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एक हवलदार का बेटा...जो बना दुनिया का सबसे बड़ा डॉन! 15000 करोड़ का साम्राज्य, 5000 से ज़्यादा गुनाह! जानिए कैसे एक डोंगरी का लड़का बना भारत का दुश्मन नंबर 1?
Dawood Ibrahim untold story: जिस दाऊद के बारे में कहा जाता है कि वह अपनी उँगलियों पर बॉलीवुड से लेकर क्रिकेट और राजनीति तक को नचाता था, उसी दाऊद की मौत की खबरें पिछले कुछ सालों में कई बार आ चुकी हैं, लेकिन हर बार यह खबर एक अफवाह साबित हुई। तो आखिर क्या है सच?
Dawood Ibrahim untold story: उस समय मुंबई की शामें कभी इतनी सुनहरी नहीं हुआ करती थीं। 70 और 80 के दशक की मुंबई, जिसे उस समय बॉम्बे कहा जाता था, अपराध की काली परछाइयों से घिरी हुई थी। यह सिर्फ़ एक शहर नहीं, बल्कि एक युद्ध का मैदान था, जहाँ हर दिन सत्ता और वर्चस्व की लड़ाई लड़ी जाती थी। इस लड़ाई का सबसे बड़ा योद्धा, सबसे खूंखार चेहरा और सबसे बड़ा रहस्य, एक ही नाम में सिमट गया था - दाऊद इब्राहिम। आज तक किसी ने ठीक से नहीं समझा कि कैसे एक पुलिस हवलदार का साधारण बेटा दुनिया का सबसे बड़ा अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया, जिसके नाम से सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में खौफ का माहौल है। जिस दाऊद के बारे में कहा जाता है कि वह अपनी उँगलियों पर बॉलीवुड से लेकर क्रिकेट और राजनीति तक को नचाता था, उसी दाऊद की मौत की खबरें पिछले कुछ सालों में कई बार आ चुकी हैं, लेकिन हर बार यह खबर एक अफवाह साबित हुई। तो आखिर क्या है सच? क्या दाऊद अभी भी जिंदा है या कहीं छिपा हुआ है, या फिर उसकी कहानी का अंत हो चुका है? यह रिपोर्ट आपको उस शैतानी दिमाग के भीतर ले जाएगी, जिसने अपनी दुनिया खुद बनाई, और जिसे आज भारत का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।
डोंगरी की गलियों से शुरू हुई अंडरवर्ल्ड की कहानी
दाऊद इब्राहिम कासकर, जिसका जन्म 26 दिसंबर 1955 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ, दाऊद ने अपने शुरुआती दिन मुंबई के डोंगरी इलाके में बिताए। उनके पिता, इब्राहिम कासकर, मुंबई पुलिस में एक हेड कांस्टेबल थे। एक पुलिसकर्मी का बेटा, जो बचपन से ही अपराध की दुनिया के करीब था। दाऊद ने अपनी पढ़ाई अहमद सेलर हाई स्कूल से छोड़ दी और जल्द ही छोटी-मोटी चोरियों और ठगी के काम में लग गया। उस समय, मुंबई का अंडरवर्ल्ड पठान गैंग और हाजी मस्तान के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। दाऊद ने इस माहौल को एक अवसर के रूप में देखा और उसने अपनी खुद की गैंग बनाना शुरू कर दिया, जिसमें उसके भाई अनीस इब्राहिम और शब्बीर इब्राहिम भी शामिल थे। शुरुआत में, वह सिर्फ़ एक छोटा-मोटा बदमाश था, लेकिन उसकी महत्वाकांक्षाएं बहुत बड़ी थीं।
दाऊद ने जल्दी ही यह समझ लिया कि अंडरवर्ल्ड में सिर्फ़ बंदूक की ताकत ही नहीं, बल्कि दिमाग का खेल भी चलता है। उसने हाजी मस्तान से हाथ मिलाया और उसके लिए काम करना शुरू कर दिया। हाजी मस्तान उस समय का सबसे बड़ा तस्कर था, और दाऊद ने उसके साम्राज्य से बहुत कुछ सीखा। लेकिन दाऊद की असली पहचान तब बनी, जब उसने अपनी ही एक अलग कंपनी, 'डी-कंपनी' की नींव रखी। उसने धीरे-धीरे अपनी गैंग का विस्तार किया और जबरन वसूली, सट्टेबाजी और तस्करी के धंधे में घुस गया। इस दौरान, उसने कई गैंगस्टरों को रास्ते से हटाया, जिसमें पठान गैंग के भी सदस्य शामिल थे, और इस तरह वह मुंबई अंडरवर्ल्ड का नया बेताज बादशाह बन गया।
दुबई का डॉन: जब मुंबई से पूरी दुनिया में फैला साम्राज्य
1980 के दशक के मध्य तक, दाऊद मुंबई में एक शक्तिशाली डॉन बन चुका था। लेकिन पुलिस का दबाव बढ़ रहा था। 1986 में, मुंबई पुलिस ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह चकमा देकर दुबई भाग गया। दुबई, जो उस समय अंडरवर्ल्ड के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चुका था, दाऊद के लिए एक नया अध्याय था। यहीं से दाऊद ने अपने साम्राज्य को भारत की सीमाओं से बाहर फैलाना शुरू किया।
दुबई में रहते हुए, उसने हथियारों की तस्करी, ड्रग्स और हवाला जैसे गैर-कानूनी धंधों को बड़े पैमाने पर शुरू किया। उसकी 'डी-कंपनी' अब सिर्फ़ एक स्थानीय गैंग नहीं रही थी, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक सिंडिकेट बन चुकी थी। दाऊद के तार बॉलीवुड से लेकर क्रिकेट तक जुड़ चुके थे। कहा जाता है कि कई फिल्मों को वह फाइनेंस करता था और क्रिकेट मैचों में सट्टा भी उसी के इशारे पर लगता था। उसकी पहुंच इतनी बढ़ गई थी कि वह भारत से बाहर बैठे-बैठे ही अपने सभी ऑपरेशंस को कंट्रोल करता था। उसके इशारे पर भारत में हत्याएं होती थीं, धमकियां दी जाती थीं और उसका खौफ हर जगह महसूस किया जाता था।
मुंबई धमाके और भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी
दाऊद इब्राहिम का नाम एक अपराधी से एक खूंखार आतंकवादी के रूप में तब बदल गया, जब 12 मार्च 1993 को मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाकों से पूरा शहर दहल उठा। इन धमाकों में 257 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और 700 से ज़्यादा घायल हुए थे। जांच एजेंसियों ने जल्द ही पाया कि इन धमाकों का मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम था।यह माना जाता है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए दाऊद ने यह आतंकी हमला करवाया था। इस हमले के बाद, दाऊद सिर्फ़ एक डॉन नहीं रहा, बल्कि वह भारत का सबसे बड़ा दुश्मन और एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी बन गया। भारत सरकार ने उसे पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन वह दुबई से पाकिस्तान भाग गया। पाकिस्तान, जो हमेशा से दाऊद के वहां होने से इनकार करता रहा है, उसे अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण में रखता है। 2003 में, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने भी दाऊद इब्राहिम को "वैश्विक आतंकवादी" घोषित किया और उस पर 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम रखा।
दाऊद की जिंदगी के हाई-प्रोफाइल केस और साजिशें
दाऊद इब्राहिम के खिलाफ दर्ज मामलों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। 1993 के मुंबई धमाके तो सबसे कुख्यात हैं, लेकिन इसके अलावा भी उस पर अनगिनत आरोप हैं।
* 1992 का जेजे अस्पताल गोलीकांड: दाऊद के गैंग ने जेजे अस्पताल में अरुण गवली गैंग के एक सदस्य की हत्या की, जिसके बाद दोनों गैंग्स के बीच भयानक गैंगवॉर छिड़ गई।
* गैंगवॉर और छोटा राजन से दुश्मनी: एक समय पर दाऊद का दाहिना हाथ रहा छोटा राजन, 1993 के धमाकों के बाद उससे अलग हो गया। राजन ने आरोप लगाया कि दाऊद ने देशद्रोह किया है, और उसके बाद दोनों के बीच खूनी गैंगवॉर शुरू हो गई। छोटा राजन ने दाऊद के कई गुर्गों को मारा, और दाऊद ने भी राजन पर जानलेवा हमला करवाया।
* प्रॉपर्टी विवाद और हवाला रैकेट: दाऊद और उसकी 'डी-कंपनी' ने भारत में करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित की। उसकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा हवाला के माध्यम से संचालित होता था। मुंबई और भारत के अन्य शहरों में कई बिल्डरों और व्यापारियों से जबरन वसूली के मामले भी सामने आते रहे हैं।
* बॉलीवुड और क्रिकेट में घुसपैठ: दाऊद का प्रभाव बॉलीवुड और क्रिकेट जगत में इतना गहरा था कि कई अभिनेताओं, निर्देशकों और क्रिकेटरों के साथ उसके संबंध होने की खबरें सामने आईं। कहा जाता है कि वह इन क्षेत्रों को अपने काले धन को सफेद करने के लिए इस्तेमाल करता था।
क्या दाऊद इब्राहिम अभी भी जिंदा है?
दाऊद इब्राहिम की मौत की खबरें समय-समय पर सुर्खियों में आती रहती हैं, लेकिन आज तक कोई भी खबर आधिकारिक रूप से पुष्ट नहीं हो पाई है। पिछले साल, खबर आई थी कि उसे पाकिस्तान में जहर दिया गया है, और वह कराची के एक अस्पताल में भर्ती है। लेकिन बाद में, यह खबर भी एक अफवाह साबित हुई। भारतीय और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि दाऊद अभी भी पाकिस्तान के कराची में छिपा हुआ है, जहां वह आईएसआई के कड़े संरक्षण में रहता है। एजेंसियों ने कराची के पॉश क्लिफ्टन इलाके में उसके ठिकानों की जानकारी भी हासिल कर ली है। लेकिन पाकिस्तान सरकार हमेशा से इन आरोपों का खंडन करती रही है।
क्या दाऊद इब्राहिम सिर्फ़ एक नाम है?
उसकी कहानी अपराध, राजनीति और आतंक की एक ऐसी त्रिकोणीय गाथा है, जिसका अंत शायद कभी नहीं होगा। वह आज भी भारत का सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है, और जब तक वह पकड़ा नहीं जाता, उसकी कहानी का रहस्य और खौफ कायम रहेगा। दाऊद, जो कभी एक आम इंसान था, अपनी सनक और शैतानी दिमाग से एक ऐसा दानव बन गया, जिसकी परछाई आज भी भारत को डराती है। उसकी जिंदगी एक ऐसी पहेली है, जिसे सुलझाना अभी बाकी है, और जब तक वह सुलझ नहीं जाती, दाऊद इब्राहिम नाम का यह राक्षस खबरों और लोगों के दिमाग में जिंदा रहेगा।
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