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हज 2025 में तीव्र गिरावट: 30 वर्षों में सबसे कम श्रद्धालु
Hajj 2025: 30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब हज की यात्रा करने वालों में इतनी गिरावट देखी गयी है।
Hajj 2025 (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। इस वर्ष का हज तीर्थ, जो इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है और दुनियाभर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र कर्तव्य माना जाता है, पिछले 30 वर्षों में सबसे कम उपस्थिति वाला हज बन गया है। सऊदी अरब के हज मंत्रालय के अनुसार, इस बार केवल 16,73,230 श्रद्धालुओं ने हज में भाग लिया, जो पिछले वर्ष के 18,33,164 की तुलना में लगभग 1.6 लाख की गिरावट है। यह संख्या 2012 में महामारी-पूर्व समय की 3.16 मिलियन (31.6 लाख) से अधिक की चोटी के मुकाबले बहुत कम है। इस बार अधिकांश श्रद्धालु सऊदी अरब के बाहर से आए थे, लेकिन इस तीव्र गिरावट के लिए अभी तक अधिकारियों द्वारा कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है।
आर्थिक और पर्यावरणीय कारण
श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट वैश्विक आर्थिक संकटों की पृष्ठभूमि में देखी जा रही है, जिसमें बढ़ती महंगाई और आर्थिक अस्थिरता शामिल हैं, जिसने मक्का की महंगी यात्रा को कई मुसलमानों के लिए असंभव बना दिया है। हज यात्रा में यात्रा, ठहराव और अन्य खर्चों के लिए भारी आर्थिक निवेश की आवश्यकता होती है, और यह केवल उन पर अनिवार्य होती है जो शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हों।
इस बार तीव्र गर्मी भी एक बड़ी चुनौती रही। हज के दौरान तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104°F) तक पहुंच गया, जिसके चलते सऊदी सरकार ने गर्मी से राहत देने के लिए विशेष इंतज़ाम किए—जैसे 50,000 वर्ग मीटर अतिरिक्त छायादार क्षेत्र, 400 से अधिक कूलिंग यूनिट, और मक्का की ग्रैंड मस्जिद में दुनिया की सबसे बड़ी शीतलन प्रणाली, जो 1,55,000 टन रेफ्रिजरेशन क्षमता वाली है। बावजूद इसके, पिछले वर्ष की त्रासदी की स्मृति, जिसमें 1,300 से अधिक श्रद्धालुओं की गर्मी से मृत्यु हो गई थी, शायद इस बार लोगों को यात्रा करने से रोकने वाला एक बड़ा कारण बनी।
सख्त नियम और सुरक्षा उपाय
सऊदी अरब ने हज 2025 के लिए कई बड़े बदलाव किए, जिन्हें हज के 1,400 वर्षों के इतिहास में सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। नए नियमों में पहली बार हज करने वालों को प्राथमिकता दी गई और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया ताकि भीड़ से जुड़े जोखिम कम हो सकें।
साथ ही, “बिना अनुमति हज नहीं” नामक सख्त अभियान चलाया गया, जिसमें एआई-संचालित “सक़्र ड्रोन” का उपयोग अवैध श्रद्धालुओं को पकड़ने के लिए किया गया। पिछले साल हुई अधिकांश मौतों (83%) इन्हीं गैर-अधिकृत श्रद्धालुओं की वजह से हुई थी। इस वर्ष 2,69,000 से अधिक ऐसे लोगों को मक्का में प्रवेश करने से रोका गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सऊदी प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर अपनी कोशिशें काफी तेज़ कर दी हैं।
इसके अलावा, पश्चिमी देशों के श्रद्धालुओं के लिए वीज़ा आवेदन की प्रक्रिया “नुसुक” ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए कर दी गई, जिसमें ट्रैवल एजेंसियों की बुकिंग की जगह पहले आओ-पहले पाओ प्रणाली लागू हुई। इससे उन लोगों को समस्या हो सकती है जो इस प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं।
उमराह वीज़ा धारकों को 29 अप्रैल 2025 तक सऊदी अरब छोड़ने का निर्देश दिया गया, और हज वीज़ा धारकों को ही इसके बाद मक्का में रहने की अनुमति दी गई। ये उपाय जहां एक ओर व्यवस्था को सुचारू करने के लिए थे, वहीं दूसरी ओर इनकी जटिलता ने कमजोर आर्थिक स्थिति वाले या कम संगठित श्रद्धालुओं के लिए बाधा खड़ी की।
सऊदी अरब की ‘विजन 2030’ पर प्रभाव
हज, सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है—तेल और गैस के बाद दूसरे स्थान पर। 2014 में हज से लगभग 8.5 अरब डॉलर की आय हुई थी। सऊदी अरब की विजन 2030 योजना का उद्देश्य 2030 तक हर वर्ष 3 करोड़ धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करना है, जिसके लिए शानदार होटल, एयरपोर्ट और मक्का रूट इनिशिएटिव जैसी सुविधाओं में भारी निवेश किया जा रहा है। वर्ष 2024 में मक्का रूट इनिशिएटिव के माध्यम से 7 देशों से 3,22,902 श्रद्धालु पहुंचे थे।
हालांकि, इस वर्ष की कम भागीदारी ने इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। वैश्विक आर्थिक संकट और कड़े नियमों के चलते आने वाले वर्षों में हज में भाग लेने वाले लोगों की संख्या पर असर पड़ता रह सकता है।
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