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शुरू पाकिस्तान की बर्बादी: भारत ने उधेड़ी इनकी 'चाइनीज शील्ड', क्यों हुआ HQ-9 अपने मिशन में विफल... एक गहन विश्लेषण
Pakistani Chinese Shield HQ-9: इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलता न केवल इन ठिकानों का विनाश था, बल्कि यह भी साबित करना था कि पाकिस्तान का अत्याधुनिक समझा जाने वाला एयर डिफेंस सिस्टम, HQ-9, इस भारतीय हमले के सामने पूरी तरह फेल हो गया।
India Pakistan War Operation Sindoor Pakistani Chinese Shield HQ 9 Information
India Pakistan War: भारत का सर्जिकल वार ऑपरेशन सिंदूर महज़ एक कार्रवाई नहीं, आतंक के खिलाफ भारत का निर्णायक प्रहार था। लेकिन इस हमले ने एक और सच उजागर कर दिया पाकिस्तान की रक्षा कवच, चीनी HQ-9 मिसाइल सिस्टम की असलियत। भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिया गया 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंक के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई थी। यह एक बेहद सटीक और योजनाबद्ध सैन्य ऑपरेशन था जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को रातों-रात ध्वस्त कर दिया गया। इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी सफलता न केवल इन ठिकानों का विनाश था, बल्कि यह भी साबित करना था कि पाकिस्तान का अत्याधुनिक समझा जाने वाला एयर डिफेंस सिस्टम, HQ-9, इस भारतीय हमले के सामने पूरी तरह फेल हो गया।
HQ-9 मिसाइल सिस्टम: परिचय
HQ-9 (HongQi-9 या Red Banner-9) एक लॉन्ग-रेंज सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जिसे चीन ने विकसित किया है। इसका विकास चीन की प्रमुख रक्षा कंपनी China Precision Machinery Import-Export Corporation (CPMIEC) और चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन (CASIC) द्वारा किया गया।
इस सिस्टम को पहली बार सार्वजनिक रूप से 2009 में परेड में प्रदर्शित किया गया था। यह सिस्टम चीन के राष्ट्रीय रक्षा ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और इसे रूस के S-300 और अमेरिका के Patriot सिस्टम के समकक्ष के तौर पर पेश किया जाता रहा है।
HQ-9 की विशेषताएं
रेंज: 100 से 200 किमी तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम
उड़ान ऊंचाई - 50 मीटर से लेकर 30 किलोमीटर तक
रडार सिस्टम - Type 305A मल्टी-फंक्शन फेज्ड ऐरे रडार
ट्रैकिंग क्षमता - एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक करने की क्षमता
लॉन्च प्लेटफॉर्म - मोबाइल ट्रक-माउंटेड लॉन्चर्स
गाइडेंस सिस्टम - Command Guidance और Active Radar Homing का संयोजन
HQ-9 कैसे काम करता है?
HQ-9 मिसाइल सिस्टम का कार्य तीन मुख्य चरणों में होता है:
1. डिटेक्शन और ट्रैकिंग
ग्राउंड-बेस्ड फेज्ड ऐरे रडार दुश्मन की मिसाइल या एयरक्राफ्ट को पहचानता है।
2. टारगेट इंटरसेप्शन
सिस्टम तत्काल खतरे का आकलन करता है और लक्ष्य को इंटरसेप्ट करने के लिए निर्देशित करता है।
3. मिसाइल लॉन्च और इंटरसेप्शन
लक्ष्य पर मिसाइल दागी जाती है, जो हवा में जाकर उसे नष्ट कर देती है।
पाकिस्तान में HQ-9 की तैनाती
पाकिस्तान ने चीन से भारी निवेश के साथ HQ-9 सिस्टम हासिल किया था। कई रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान ने लगभग 500 मिलियन से अधिक डॉलर इस सिस्टम की खरीद पर खर्च किए। इसका उद्देश्य भारत की मिसाइल और एयरफोर्स की शक्ति के विरुद्ध एक 'कवच' खड़ा करना था। इसे इस्लामाबाद, कराची और कई संवेदनशील सैन्य ठिकानों पर तैनात किया गया था।
ऑपरेशन सिंदूर में HQ-9 की असफलता
ऑपरेशन सिंदूर ने HQ-9 की क्षमता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। भारत द्वारा दागी गई मिसाइलों और ड्रोन हमलों में से एक भी HQ-9 सिस्टम न तो पहचान सका, न ही इंटरसेप्ट कर सका। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने इन हमलों में स्टील्थ टेक्नोलॉजी, लो-एलीट्यूड रूटिंग, और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग जैसी रणनीतियों का इस्तेमाल किया, जिससे HQ-9 पूरी तरह चकमा खा गया।
क्यों फेल हुआ HQ-9?
1. इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर - भारत के इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम ने HQ-9 के रडार सिग्नल को बाधित किया।
2. स्टील्थ टेक्नोलॉजी - भारतीय मिसाइलें और ड्रोन रडार से बचने के लिए डिज़ाइन किए गए थे।
3. लो-फ्लाइट प्रोफाइल - मिसाइलें बेहद कम ऊंचाई पर उड़ रही थीं, जिससे HQ-9 के रडार उन्हें ट्रैक नहीं कर सके।
4. टेक्नोलॉजिकल ओवरहाइप - HQ-9 की वास्तविक क्षमता उसके प्रचार से बहुत कम निकली।
भारत की सैन्य रणनीति की सफलता
भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन में जो रणनीति अपनाई, वह आधुनिक युद्ध की श्रेष्ठतम मिसाल है पहली सटीक खुफिया जानकारी, मल्टी-डोमेन समन्वय (एयर, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक), लो विजिबिलिटी स्ट्राइक।
वैश्विक दृष्टिकोण और चीन की छवि पर असर
इस ऑपरेशन के बाद चीन द्वारा निर्यात किए गए हथियारों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं। HQ-9 को अब कई विशेषज्ञ 'सस्ते दिखावे' का नाम देने लगे हैं। भारत ने न केवल एक सैन्य विजय हासिल की, बल्कि चीन और पाकिस्तान के सामरिक गठबंधन को भी रणनीतिक रूप से कमजोर किया।ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की कूटनीतिक, सामरिक और तकनीकी श्रेष्ठता का परिचायक है। पाकिस्तान की 'चाइनीज शील्ड' यानी HQ-9 सिस्टम की असलियत दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है। अब वक्त है कि पाकिस्तान को समझ में आए कि रक्षा केवल विदेशी हथियार खरीदने से नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर रणनीति से संभव होती है।
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