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महुआ में तेज प्रताप के खिलाफ प्रचार करना तेजस्वी को पड़ेगा भारी? राघोपुर से भी धो बैठेंगे हाथ, समझिए कैसे
बिहार चुनाव में लालू परिवार के भीतर सियासी घमासान तेज हो गया है। महुआ से तेज प्रताप और राघोपुर से तेजस्वी के बीच तकरार खुलकर सामने आ गई है। दोनों भाइयों के बीच की यह जंग अब पार्टी के भविष्य और परिवार की एकता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
Tejashwi Campaign in Mahua: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे बड़ा सियासी ड्रामा लालू परिवार के भीतर देखने को मिल रहा है। महुआ विधानसभा सीट की लड़ाई अब 'आन, बान और शान' की जंग बनकर राघोपुर तक अंगड़ाई लेने लगी है। कहने को तो बड़े भाई तेज प्रताप यादव महुआ में और छोटे भाई तेजस्वी यादव राघोपुर में अपना-अपना चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन अब दोनों के बीच सीधी राजनीतिक तकरार छिड़ गई है। जिस तरह से दोनों भाई एक दूसरे को ललकार रहे हैं, यह लालू यादव की पार्टी और परिवार की आपसी लड़ाई गंभीर राजनीतिक नतीजों की तरफ इशारा कर रही है।
इस विवाद को और हवा तब मिली जब तेजस्वी यादव ने महुआ जाकर आरजेडी प्रत्याशी मुकेश रौशन के पक्ष में चुनाव प्रचार किया, जिसे तेज प्रताप यादव को राघोपुर का सीधा न्योता माना गया। जवाब में, गुस्से में लाल हो चुके तेज प्रताप यादव ने राघोपुर में दो-दो हेलीकॉप्टर उतारने का ऐलान कर दिया है। मोकामा जैसी हिंसक तो नहीं, लेकिन महुआ और राघोपुर की यह लड़ाई राजनीतिक तकरार के तौर पर किसी भी रूप से कम नहीं है।
छोटे भाई को बड़े भाई का जवाब: 'पार्टी नहीं, जनता मालिक है'
तेजस्वी यादव और तेज प्रताप के बीच तकरार तो मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से चल ही रहा था, लेकिन तेजस्वी यादव के महुआ पहुँचने का मतलब ही था कि तेज प्रताप यादव उनके निशाने पर होंगे। महुआ की रैली में तेजस्वी यादव ने इशारों-इशारों में तेज प्रताप को ललकारते हुए कहा था, "कोई आए, कोई जाए... पार्टी से बड़ा कोई नहीं है... पार्टी ही मां-बाप है। पार्टी है तो सब है, पार्टी नहीं तो कुछ भी नहीं है... महुआ से लालटेन और लालू यादव का झंडा लहराएगा।" तेजस्वी को उसी लहजे में जवाब देते हुए तेज प्रताप यादव ने महुआ को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बताते हुए कहा, "मेरे लिए पार्टी और परिवार से कहीं बढ़कर जनता है... पार्टी सिर्फ एक व्यवस्था है, लेकिन जनता हमारी मालिक है।"
उन्होंने सीधे तेजस्वी को निशाने पर लेते हुए कहा, "हमारे छोटे और नादान भाई ने कहा कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं होता... लेकिन, मैं उनसे कहना चाहता हूं... पार्टी से बड़ी जनता होती है... वही असली मालिक है... लोकतंत्र में सबसे बड़ा केवल जनता होती है, न कोई पार्टी और न कोई परिवार।" तेज प्रताप ने तेजस्वी यादव के 18 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दावे पर भी कटाक्ष किया है, "कहने को कोई भी... कुछ भी कह सकता है, लेकिन फैसला जनता ही करती है... नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि क्या होता है।"
राबड़ी का 'मन' और आशीर्वाद: किसे मिलेगा फायदा?
इस सियासी खींचतान के बीच राबड़ी देवी का बयान भावनात्मक रूप से बेहद मायने रखता है। तेजस्वी के हाथ में पार्टी की कमान और पिता का समर्थन है, जबकि तेज प्रताप के साथ माँ का आशीर्वाद है। तेजस्वी यादव के लिए राघोपुर जाकर लोगों से वोट मांग रही राबड़ी देवी ने कहा कि वह प्रचार करने तो नहीं जाएंगी, लेकिन मन से आशीर्वाद तो तेज प्रताप के लिए है ही। राबड़ी देवी ने कहा, "प्रचार करने तो नहीं जाएंगे। मन में है न, दिल में है... जीते ऊ अपना। अपना काम कर रहा है अलग होके। अपना पैर पर खड़ा हुआ है। पूरा बिहार उसको भी हक है घूमने का।" लेकिन, जब राबड़ी देवी ने यह बात कही कि, "मन से तो बेटा है... मन से थोड़े ही निकला है... पार्टी से अलग पार्टी के लोग किया है... चाहे घर से भी निकाला है... मन से तो नहीं निकाला है," तो साफ महसूस होता है कि उन्हें तेज प्रताप यादव को परिवार और पार्टी से निकाले जाने की काफी तकलीफ है।
राघोपुर की लड़ाई: क्या तेजस्वी की राह आसान है?
लालू परिवार की परंपरागत सीट माने जाने वाली राघोपुर में भी लड़ाई अब मिलती-जुलती होने लगी है। राघोपुर, असल में, हाजीपुर संसदीय सीट का हिस्सा है, जहाँ चिराग पासवान का मजबूत जनाधार है। हाल ही में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें लोग तेजस्वी यादव से इलाके से गायब रहने की शिकायत कर रहे थे। कुछ दिन पहले तेज प्रताप यादव भी राघोपुर जाकर बाढ़ से परेशान लोगों की मदद के लिए सामान दिया था और विधायक की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए थे। 2020 में एनडीए से अलग होने के कारण चिराग पासवान ने अपना उम्मीदवार उतारकर तेजस्वी की राह थोड़ी आसान कर दी थी, लेकिन इस बार वह एनडीए के साथ हैं। जैसे आरजेडी ने महुआ में उम्मीदवार उतारा है, तेज प्रताप यादव ने राघोपुर में प्रेम कुमार को उम्मीदवार बनाया है, जबकि जन सुराज पार्टी से चंचल कुमार मैदान में हैं। बीजेपी ने फिर से सतीश यादव पर भरोसा जताया है, जो 2010 में राबड़ी देवी को हरा चुके थे।
लालू परिवार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि तेजस्वी यादव ने महुआ जाकर राघोपुर के लिए खतरा मोल लिया है, और अब तेज प्रताप यादव राघोपुर में धावा बोलने जा रहे हैं। उनका अंदाज साफ है: न खेलेंगे न खेलने देंगे, बल्कि खेल ही बिगाड़ेंगे। इस सियासी तकरार ने दोनों भाइयों के गढ़ में मुकाबला आर-पार का बना दिया है।
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