Justice Yashwant Varma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गई, आरोपों की हुई प्रारंभिक पुष्टि

Justice Yashwant Varma Case: 22 मार्च को दिल्ली में जस्टिस वर्मा के आधिकारिक निवास पर एक अग्निशमन अभियान के दौरान स्टोररूम से भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबरें सामने आईं थी। दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.के. उपाध्याय द्वारा प्रारंभिक रिपोर्ट में इस मामले की गहन जांच की सिफारिश की गई थी, जिस आधार पर CJI ने इन-हाउस जांच समिति का गठन किया था।

Newstrack          -         Network
Published on: 8 May 2025 5:59 PM IST
Justice Yashwant Varma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गई, आरोपों की हुई प्रारंभिक पुष्टि
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Justice yashwant Varma   (Photo: Social Media )

Justice Yashwant Varma Case: सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ की गई इन-हाउस जांच की रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज दी है। यह रिपोर्ट उस जांच से संबंधित है जो जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर अवैध नकदी मिलने की कथित घटना के बाद गठित की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि तीन सदस्यीय समिति द्वारा 3 मई 2025 को सौंपी गई रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा द्वारा 6 मई को भेजा गया स्पष्टीकरण, दोनों को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दिया गया है। यह कार्रवाई "इन-हाउस प्रक्रिया" के तहत की गई है।

प्रारंभिक जांच में आरोपों को पाया गया गंभीर

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन सदस्यीय जांच समिति ने प्रारंभिक तौर पर आरोपों को विश्वसनीय माना है। रिपोर्ट को राष्ट्रपति तक भेजा जाना भी इस बात का संकेत देता है कि आरोपों में कुछ हद तक सच्चाई पाई गई है।

इन-हाउस प्रक्रिया के अनुसार, यदि जांच में आरोपों को प्रथम दृष्टया गंभीर पाया जाता है, तो CJI संबंधित न्यायाधीश को इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की सलाह देते हैं। अगर न्यायाधीश इससे इनकार करता है, तो आगे की कार्रवाई के लिए मामला राष्ट्रपति को सौंपा जाता है।

क्या है मामला

22 मार्च को दिल्ली में जस्टिस वर्मा के आधिकारिक निवास पर एक अग्निशमन अभियान के दौरान स्टोररूम से भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबरें सामने आईं। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यरत न्यायाधीश थे। इसके बाद उन्हें उनके मूल हाई कोर्ट, इलाहाबाद स्थानांतरित कर दिया गया।

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.के. उपाध्याय द्वारा प्रारंभिक रिपोर्ट में इस मामले की गहन जांच की सिफारिश की गई थी, जिस आधार पर CJI ने इन-हाउस जांच समिति का गठन किया।

जस्टिस वर्मा का स्पष्टीकरण

अपने जवाब में जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कोई नकदी स्टोररूम में नहीं रखी थी। उन्होंने यह भी बताया कि वह घटना के समय दिल्ली में मौजूद नहीं थे और वह कमरा स्टाफ के लिए खुला और सुलभ था। उन्होंने आरोपों को उनके खिलाफ साजिश करार दिया है और कहा कि कोई नकदी जब्त नहीं हुई है।


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Shivam Srivastava

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