लिसियंथस टेक की प्रेरक शक्ति: खुशहाल कौशिक का भारत के डिजिटल भविष्य को सुरक्षित बनाने का मिशन

कौशिक की महत्वाकांक्षाएँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विज़न से मेल खाती हैं।

Newstrack Desk
Published on: 31 Aug 2025 8:56 PM IST
Khushhal Kaushik
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गुरुग्राम, भारत – 2025: आज के दौर में जब डिजिटल परिवर्तन अर्थव्यवस्थाओं को शक्ति दे रहा है और साइबर खतरों का साया गहराता जा रहा है, ऐसे समय में लिसियंथस टेक के संस्थापक और सीईओ खुशहाल कौशिक भारत को एक सुरक्षित डिजिटल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं। गुरुग्राम स्थित यह साइबर सुरक्षा कंपनी अब नवाचार का स्तंभ बन चुकी है, जिसकी दिशा और ऊर्जा का केंद्र कौशिक का दृष्टिकोण, उनका साहस और भारत की वैश्विक साइबर सुरक्षा स्थिति को ऊँचाइयों तक ले जाने का उनका अडिग संकल्प है।

राष्ट्रीय गर्व में जड़ें जमाई हुई दृष्टि

कौशिक की यात्रा एक साहसी निर्णय से शुरू हुई—उन्होंने शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान से स्नातक होने के बाद आकर्षक कॉर्पोरेट नौकरियों को ठुकराकर लिसियंथस टेक की नींव रखी। उनका मिशन साफ़ था—भारत की छवि को एक साइबर सुरक्षा कमजोरी से बदलकर एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना। हाल ही में एक उद्योग कार्यक्रम में उन्होंने कहा—

“साइबर सुरक्षा, डिजिटल इंडिया की रीढ़ है। हम पीछे रहने का जोखिम बिल्कुल नहीं उठा सकते।”

उनकी कंपनी सुरक्षा ऑडिट, आकलन और एथिकल हैकिंग ट्रेनिंग जैसे विशेष सेवाएँ प्रदान करती है, जिससे संगठन बदलते खतरों से आगे बने रह सकें।

लेकिन कौशिक का दृष्टिकोण केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं है। वे चाहते हैं कि साइबर सुरक्षा शिक्षा को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और सार्वजनिक-निजी साझेदारियों को बढ़ावा मिले, ताकि एक आत्मनिर्भर डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो सके।

11 जून 2024 को उन्होंने “साइबर सुरक्षित भारत” कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें भारत के G20 शेरपा अमिताभ कांत और मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय शामिल हुए। साइबर सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम ने उन्नत स्थायी खतरों (APTs) और वैश्विक सहयोग की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित किया।

वैश्विक पहचान, स्थानीय प्रभाव

कौशिक का प्रभाव सीमाओं से परे है। वर्ष 2018 में वे यूनेस्को की वार्षिक पत्रिका में शामिल होने वाले पहले भारतीय साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ बने और 2021 में उनका दूसरा शोधपत्र भी प्रकाशित हुआ। उन्होंने इन प्रकाशनों में अपनी भारतीय पहचान का उल्लेख विशेष रूप से कराया, ताकि दुनिया भारत की क्षमता को पहचान सके।

“मैं चाहता था कि पूरी दुनिया जाने कि भारत साइबर सुरक्षा में एक बड़ी शक्ति है।”

उनकी विशेषज्ञता के कारण उन्हें नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और पंजाब यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में व्याख्यान देने के निमंत्रण मिले। साथ ही, उन्हें इज़राइल की नेशनल इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख समेत वैश्विक नेताओं से भी सम्मान मिला।

भारत में भी उनकी कंपनी ने ठोस योगदान दिया है। मध्य प्रदेश के सरदारपुर में एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश का ईमेल हैकिंग मामला उन्होंने केवल 30 मिनट में सुलझाया, जिससे स्थानीय प्रशासन ने उनकी सराहना की। एक अन्य मामले में, नाइजीरिया आधारित हैकर को मात्र 48 घंटे में पकड़कर उन्होंने दिल्ली पुलिस को भी प्रभावित किया। इसके अलावा, भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने से जमीनी स्तर पर साइबर सुरक्षा मजबूत हुई है।

चुनौतियों से जूझती दृढ़ता

जितना महत्वपूर्ण उनका दृष्टिकोण है, उतनी ही अहम उनकी दृढ़ता भी है। ऐसे क्षेत्र में काम करते हुए जहां हर दिन नए साइबर खतरे जन्म लेते हैं, वे एआई आधारित थ्रेट डिटेक्शन और व्यापक घटना प्रतिक्रिया योजनाओं जैसी सक्रिय रणनीतियों पर ज़ोर देते हैं। उनका कहना है—

“हमें केवल प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, बल्कि खतरों का अनुमान पहले से लगाना चाहिए।”

इसी सोच ने लिसियंथस टेक को सरकारी निकायों, कॉर्पोरेट्स और निजी संस्थानों के लिए एक विश्वसनीय साझेदार बना दिया है।

उनकी व्यक्तिगत यात्रा भी प्रेरणादायक है। उन्होंने आकर्षक ऑफ़र ठुकराकर एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में स्टार्टअप खड़ा किया। BRICS CCI के साइबर सुरक्षा सलाहकार और साइबर सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति, चुनौतियों को अवसरों में बदलने की उनकी क्षमता का प्रमाण है।

साल 2020 में उन्हें इंडियन अचीवर्स फोरम द्वारा ग्लोरी ऑफ इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिसमें किरण बेदी जैसी हस्तियाँ भी शामिल थीं। इससे उनका नाम और भी मज़बूती से स्थापित हुआ।

आगे की राह

कौशिक की महत्वाकांक्षाएँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया विज़न से मेल खाती हैं। वे एआई संचालित खतरा पहचान और नीति नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक सेंट्रल साइबर सिक्योरिटी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।

वे कहते हैं— “भारत की डिजिटल वृद्धि अभूतपूर्व है। आज 84 करोड़ लोग ऑनलाइन हैं और 2026 तक यह संख्या 1.35 अरब तक पहुँच जाएगी।”

यह विचार उन्होंने साइबर शिक्षित भारत कार्यक्रम में अमिताभ कांत के कथन को दोहराते हुए रखा।

कौशिक देशी विशेषज्ञता को बढ़ावा देने और कड़े डेटा प्राइवेसी कानूनों की वकालत कर रहे हैं, ताकि यह विकास सुरक्षित रह सके।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे लिसियंथस टेक नवाचार करती जा रही है, कौशिक इसकी प्रेरक शक्ति बने हुए हैं। उनकी रणनीतिक दूरदर्शिता, वैश्विक प्रभाव और अडिग संकल्प न केवल प्रणालियों को सुरक्षित बना रहे हैं, बल्कि पूरे राष्ट्र को साइबर सुरक्षा को सामूहिक ज़िम्मेदारी के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

खुशहाल कौशिक के नेतृत्व में भारत का डिजिटल भविष्य न केवल आशाजनक है, बल्कि अभेद्य भी प्रतीत होता है।

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