उन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाकर भी चुनाव लड़ा, फिर जदयू में विलय कर लिया और अब फिर एक बार ‘राष्ट्रीय लोक जनता दल’ (RLM) के बैनर तले मैदान में हैं। सवाल है — 2025 के विधानसभा चुनाव में वे किस सीट से ताल ठोकेंगे और क्या इस बार वे अपने राजनीतिक सफर की खोई हुई ज़मीन दोबारा हासिल कर पाएंगे?
विधानसभा क्षेत्र: करहगर, दिनारा या इमामगंज — संभावित विकल्प
2025 में उपेंद्र कुशवाहा ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि वे रोहतास जिले की करहगर सीट से या बक्सर क्षेत्र की दिनारा सीट से मैदान में उतर सकते हैं। कुछ संकेत इमामगंज (गया) से भी आते हैं, जहां कोइरी-कुशवाहा मतदाताओं का अच्छा खासा प्रभाव है।
जातीय समीकरण और सामाजिक प्रभाव
उपेंद्र कुशवाहा कोइरी (कुशवाहा) समुदाय से आते हैं जो बिहार के OBC समीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इनकी पकड़ खासकर कैमूर, रोहतास, बक्सर, और भोजपुर जिलों में मानी जाती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनकी जातीय पकड़ कमजोर हुई है, खासकर जब जदयू और भाजपा ने कोइरी नेताओं को प्रमुखता दी। 2025 में उनकी कोशिश होगी कि इस वोट बैंक में फिर से अपनी जगह बना सकें।
पिछले तीन चुनावों का प्रदर्शन (लोकसभा और विधानसभा)
• 2015 विधानसभा चुनाव: उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP ने जदयू और राजद के अलग-अलग होने का लाभ उठाकर लगभग 2.6% वोट और 2 सीटें हासिल की थीं।
• 2020 विधानसभा चुनाव: RLSP ने GDSF (Grand Democratic Secular Front) बनाकर चुनाव लड़ा लेकिन कोई सीट नहीं जीत सके। उनका वोट शेयर गिरकर 1.77% पर आ गया। इसके बाद उन्होंने पार्टी का जदयू में विलय कर दिया।
• 2014 लोकसभा चुनाव: उपेंद्र कुशवाहा ने काराकाट सीट से एनडीए उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री बने थे।
• 2019 लोकसभा चुनाव: उन्होंने महागठबंधन के घटक के रूप में फिर से काराकाट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। जदयू के महाबली सिंह ने उन्हें पराजित किया।
वर्तमान स्थिति और RLM का आधार
2023 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLM) बनाई और जदयू से अलग हो गए। लेकिन संगठनात्मक ढांचा बहुत सीमित है। अभी तक RLM ने न तो मजबूत जनाधार खड़ा किया है और न ही जिला स्तर पर प्रभावी इकाइयाँ बनाईं हैं। उनके लिए 2025 का चुनाव अस्तित्व की लड़ाई भी है।
मुद्दे और एजेंडा
कुशवाहा इस चुनाव में शिक्षा, पिछड़ा वर्ग अधिकार, ग्रामीण स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की तैयारी में हैं। उनके भाषणों में नीतीश कुमार पर तीखा हमला और भाजपा पर संदेह का स्वर साफ दिखता है। वे खुद को ‘नीतीश का विकल्प’ और ‘असली पिछड़ा नेता’ के तौर पर प्रस्तुत करने में लगे हैं।
चुनौतियाँ और संभावनाएँ
उपेंद्र कुशवाहा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वे किस सीट से चुनाव लड़ें जहाँ उन्हें जातीय, सामाजिक और व्यक्तिगत समर्थन मिल सके। उनके पास संसाधन सीमित हैं, संगठन कमजोर है, और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल हैं क्योंकि वे बार-बार पाला बदलते रहे हैं।
लेकिन उनके पास अब भी एक अवसर है — अगर वे किसी मजबूत सीट पर, खासकर कोइरी बहुल इलाके में, पूरी ताकत से चुनाव लड़ें और भाजपा-जदयू में फूट हो, तो वे किंगमेकर की भूमिका में आ सकते हैं।
निष्कर्ष
उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक सफर उन नेताओं में गिना जाएगा जिनके पास समय था, अवसर भी था, लेकिन वे स्थिरता नहीं ला सके। 2025 उनके लिए अंतिम बड़ी परीक्षा हो सकती है। अगर वे जीतते हैं, तो एक बार फिर OBC राजनीति में उनकी वापसी संभव है। लेकिन अगर हारते हैं, तो यह उनके राजनीतिक जीवन का सूर्यास्त भी हो सकता है।
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