Bihar Election 2025: कहां हैं राहुल गांधी, पार्टी कार्यकर्ता पूछने लगे सवाल

राहुल गांधी की गैरमौजूदगी पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने उठाए सवाल, सहयोगी दल भी नाराज़

Ramkrishna Vajpei
Published on: 26 Oct 2025 8:00 PM IST
Rahul Gandhi
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Rahul Gandhi (Image from Social Media)

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक तपिश अपने चरम पर है। गाँवों की चौपालों से लेकर पटना के चाय के ठेलों तक, एक ही सवाल हर जुबान पर है कौन जीतेगा इस बार? लेकिन इस जबरदस्त चुनावी घमासान के बीच, एक कोना पूरी तरह शांत है। और यही **कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लंबी अनुपस्थिति** बिहार चुनाव का सबसे बड़ा चर्चा का विषय बन गई है।

राहुल गांधी आखिरी बार 1 सितंबर को बिहार आए थे, जब उन्होंने पटना में अपनी 'वोटर अधिकार यात्रा' की समापन रैली को संबोधित किया था। उस दिन उन्होंने बेरोज़गारी, सामाजिक न्याय और शिक्षा पर खुलकर बात की थी और नारा दिया था अगर बिहार उठेगा, तो भारत उठेगा। लेकिन, उस आक्रामक शुरुआत के लगभग दो महीने बीत चुके हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरजेडी के तेजस्वी यादव ने राज्य में ताबड़तोड़ रैलियाँ की हैं। इसके विपरीत, कांग्रेस का चुनावी अभियान बिना मजबूत चेहरे के पूरी तरह से सुस्त दिखाई दे रहा है।

जमीनी स्तर पर प्रचार कर रहे कांग्रेस उम्मीदवार भी अब हाईकमान की इस देरी पर सवाल उठाने लगे हैं। एक कांग्रेस उम्मीदवार ने नाम न बताने की शर्त पर अपनी पीड़ा जाहिर की: लोग पूछते हैं कि आपके शीर्ष नेता कहाँ हैं? हम क्या जवाब दें? हम मतदाताओं को कैसे समझाएँ? भागलपुर के एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता ने भी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हम रोज़ पोस्टर लगा रहे हैं, रोड शो कर रहे हैं, लेकिन स्टेज पर राहुल गांधी के बिना, यह लड़ाई अधूरी लगती है।

राहुल की गैरमौजूदगी को लेकर सिर्फ कांग्रेस के भीतर ही नहीं, बल्कि महागठबंधन में भी तनाव पैदा हो रहा है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जहाँ अकेले दम पर मोर्चा संभाले हुए हैं, वहीं कांग्रेस की धीमी भागीदारी से सहयोगी दल भी नाराज़ हैं। आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने दो टूक टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव एकता से लड़ा जाता है। अगर कोई साथी आधे मन से लड़ता है, तो वह समर्थन खो देता है और बोझ बन जाता है।

दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा पार्टी का बचाव करते हुए कहते हैं कि राहुल गांधी का कार्यक्रम तय हो रहा है और उनकी रैलियों की योजना बनाई जा रही है। वैसे सूत्रों ने राहुल गांधी की लंबी अनुपस्थिति के पीछे दो मुख्य कारण बताए हैं पहला आंतरिक रणनीति में मतभेद माना जा रहा है कि सीट-शेयरिंग और अभियान योजना को लेकर तालमेल की कमी है। दूसरा कांग्रेस का अधिक ध्यान महाराष्ट्र और हरियाणा पर है, जहाँ पार्टी को वापसी की मजबूत संभावनाएँ दिख रही हैं।

राहुल गांधी की चुप्पी अब बीजेपी के लिए भी एक आसान हथियार बन गई है। बीजेपी प्रवक्ता संजय मयूख कहते हैं कि राहुल गांधी को बिहार के मतदाताओं पर विश्वास नहीं है। इसीलिए वह चुनावी मैदान से गायब हैं। राज्य भर में अब यही सवाल गूंज रहा है: क्या राहुल गांधी की यह खामोशी किसी तूफान से पहले की शांति है, या फिर कांग्रेस की थकावट का संकेत?

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