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जनरल अनिल चौहान का बढ़ा कार्यकाल, 2026 तक संभालेंगे CDS पद की कमान, ऑपरेशन सिंदूर का मिला इनाम
जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल बढ़ाकर 2026 तक कर दिया गया है। ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं के बेहतरीन तालमेल और उनकी अनुकरणीय सेवाओं के कारण सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है।
CDS General Anil Chauhan tenure extension: देश की सुरक्षा और सैन्य रणनीति के लिए एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है। भारत के मौजूदा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की, जिससे साफ हो गया कि भारतीय सेना के एकीकरण और भविष्य की योजनाओं के लिए उनकी सेवाएं जारी रहेंगी। जनरल चौहान का कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म होने वाला था, लेकिन अब उन्हें 30 मई 2026 तक या अगले आदेश तक के लिए सेवा विस्तार दे दिया गया है। इस फैसले को हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' में तीनों सेनाओं के बेहतरीन तालमेल का इनाम माना जा रहा है, जिसका श्रेय सीधे तौर पर उन्हीं को दिया गया था।
'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता का मिला 'इनाम'
जनरल चौहान को उनकी अनुकरणीय सेवाओं और नेतृत्व के लिए जाना जाता है। बीते मई महीने में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' में जिस प्रकार से भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने आपसी तालमेल का प्रदर्शन किया, उसकी हर तरफ सराहना हुई। इस ऑपरेशन की सफलता का श्रेय सीडीएस चौहान को दिया गया, जिन्होंने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास किए हैं। इस तरह का तालमेल आधुनिक युद्ध के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और यही वजह है कि सरकार ने उन्हें इस अहम पद पर बनाए रखने का फैसला किया है।
विशिष्ट सेवा और गौरवशाली करियर का विस्तार
जनरल चौहान का करियर बेहद शानदार और गौरवशाली रहा है। वे 1981 में भारतीय सेना में कमीशंड हुए थे और अपनी विशिष्ट सेवाओं के लिए कई बड़े सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। उनका यह सेवा विस्तार न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों का सम्मान है, बल्कि यह सेना के उन सिद्धांतों और मूल्यों पर सरकार का भरोसा भी दर्शाता है, जिनका वह प्रतिनिधित्व करते हैं।
तीनों सेनाओं का एकीकरण: एक अहम जिम्मेदारी
फिलहाल, जनरल चौहान तीन सेनाओं के एकीकरण के एक बेहद महत्वपूर्ण कार्य में जुटे हुए हैं। इस कार्य को भारतीय सेना के इतिहास में एक बड़ा और रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं को और अधिक कुशल, मजबूत और एकीकृत बनाना है ताकि वे भविष्य की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें। उनका सेवा विस्तार यह सुनिश्चित करता है कि इस महत्वपूर्ण परियोजना को बिना किसी रुकावट के पूरा किया जा सके। यह फैसला देश की रक्षा तैयारियों के लिए एक बड़ा और सकारात्मक कदम है।
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