Chandauli News: टावर तो हैं, नेटवर्क नहीं: नौगढ़ में डिजिटल इंडिया हवा में, सिग्नल खोजते लोग

Chandauli News: नौगढ़ में BSNL, Jio और Airtel जैसी दिग्गज टेलिकॉम कंपनियों के टावर वर्षों से मौजूद हैं, लेकिन इनका काम सिर्फ दृश्य भर देना है।

Sunil Kumar
Published on: 31 July 2025 9:43 AM IST
Chandauli News: टावर तो हैं, नेटवर्क नहीं: नौगढ़ में डिजिटल इंडिया हवा में, सिग्नल खोजते लोग
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Chandauli mobile signal issue

Chandauli News: "डिजिटल इंडिया" का सपना जब धरातल पर आकर दम तोड़ दे, तो सवाल सिर्फ टेक्नोलॉजी का नहीं, नीयत और नीति दोनों का उठता है। चंदौली जिले के अति पिछड़े और वनवासी क्षेत्र नौगढ़ में मोबाइल टावर तो खड़े हैं, लेकिन नेटवर्क के नाम पर केवल उम्मीदें लहराती हैं। आम नागरिक से लेकर सरकारी महकमे तक, सभी इंटरनेट और सिग्नल की खोज में भटकते नजर आते हैं।

टावर हैं, पर नेटवर्क नहीं

नौगढ़ में BSNL, Jio और Airtel जैसी दिग्गज टेलिकॉम कंपनियों के टावर वर्षों से मौजूद हैं, लेकिन इनका काम सिर्फ दृश्य भर देना है। "टावर दिखता है पर नेटवर्क नहीं आता", यहां के लोगों की आम शिकायत बन गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां मोबाइल सिग्नल तो छोड़िए, कॉल करना भी एक जंग से कम नहीं।

ऑनलाइन व्यवस्था ठप, आम जन परेशान

शासन की हर योजना आज ऑनलाइन आधारित है—चाहे राशन कार्ड का सत्यापन हो, बैंकिंग सेवाएं या फिर विद्यालयों में ई-सिग्नेचर और रिपोर्टिंग। लेकिन यहां की डिजिटल असुविधा लोगों के लिए किसी टेक्नोलॉजिकल त्रासदी से कम नहीं। शिक्षक हों या सचिव, सभी को या तो समय से कार्य नहीं मिल पा रहा या उन्हें 20-30 किलोमीटर दूर जाकर नेटवर्क पकड़ना पड़ता है।

BSNL: सरकारी नाम, सुनवाई नहीं

बीएसएनएल, जो कभी ग्रामीण भारत की संचार रीढ़ मानी जाती थी, आज हंसी का पात्र बन गई है। लोग कहते हैं—“बीएसएनएल का मतलब है: भाई साहब नहीं लगेगा।” वहीं, प्राइवेट कंपनियों का हाल भी कम नहीं। जिओ और एयरटेल जैसी कंपनियाँ एक ओर तो रिचार्ज दरें लगातार बढ़ा रही हैं, दूसरी ओर नेटवर्क सेवा में शून्यता का एहसास करवा रही हैं।

लूट और लापरवाही पर अंकुश की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि यदि एक दिन नेटवर्क फेल हो तो कम से कम उतने घंटे का डाटा मुफ्त मिलना चाहिए या सेवा बढ़ाई जानी चाहिए। इसके अलावा कंपनियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई और विनियमन की निगरानी की मांग जोर पकड़ रही है।

प्रशासन की चुप्पी, जनता की बेबसी

स्थानीय नागरिकों ने अपील की है कि आखिर इस मामले में जनप्रतिनिधि और जिलाधिकारी कब संज्ञान लेंगे। सवाल यह है कि जब हर योजना ऑनलाइन है, तो क्या यह क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता से बाहर है?

विकास के हाइवे पर नौगढ़ की बैलगाड़ी

जब देश चंद्रयान भेज रहा है,तब नौगढ़ के लोग नेटवर्क के सिग्नल के लिए मोबाइल को खिड़की,छत,पेड़ और पहाड़ों पर चढ़ा रहे हैं।यह दृश्य आधुनिक भारत के विकास मॉडल पर एक करारी टिप्पणी है।अब समय है कि जिम्मेदार लोग कुर्सी से उठें और कनेक्टिविटी की इस अंधेरी गली में रोशनी लाएं।क्योंकि नेटवर्क नहीं,तो डिजिटल इंडिया भी नहीं।

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