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BJP का मास्टरस्ट्रोक! सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर एक साथ 5 राज्यों को साधा, RSS को भी किया खुश
NDA Candidate CP Radhakrishnan: BJP ने NDA की ओर से सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया, जिससे पांच राज्यों में पार्टी की पकड़ मजबूत हुई और RSS भी संतुष्ट हुआ।
NDA Candidate CP Radhakrishnan: भारतीय राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर हुआ है! भाजपा ने एनडीए की ओर से सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह फैसला एक ही झटके में कांग्रेस और 'इंडिया' गठबंधन को बैकफुट पर धकेल गया है। सीपी राधाकृष्णन, जो फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, के नाम ने न सिर्फ तमिलनाडु को चौंकाया है, बल्कि भाजपा ने एक ही चाल में पांच राज्यों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भी साध लिया है। यह फैसला सिर्फ एक उम्मीदवार का ऐलान नहीं है, बल्कि एक गहरी और सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
एक तीर से कई निशाने, हर फैक्टर पर फिट
सीपी राधाकृष्णन का पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है। 68 साल के राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर बेहद अनुभवी रहा है। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत उनका अनुभव है। उन्होंने महाराष्ट्र के अलावा तेलंगाना, पुडुचेरी और झारखंड में भी संवैधानिक जिम्मेदारियां संभाली हैं, जो उन्हें उपराष्ट्रपति जैसे गरिमामय पद के लिए बेहद योग्य बनाती हैं। भाजपा ने उनके नाम की घोषणा करके दक्षिण भारत में कांग्रेस के 'साउथ कार्ड' को पहले ही काट दिया है। 'इंडिया' गठबंधन में चर्चा थी कि वे बिहार या आंध्र प्रदेश से किसी उम्मीदवार को उतार सकते हैं, लेकिन भाजपा ने पहले ही अपनी चाल चलकर विपक्ष को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
संघ का गहरा विश्वास, एक वफादार सिपाही
सीपी राधाकृष्णन उन गिने-चुने नेताओं में से हैं जो बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं। वे महज 16 साल की उम्र से ही संघ की शाखाओं में जाते रहे हैं। भाजपा ने उन्हें उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर संघ को भी एक मजबूत संदेश दिया है कि वह अपने वैचारिक आधार से जुड़े नेताओं को आगे बढ़ा रही है। जगदीप धनखड़ के असमय इस्तीफे के बाद भाजपा को एक अनुभवी और विश्वसनीय उम्मीदवार की तलाश थी, और राधाकृष्णन उस कसौटी पर पूरी तरह खरे उतरे हैं। भाजपा को पूरा भरोसा है कि वह राज्यसभा को बिना किसी असहज स्थिति के चला सकेंगे। उपराष्ट्रपति बनने के बाद राधाकृष्णन का अनुभव और मुखरता भाजपा के लिए तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनावों में भी फायदेमंद साबित होगी।
कांग्रेस से पहले 'स्ट्राइक' और तमिलनाडु में 'सियासी तूफान'
भाजपा ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर 'इंडिया' गठबंधन को पीछे छोड़ दिया है। अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन जैसे क्षेत्रीय नेताओं के लिए राधाकृष्णन का विरोध करना आसान नहीं होगा। राधाकृष्णन खुद तमिलनाडु से आते हैं और उनकी पहचान एक मुखर और सुलझे हुए नेता की है। जब महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा का विवाद चरम पर था, तब बतौर राज्यपाल उन्होंने बेबाकी से कहा था, "मैं मराठी नहीं बोलूंगा तो क्या मुझे मारेंगे?" उन्होंने कहा था कि अगर भाषा के नाम पर मारपीट होगी तो निवेश नहीं आएगा। इस बयान ने विपक्षी दलों, खासकर मनसे और शिवसेना (यूबीटी), को भी चौंका दिया था।
सीपी राधाकृष्णन का नामांकन भाजपा की दूरदर्शिता का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह न सिर्फ विपक्ष के रणनीतिकारों के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह भाजपा के लिए आने वाले समय में एक गेमचेंजर साबित हो सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
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