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जानें उत्तराखंड के जन्नत से भी ज्यादा खूबसूरत उन जगहों के बारे में, जहां आज भी नहीं पहुंची भीड़ की नजर — अनदेखे स्वर्ग जो दिल चुरा लेंगे!
Uttarakhand Hidden Places: आज हम आपको ले चलेंगे उत्तराखंड के उन अनछुए, अनदेखे और अनजाने इलाकों में, जहां न भीड़ है, न शोर सिर्फ़ शुद्ध हवा, शांत वादियां और प्रकृति का अपार सौंदर्य।
Uttarakhand Hidden Places
Uttarakhand Hidden Places: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है एक ऐसी ज़मीन जहां कुदरत की खूबसूरती और आध्यात्म का संगम देखने को मिलता है। मसूरी, नैनीताल, रानीखेत जैसे नाम हम सभी के ज़ेहन में बसे हैं, लेकिन इस पहाड़ी राज्य की असली खूबसूरती अक्सर उन जगहों में छिपी होती है, जिनका नाम तक ज़्यादातर लोगों ने नहीं सुना। आज हम आपको ले चलेंगे उत्तराखंड के उन अनछुए, अनदेखे और अनजाने इलाकों में, जहां न भीड़ है, न शोर सिर्फ़ शुद्ध हवा, शांत वादियां और प्रकृति का अपार सौंदर्य।
कनकचौरी: जहां बादलों में लिपटी होती हैं वादियां
टिहरी गढ़वाल के गहरे जंगलों और ऊंची पहाड़ियों के बीच बसा है छोटा-सा गांव कनकचौरी। यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बेहद कम है, लेकिन जो एक बार आता है, उसका दिल यहीं रह जाता है। कनकचौरी से चंद्रबदनी मंदिर का रास्ता जाता है, जो एक ऊंची चोटी पर स्थित है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का नज़ारा किसी स्वर्गिक अनुभव से कम नहीं होता। बरसात के मौसम में यह इलाका बादलों की चादर में लिपटा रहता है, और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह एक छिपा हुआ खज़ाना है।
खिर्सू: फूलों की घाटी से कम नहीं
पौड़ी गढ़वाल जिले का खिर्सू एक ऐसा गांव है जो रंग-बिरंगे फूलों, हरे-भरे बागानों और अद्भुत शांति के लिए जाना जाता है। यहां से आपको त्रिशूल, नंदा देवी और पंचचूली की चोटियां साफ़-साफ़ नज़र आती हैं। यह जगह खास तौर पर उन लोगों के लिए आदर्श है जो शहरों की भीड़भाड़ से दूर, सुकून और आत्मिक शांति की तलाश में हैं। यहां के पुराने मंदिर, देवदार के जंगल और ग्रामीण जीवन की सरलता इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।
मुनस्यारी से आगे मिलम ग्लेशियर की गोद में बसे गांव
मुनस्यारी तो अब एक प्रसिद्ध डेस्टिनेशन बन चुका है, लेकिन उससे आगे जो गांव मिलते हैं—बुर्फू, लीलम, मर्तोली—वो आज भी टूरिज़्म के नक्शे से बाहर हैं। ये गांव न केवल मिलम ग्लेशियर ट्रैक का हिस्सा हैं, बल्कि यहां की संस्कृति, वास्तुकला और रहन-सहन आज भी सदियों पुरानी है। रास्ते में आप गंगा की सहायक गोरी गंगा के किनारे-किनारे चलते हैं, और आसमान को चीरती हिमालय की चोटियां आपका साथ देती हैं। ये गांव हर उस व्यक्ति को बुलाते हैं जो असली हिमालय को जीना चाहता है।
कौसानी से भी शांत है बिनसर का घना जंगल
अल्मोड़ा जिले में स्थित बिनसर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी एक छिपा हुआ स्वर्ग है। जहां कौसानी की प्रसिद्धि पर्यटकों को खींचती है, वहीं बिनसर एक ऐसी जगह है जहां आपको प्रकृति के अलावा कुछ भी देखने को नहीं मिलेगा—न ट्रैफिक, न हॉर्न, न बाजार। यहां के जंगल इतने घने हैं कि दिन में भी सूरज की किरणें ज़मीन तक नहीं पहुंच पातीं। बिनसर में ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग और मेडिटेशन का अनुभव वाकई अनोखा होता है। साथ ही बिनसर टॉप से दिखने वाला 300 किमी लंबा हिमालयी व्यू किसी पोस्टकार्ड की तरह प्रतीत होता है।
मोरी: टोंस नदी के किनारे बसी जन्नत
देहरादून जिले से दूर यमुनोत्री घाटी में बसा छोटा-सा कस्बा है मोरी। यह इलाका टोंस नदी के किनारे बसा हुआ है, जो यमुना की एक सहायक नदी है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य इतना अद्भुत है कि यहां पहुंचते ही हर मन सुकून पा लेता है। राफ्टिंग के लिए यह जगह आदर्श मानी जाती है, और साथ ही आप यहां जौनसारी जनजाति की संस्कृति से भी रूबरू हो सकते हैं। पहाड़ी घर, लकड़ी की नक्काशी, और खेतों में लहराते बासमती के पौधे—मोरी एक अनुभव है, एक कहानी है जो हर घुमक्कड़ को सुननी चाहिए।
लोहाघाट: चंपावत का रहस्यमयी पड़ोसी
उत्तराखंड का लोहाघाट एक ऐसा कस्बा है जो इतिहास, रहस्य और प्राकृतिक खूबसूरती का मेल है। यहां से कुछ दूरी पर स्थित है ‘अभयपुर महल’ या ‘विक्टोरिया कासल’, जिसके बारे में माना जाता है कि यह भूतहा है। लेकिन डर को एक तरफ रख दें तो यहां की हरियाली, शांत झीलें और ऊंचे देवदार के पेड़ आपको सुकून से भर देंगे। लोहाघाट, चंपावत की तुलना में बहुत कम जाना-पहचाना है, लेकिन इसकी ऊंचाई और प्राकृतिक ठंडक किसी भी प्रसिद्ध हिल स्टेशन को टक्कर देती है।
धनोल्टी से भी आगे कणाताल और सुरकंडा देवी
मसूरी के आसपास की भीड़ से बचकर अगर आप सच में सुकून की तलाश में हैं, तो कणाताल और उससे आगे सुरकंडा देवी मंदिर की यात्रा कीजिए। यहां से आपको हिमालय की ऐसी तस्वीरें मिलेंगी जो आपने सिर्फ पोस्टर में देखी होंगी। कणाताल में कैंपिंग, बोनफायर और स्टार गेज़िंग का अनुभव अविस्मरणीय होता है। सुरकंडा देवी का मंदिर एक कठिन चढ़ाई के बाद आता है, लेकिन ऊपर पहुंचने के बाद जो नज़ारा मिलता है, वो हर थकान को मिटा देता है।
काकभुशुंडी ताल: रामायणकालीन रहस्य
बेसिक ट्रैकिंग में रुचि रखने वालों के लिए काकभुशुंडी ताल एक अनसुनी, अनजानी और आध्यात्मिक जगह है। यह ताल झील रामायण से जुड़ी है और कहा जाता है कि यहीं पर काकभुशुंडी ने भगवान राम के बारे में गरुड़ को ज्ञान दिया था। चमोली जिले में स्थित यह झील बेहद कठिन ट्रैक के बाद मिलती है, लेकिन यहां का वातावरण और ऊर्जा कुछ अलग ही स्तर की होती है। ये जगह धार्मिक भी है और रोमांचकारी भी।
इन छुपे रत्नों की ओर क्यों बढ़ें कदम
उत्तराखंड के ये अनछुए इलाके ना केवल भीड़-भाड़ से दूर हैं, बल्कि आपको एक नया दृष्टिकोण भी देते हैं—पर्यटन का, प्रकृति के साथ जुड़ाव का और अपने भीतर झांकने का। जब आप इन जगहों पर जाते हैं, तो वहां की हवा, वहां की मिट्टी, वहां के लोग—सब आपको कुछ नया सिखाते हैं। ये वो जगहें हैं जो कैमरे से ज़्यादा दिल और दिमाग में बसती हैं। उत्तराखंड के असली गहनों की तलाश केवल उन लोगों को पूरी मिलती है जो आम रास्तों से हटकर चलने का साहस रखते हैं। अगर आप अगली बार उत्तराखंड जाएं, तो इन जगहों को अपनी सूची में ज़रूर जोड़िए—क्योंकि असली जन्नत वहां छिपी है, जहां नज़रे नहीं जातीं लेकिन दिल खो जाता है।
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