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Lucknow News: छज्जा गिरा... जान चली गई! लखनऊ में बारिश बनी कहर, रवि की मौत ने उठाए बड़े सवाल – जिम्मेदार कौन?
Lucknow Cyber Tower Incident: लखनऊ के गोमती नगर में तेज बारिश के दौरान साइबर टावर की जर्जर छज्जा गिरने से रवि कुमार वर्मा की दर्दनाक मौत हो गई।
Lucknow Cyber Tower Incident: आज लखनऊ में शाम के समय जहां मौसम का मिजाज बदला और तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश हुई और लखनऊ वासियों ने गर्मी से राहत की सांस ली, ठीक उसी वक्त एक दर्दनाक हादसा भी घटा जिसने पूरे शहर को हिला दिया। तेज हवाओं और झमाझम बारिश के बीच लखनऊ के गोमती नगर स्थित साइबर टावर नाम की एक बहुमंज़िला इमारत का छज्जा अचानक भरभराकर गिर पड़ा। इस हादसे में एक शख्स की मौके पर ही मौत हो गई। जिस वक्त यह छज्जा गिरा उसी समय नीचे खड़े थे रवि कुमार वर्मा जो किसी काम से इमारत के भीतर जा रहे थे। एक झटके में ऊपर से गिरा चज्जा सीधे उनके ऊपर आ गिरा। सिर में गंभीर चोट लगने से रवि वहीं ज़मीन पर गिर पड़े और कुछ ही पलों में उनकी सांसें थम गईं।
परिवार की चीखें और अस्पताल की चुप्पी
हादसे के कुछ मिनट बाद ही मौके पर रवि के परिजन पहुंचे। उन्हें पास ही के लोहिया अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने रवि को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में जैसे ही मौत की पुष्टि हुई परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। रवि के एक करीबी दोस्त जो हादसे के समय पास ही मौजूद थे ने बताया कि “जिस छज्जा से हादसा हुआ वो पूरी तरह जर्जर था। ऊपर से देखने में ठीक लगता था लेकिन अंदर से वो पूरी तरह जंग खा चुका था। उसे सिर्फ कुछ पुराने नट-बोल्ट्स के भरोसे टिकाया गया था। ये तो होना ही था।”
चेतावनी कब दी जाएगी? मौत के बाद?
अब सवाल उठता है, क्या इस इमारत के मालिकों को इस खतरे की जानकारी नहीं थी? और अगर थी तो उन्होंने समय रहते मरम्मत क्यों नहीं कराई? क्या उन्हें एक व्यक्ति की जान जाने का इंतज़ार था? लखनऊ जैसे शहर में जहां मॉनसून के दौरान तेज हवाएं और बारिश आम बात है वहां पुराने और जर्जर भवनों का खास ख्याल रखना जरूरी है। लेकिन अफसोस की बात ये है कि यहां लापरवाही मौत बनकर लोगों पर गिर रही है।
जिला प्रशासन की चुप्पी पर उठते सवाल
हादसे के बाद भी न तो जिला प्रशासन की ओर से कोई त्वरित प्रतिक्रिया आई और न ही इमारत के मालिक की ओर से। लखनऊ में बीते कुछ महीनों में चज्जा या बालकनी गिरने की कई घटनाएं सामने आई हैं लेकिन हर बार प्रशासन बस खानापूरी कर निकल जाता है। क्या अब प्रशासन इंतज़ार करेगा कि अगली बार किसी स्कूली बच्चे या किसी बुज़ुर्ग पर ऐसा कोई हादसा हो? क्या किसी जान की कीमत अब सिर्फ एक प्रेस नोट या एक “जांच के आदेश” तक सीमित रह गई है?
गलती किसकी थी, प्रशासन या मालिक की?
अगर देखा जाए तो इस मौत की जिम्मेदारी सिर्फ एक पर नहीं डाली जा सकती। एक तरफ बिल्डिंग मालिकों की लापरवाही है जिन्होंने इमारत की स्थिति को नजरअंदाज किया वहीं दूसरी ओर प्रशासन की भी गलती है जो समय रहते ऐसे भवनों की जांच नहीं करता। बिल्डिंगों के बाहरी हिस्से खासकर चज्जों ,खिड़कियों और बालकनियों की मरम्मत और मजबूती की निगरानी करने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। पर सवाल यह है कि जब लखनऊ जैसे शहर में हर बारिश के बाद ऐसे हादसे हो रहे हैं तो फिर प्रशासन किस नींद में है?
अब और कितनी जानें जाएंगी?
रवि कुमार वर्मा की मौत कोई पहली नहीं है। हर साल मॉनसून के आते ही पुराने इमारतों से गिरे चज्जे दीवारें और खंभे लोगों की जान लेते हैं। लेकिन प्रशासन और भवन मालिक दोनों की आंखें तब ही खुलती हैं जब कोई हादसा हो जाता है। अब वक्त आ गया है कि लखनऊ का जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारी समझे और शहरभर में पुराने और जर्जर भवनों की तत्काल जांच शुरू कराए। साथ ही सभी भवन मालिकों को सख्त चेतावनी दी जाए कि वे समय रहते अपने भवनों की मरम्मत कराएं नहीं तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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