देश में आरक्षण रेलवे के कारोबार जैसा… आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट को कहनी पड़ी ये बात!

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव पर सुनवाई के दौरान बड़ी बात कह दी है।

Sonali kesarwani
Published on: 6 May 2025 3:31 PM IST (Updated on: 6 May 2025 3:33 PM IST)
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में आज यानी मंगलवार को महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले पर सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने की। इस केस की बात करे तो इसमें याचिकाकर्ता की तरफ से यह कहा गया था कि 2016-2017 में महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान राज्य के बंठिया आयोग ने स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को यह पता लगाए बिना आरक्षण दे दिया कि वे राजनीतिक रूप से पिछड़े हैं या नहीं। आज सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की कि आरक्षण रेल के डिब्बे है। जो लोग बोगी में चढ़ जाते है वो नहीं चाहते कि कोई और आये।

जातिगत आरक्षण रेलगाड़ी के डिब्बे जैसा- जस्टिस सूर्यकांत

आज निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस देश में जाति आधारित आरक्षण रेलगाड़ी के डिब्बे की तरह हो गया है और जो लोग इस डिब्बे में चढ़ते हैं, वे दूसरों को अंदर नहीं आने देना चाहते। सुनवाई करने वाली पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण का विवादास्पद मुद्दा 2022 की रिपोर्ट से पहले जैसा ही रहेगा।

याचिकाकर्ता के वकील ने क्या दी दलीलें

आज याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलीलें देते हुए कहा कि राजनीतिक पिछड़ापन सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन से अलग है। इसलिए ओबीसी को स्वत: राजनीतिक रूप से पिछड़ा नहीं माना जाना चाहिए। जिसपर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आरक्षण का कारोबार रेलवे की तरह हो गया है। जो लोग बोगी में चढ़े हैं, वे नहीं चाहते कि कोई और घुसे। यही पूरा खेल है। याचिकाकर्ता का भी यही खेल है। जिसपर वकील ने कहा कि तो इसमें अब और भी बोगियां जोड़ी जा रही हैं। जिसके जवाब में जस्टिस ने कहा कि जब आप समावेशिता के सिद्धांत का पालन करते हैं, तो राज्य और अधिक वर्गों की पहचान करने के लिए बाध्य है। सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग, राजनीतिक रूप से पिछड़े वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग भी होंगे तो उन्हें लाभ से वंचित क्यों रखा जाना चाहिए? इसे एक विशेष परिवार या समूह तक ही सीमित क्यों रखा जाना चाहिए?

राज्य निर्वाचन आयोग से कोर्ट ने क्या कहा

आज सुनवाई के समय पीठ ने यह मौखिक तौर पर कहा कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे के कारण राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में विलम्ब नहीं किया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को कहा कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव चार महीने में संपन्न कराये जाए। बता दें कि पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को उचित मामलों में अधिक समय मांगने की स्वतंत्रता दी।

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