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Maharashtra Politics: आखिर क्यों नहीं पहुंचे कैबिनेट मीटिंग में एकनाथ शिंदे? क्या फडणवीस सरकार से नाराज चल रहे है डिप्टी CM
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में क्या सबकुछ ठीक है? यह सवाल एक बार फिर जोर-शोर से उठने लगा है। दरअसल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुए।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में क्या सबकुछ ठीक है? यह सवाल एक बार फिर जोर-शोर से उठने लगा है। दरअसल, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुए। इस बात ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों को हवा दे दी है, क्योंकि उनके करीबी माने जाने वाले मंत्री भारत गोगावाले भी इस बैठक से दूर रहे। शिंदे की इस गैरमौजूदगी को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है।
नाराजगी की असली वजह क्या है?
माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक खुद को सरकार में नजरअंदाज किए जाने से नाराज हैं। उनकी एक बड़ी चिंता यह है कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार में शिवसेना की तुलना में अजित पवार और उनके लोगों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। भले ही फिलहाल उनके पास सरकार छोड़ने का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन अंदरखाने यह नाराजगी लगातार बढ़ रही है।
गोगावाले की नाराजगी का कारण भी सामने आया है। वह रायगढ़ जिले का प्रभारी मंत्री न बनाए जाने से खफा हैं। इस पद के लिए पहले एनसीपी की अदिति तटकरे का नाम सामने आया था, जिस पर शिवसेना ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद अदिति का नाम वापस ले लिया गया, लेकिन अब तक किसी और का नाम तय नहीं हुआ है।
ध्वजारोहण को लेकर भी बढ़ा विवाद
नाराजगी की एक और वजह स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी है। इस साल रायगढ़ जिला मुख्यालय में 15 अगस्त को ध्वजारोहण करने के लिए अदिति तटकरे को ही मुख्य अतिथि के तौर पर चुना गया है। शिवसेना का मानना है कि इस जिले में उनकी स्थिति मजबूत है और ऐसे में उनके नेता भारत गोगावाले को ही प्रभारी मंत्री घोषित किया जाना चाहिए था। अब अदिति तटकरे के ध्वजारोहण करने से शिवसेना में नाराजगी और बढ़ गई है।
जानकारों का मानना है कि एकनाथ शिंदे का कैबिनेट मीटिंग से दूर रहना और गोगावाले का भी नहीं आना, इसी नाराजगी का नतीजा है। इससे पहले, शिंदे विधानसभा सत्र के बीच में ही दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे, जिसे भी उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश के तौर पर देखा गया था। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या भाजपा आलाकमान एक बार फिर इस नाराजगी को दूर कर पाएगा या महाराष्ट्र की राजनीति में कोई नया मोड़ आएगा।
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