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इंसान बने हैवान! लाशों के सूप पीने वाले 'राक्षस' से लेकर बच्चों के टुकड़े करने वाले दरिंदों तक, भारत के वो खूंखार Psycho Killers जिनकी दरिंदगी जान कांप जाएगी रूह
Indian Top Psycho Killers: भारत के वो खूंखार साइको किलर्स जिनकी हैवानियत सुनकर रूह कांप जाएगी! लाशों के सूप पीने वाले 'राक्षस' से बच्चों के टुकड़े करने वाले दरिंदों तक, पढ़ें समाज में छिपे इन शैतानों का काला सच।
India Top Psycho Killers
India Top Psycho Killers: कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे हम एक सुरक्षित समाज में रह रहे हैं, जहाँ कानून-व्यवस्था मजबूत है, लोग सभ्य हैं और अपराध का डर दूर-दूर तक नहीं। लेकिन तभी अचानक ऐसा कुछ सामने आता है जो हमारी इस सोच की जड़ें हिला देता है। एक कहानी, एक चेहरा, एक अपराध ऐसा जो इंसान को जानवर नहीं, बल्कि राक्षस बना देता है। ये सिर्फ हत्याएँ नहीं होतीं, ये उस अंधेरे का चेहरा होती हैं जिसे देखने की आदत हमारी नहीं है। भारत की अपराध की फाइलों में कुछ पन्ने ऐसे भी हैं जो खून से सने हैं, दर्द से भरे हैं और दरिंदगी से लिपटे हैं। ये कहानियाँ उन साइको किलर्स की हैं जो समाज के बीच छिपे राक्षस थे। जिनकी शक्ल आम थी, लेकिन सोच इतनी बीमार कि उन्होंने हत्याओं को अपनी आदत बना लिया। ये वो नाम हैं, जो आज भी लोगों के ज़हन में सिहरन पैदा कर देते हैं।
राजा कोलंदर: नरभक्षी सीरियल किलर
उत्तर प्रदेश का यह नाम आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है। राजा कोलंदर का जुर्म आम हत्या नहीं था, वह हत्या को एक अनुष्ठान समझता था। उसने 15 से ज़्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा, जिनमें से कुछ के मस्तिष्क निकालकर वह "सूप" बनाकर पीता था। वो खोपड़ियाँ जमा करता था, मानो वो कोई ट्रॉफी हों। कोलंदर को यह विश्वास था कि अपने दुश्मनों के दिमाग का सूप पीने से उसे शक्ति मिलेगी और वह अपराजेय बन जाएगा। उसने अपने शिकारों को पहले अगवा किया, उन्हें अमानवीय यातनाएँ दीं और फिर मार डाला। उसके अपराधों की कहानी इतनी विकृत और भयावह थी कि पुलिस की रिपोर्ट पढ़ने के बाद अधिकारी तक सदमे में चले गए।
सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंढेर: निठारी के नरपिशाच
2006 में नोएडा के निठारी इलाके से उठी दुर्गंध ने एक ऐसे नरसंहार का पर्दाफाश किया जिसने पूरे देश की आत्मा को झकझोर दिया। बच्चों के शव के टुकड़े, बाल्टी में जमे मांस के अंश, और घर के बगल के नाले में बहती हड्डियाँ यह कोई हॉरर फिल्म नहीं, बल्कि हकीकत थी। सुरेंद्र कोली, मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर, मुख्य आरोपी निकला। कोली ने बच्चों को अगवा कर, उन्हें बलात्कार कर, उनकी हत्या की और फिर उनके अंगों को पकाया और खाया। उसने अदालत में खुलेआम कहा कि उसे किसी बात का पछतावा नहीं। वह एक "अपराध की भूख" से पीड़ित था। इस कांड ने न सिर्फ देश में कैनिबलिज़्म (नरभक्षण) की चर्चा छेड़ी, बल्कि हमारे समाज में छिपे अंधेरे की परतें भी खोलीं।
मोहन कुमार: ‘साइबर’ किलर और आत्महत्या का बहाना
कर्नाटक के इस साइको किलर की कहानी फिल्मी लगती है लेकिन हकीकत और भी भयावह है। 2005 से 2009 के बीच उसने 20 से ज़्यादा महिलाओं की हत्या की। हर बार उसने उन्हें शादी का झांसा दिया, और फिर ‘गर्भपात की दवा’ के नाम पर उन्हें साइनाइड खिला दिया। वे मरती रहीं, और वह उनके गहने बेचकर आगे बढ़ता रहा। सबसे डरावनी बात यह थी कि वह खुद को भगवान का भेजा हुआ समझता था औरतों को "पाप से मुक्ति" दिलाने वाला। उसके मुताबिक, वो उन्हें "पुनर्जन्म" दे रहा था। पुलिस ने जब उसके घर की तलाशी ली, तो वहां महिला कपड़ों का ढेर, गहनों की अलमारी और नामों की लिस्ट मिलीमानो वह कोई पंडित हो जो नरसंहार का कर्मकांड कर रहा हो।
डॉ. संतोष पोल: पुणे का 'डेथ डॉक्टर'
डॉक्टर का नाम सुनते ही मन में भरोसा जगता है, लेकिन पुणे का संतोष पोल इस भरोसे पर कलंक था। दांतों के इलाज के बहाने वह अपने मरीजों को बेहोश करता, उन्हें मारता और फिर शवों को कुएं में फेंक देता। उसने कबूला कि उसने 6 लोगों की हत्या की है, जिनमें से ज़्यादातर महिलाएं थीं। डॉक्टर पोल का अपराध कोई पैसों के लिए नहीं था, बल्कि उसे "किसी की सांस बंद होते देखने" में आनंद आता था। जब पुलिस ने उससे पूछा कि उसे कैसा लगता था, उसने कहा, “मैं खुदा जैसा महसूस करता था।” ऐसा बयान एक डॉक्टर के मुंह से आना ही इस बात की गवाही देता है कि कैसे मानसिक विकृति समाज के सबसे शिक्षित वर्गों को भी निगल सकती है।
जयनंदन: बिहार का 'साइको' रेपिस्ट किलर
बिहार के बेगूसराय से निकला यह साइको किलर नाबालिग बच्चियों का कातिल था। वह लड़कियों को अगवा करता, उनका बलात्कार करता और फिर उन्हें बेरहमी से मार डालता। उसे 30 से ज़्यादा मामलों में आरोपी बनाया गया। जेल में बंद होने के बावजूद वह दो बार फरार हो गया और फिर से हत्याएँ कीं। उसकी बेरहमी इतनी थी कि वह मासूमों के शरीर को काट-काटकर टुकड़े करता और फिर उन्हें नदी या नालों में बहा देता। जेल में वह खुद को "राजा" मानता था और यहां तक कि उसने जेलर को भी धमकाया था कि "मैं फिर से भाग जाऊंगा, और फिर मारूंगा।"
‘सीरियल स्ट्रैंग्लर’: दिल्ली का गला घोंटने वाला सनकी
2018 में दिल्ली की सड़कों पर एक के बाद एक 4 भिखारियों की हत्या हुई। सभी की मौत गला घोंटने से हुई थी, और किसी की जेब से एक रुपया तक नहीं लिया गया था। पुलिस हैरान थी कि हत्या का मकसद क्या था। तब सामने आया 38 वर्षीय चंद्रकांत जाधव, जो खुद भिखारी था लेकिन हर रात अपने जैसे किसी को मारता। उसका कहना था, "जब मैं दूसरों की सांस रोकता हूँ, तो मेरी बेचैनी भी रुक जाती है।" उसकी इस सनक ने कई बेघर लोगों की जान ले ली। वह अकेले चलता, गला घोंटता और फिर अगली रात अगला शिकार खोजता।
भारत में साइको किलर्स: एक समाजिक खतरे की घंटी
भारत जैसे देश में जहाँ मानसिक स्वास्थ्य को आज भी नजरअंदाज किया जाता है, वहाँ साइको किलर्स की बढ़ती घटनाएं यह दिखाती हैं कि सिर्फ कानून ही काफी नहीं। ऐसे अपराधी किसी एक जाति, धर्म या वर्ग से नहीं आते। वे कहीं से भी हो सकते हैं—एक डॉक्टर, एक ऑटोवाला, एक टीचर, या एक आम आदमी। मनोचिकित्सक कहते हैं कि यह सब बचपन से शुरू होता है उत्पीड़न, अकेलापन, हिंसा, उपेक्षा और मनोविकार। जब इन्हें समय रहते न समझा जाए और न सुधारा जाए, तो यही बीज आगे चलकर दरिंदगी के फल बनते हैं। भारत में अब यह ज़रूरी हो गया है कि स्कूली शिक्षा में मानसिक स्वास्थ्य को अनिवार्य विषय बनाया जाए, ताकि हम ऐसे ‘मानव बमों’ को समय रहते पहचान सकें।
वो आज नहीं, पर डर अब भी ज़िंदा है
इन सभी कातिलों की कहानियाँ एक बात कहती हैं इंसान के भीतर छिपे अंधेरे को हम जितना अनदेखा करते हैं, वो उतना ही खतरनाक बनता जाता है। ये साइको किलर्स तो पकड़े गए, लेकिन वो हज़ारों मानसिक रूप से बीमार लोग जो किसी वजह से अब तक शांत हैं अगर कभी वो फट पड़े, तो क्या होगा? इसलिए, कानून के साथ-साथ हमें समाज, परिवार और शिक्षा को भी ज़िम्मेदारी देनी होगी कि वो समय रहते चेत जाएँ। क्योंकि साइको किलर सिर्फ खून नहीं बहाता, वो भरोसे, इंसानियत और समाज की आत्मा की हत्या करता है।
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