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Lucknow News: चौंकाने वाली हकीकत! लखनऊ की सीवर लाइन में छिपा 'गैस बम', कर्मचारियों को बचा रही ये हाईटेक तकनीक, सरकार और जनता दोनों हैरान
Lucknow News: लखनऊ की सड़कों के नीचे एक ऐसी खामोशी है, जो हर पल विस्फोट का खतरा अपने भीतर समेटे हुए है। सीवर की गहराइयों में उतरते सफाईकर्मी हर दिन मौत के मुंह में जाते हैं लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
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Lucknow News: लखनऊ की सड़कों के नीचे एक ऐसी खामोशी है, जो हर पल विस्फोट का खतरा अपने भीतर समेटे हुए है। सीवर की गहराइयों में उतरते सफाईकर्मी हर दिन मौत के मुंह में जाते हैं लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। अमृत योजना के तहत शहर में जो कुछ हो रहा है, वो न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि भारत में सीवर सिस्टम की विकास गाथा भी बन सकता है।
केकेस्पन इंडिया लिमिटेड – नाम तो सुना होगा?
जी हां, वही कंपनी जो लखनऊ के सीवर सिस्टम को सुधारने का जिम्मा उठाए बैठी है। लेकिन ये कोई सामान्य सफाई का काम नहीं, यहां तो हाईटेक सेंसर और जहरीली गैसों की पहचान करने वाली मशीनों से लेकर, कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए फुल-प्रूफ कवच तक, सबकुछ ऐसा है जैसे किसी हॉलीवुड की साइंस-फिक्शन फिल्म में होता है।
गैस मास्क, बॉडी सूट और वो भी ट्रेनिंग के साथ
केकेस्पन इंडिया लिमिटेड का दावा है – हमारे सफाईकर्मी अब सिर्फ काम नहीं करते, वो 'सुरक्षा कवच पहनकर सीवर योद्धा' बन चुके हैं। उन्हें दिए जाते हैं गैस मास्क, दस्ताने, जलरोधक बूट, सिर की सुरक्षा के लिए हेलमेट, और पूरे शरीर को ढंकने वाले सुरक्षात्मक सूट। इन उपकरणों के बिना कोई भी कर्मचारी सीवर में कदम नहीं रखता।
ज़हर की पहचान अब मशीन से
लखनऊ में पहली बार ऐसे सेंसर सिस्टम्स का उपयोग किया जा रहा है जो सीवर में मौजूद जहरीली गैसों – जैसे मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड, और अमोनिया की पहचान पल भर में कर लेते हैं। अगर गैस का स्तर खतरे के निशान से ऊपर जाता है, तो अलार्म बज उठता है और कर्मचारी तुरंत बाहर आ जाते हैं। ये तकनीक किसी जान बचाने वाली साइलेंट हीरो से कम नहीं।
मंगलवार को हुई खास ट्रेनिंग- कर्मचारी बोले अब डर नहीं लगता
हाल ही में मंगलवार को केकेस्पन ने अपने कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया। उन्हें बताया गया कि कैसे इन उपकरणों का सही उपयोग किया जाए, और अगर आपात स्थिति आए तो किस तरह तुरंत बाहर निकला जाए। एक कर्मचारी ने कहा – पहले हम बिना कुछ पहने सीवर में उतरते थे, डर लगता था। अब तो पूरी तैयारी होती है। हम जानते हैं कि हमें क्या करना है और कब रुकना है।
सिर्फ सफाई नहीं, मिशन है ये
कंपनी का कहना है कि उनका मिशन सिर्फ सीवर की गंदगी साफ करना नहीं, बल्कि सफाईकर्मियों की जिंदगी को भी सुरक्षित बनाना है। और यही वजह है कि कंपनी ने ‘जीरो एक्सीडेंट पॉलिसी’ लागू की है – यानी लक्ष्य है कि न कोई हादसा हो, न कोई बीमारी।
क्या बाकी शहरों को इससे सबक लेना चाहिए?
लखनऊ मॉडल को अब देश भर में चर्चा मिल रही है। सवाल उठ रहे हैं – जब लखनऊ में सफाईकर्मियों के लिए इतना कुछ किया जा सकता है, तो बाकी राज्यों में क्यों नहीं? क्या हर सफाईकर्मी को ऐसे 'डिजिटल कवच' से नहीं लैस किया जाना चाहिए? क्या हर नगर निगम को अब इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाने चाहिए?
सीवर सफाई अब ‘जोखिम’ नहीं, ‘सम्मानजनक पेशा’ बन रहा है
जहां एक तरफ देश में सीवर में मौतें आम खबर बन चुकी हैं, वहीं लखनऊ में हो रही ये शांत क्रांति उम्मीद की एक नई रौशनी लेकर आई है। केकेस्पन इंडिया लिमिटेड और अमृत योजना की साझेदारी ने दिखा दिया है कि टेक्नोलॉजी और इच्छाशक्ति से किसी भी व्यवस्था को बदला जा सकता है – चाहे वो शहर की सड़कों के ऊपर हो या नीचे।
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