TRENDING TAGS :
Kalyan Banerjee resignation: महुआ बनाम कल्याण की जुबानी जंग से TMC में भूचाल! कल्याण बनर्जी ने चीफ व्हिप पद से दिया इस्तीफा
Kalyan Banerjee resignation: तृणमूल कांग्रेस में महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी की जुबानी जंग ने सियासी हलचल मचा दी है। तीखी टिप्पणियों के बाद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया।
Kalyan Banerjee resignation: जब राजनीति में बहस मुद्दों पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत हमलों और शब्दों की तलवारों पर उतर आए तो समझ लीजिए सियासी गलियों में कुछ बड़ा फटने वाला है। और ऐसा ही कुछ हुआ तृणमूल कांग्रेस के दो दिग्गजों के बीच जब ‘महुआ मोइत्रा बनाम कल्याण बनर्जी’ की लड़ाई ने एक साधारण विवाद को दलगत संकट में बदल डाला। सुअर महिला-विरोधी मानसिकता और निजी हमलों से शुरू हुई ये ज़ुबानी लड़ाई अब पार्टी की छवि पर भारी पड़ने लगी है। अंततः कल्याण बनर्जी को चीफ व्हिप की कुर्सी छोड़नी पड़ी लेकिन क्या यही अंत है या आग अब भी भीतर सुलग रही है?।
सुअर से मत लड़ो... क्योंकि उसे वो पसंद है!
राजनीति में शब्दों का चुनाव ही नेता की साख और समझ का आईना होता है। लेकिन जब महुआ मोइत्रा ने अपने पॉडकास्ट इंटरव्यू में कल्याण बनर्जी को 'सुअर' कहकर संबोधित किया तो बात सिर्फ असहमति की नहीं रही बल्कि सरेआम जलील करने जैसी बन गई। महुआ ने कहा “आप सुअर से नहीं लड़ते क्योंकि सुअर को कीचड़ पसंद है और आप गंदे हो जाते हैं।” एक महिला नेता की तरफ से इस तरह का तीखा और अपमानजनक हमला वो भी अपने ही पार्टी सहयोगी पर पूरे राजनीतिक जगत को झकझोर गया। यह बयान तब आया जब कल्याण बनर्जी ने महुआ पर निजी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने एक “65 साल के बुजुर्ग (पिनाकी मिश्रा)” से शादी कर “एक 40 साल पुराना परिवार तोड़ा है।” इस आरोप ने मामला और भी व्यक्तिगत बना दिया और पूरे विवाद को एक निचले स्तर पर ला दिया।
कल्याण बनर्जी का पलटवार, गाली तो गाली होती है
महुआ के 'सुअर' वाले बयान के बाद कल्याण बनर्जी ने चुप बैठने का रास्ता नहीं चुना। उन्होंने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा “किसी पुरुष को 'यौन कुंठित' कहना कोई बहादुरी नहीं है ये गाली है। अगर यही बात किसी महिला के लिए कही जाती तो पूरे देश में बवाल मच जाता।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा अपनी असफलताओं और विवादित रिकॉर्ड से ध्यान भटकाने के लिए “गटर स्तर की भाषा” का इस्तेमाल कर रही हैं। कल्याण का यह कहना कि वह “स्त्री अधिकारों की आड़ में अपने एजेंडे को छुपा रही हैं” एक नया विमर्श खड़ा कर गया कि क्या अब महिला नेत्रियों की आलोचना भी 'सेक्सिज्म' करार दी जाएगी?।
ममता का 'डांट वाला डेमोक्रेसी' मोड
जैसे ही यह विवाद तूल पकड़ता गया तृणमूल प्रमुख और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुद मैदान में उतरना पड़ा। सोमवार को बुलाई गई वर्चुअल मीटिंग में ममता ने सभी सांसदों को फटकार लगाई और साफ-साफ कह दिया “पार्टी नेताओं की लड़ाई अब केंद्र सरकार के खिलाफ हमारे संघर्ष को नुकसान पहुंचा रही है। आपसी झगड़े बंद करें और एकजुट हो जाएं।” ममता के इस सख्त रुख के बाद कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा “दीदी ने कहा कि समन्वय की कमी है इसलिए मैं ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देता हूं।” हालांकि ये इस्तीफा सियासी मर्यादा का प्रतीक था या एक चुपचाप किनारे किए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय बंटी हुई है।
आंतरिक दरार या विचारों की लड़ाई?
महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी का यह टकराव महज व्यक्तिगत नहीं है। यह तृणमूल कांग्रेस के भीतर उस विचारधारा की लड़ाई को भी उजागर करता है जहां एक तरफ युवा मुखर और तेज-तर्रार चेहरे हैं जो किसी भी मुद्दे पर बोलने से नहीं कतराते तो दूसरी ओर अनुभवी पारंपरिक नेता हैं जो पार्टी के अनुशासन और सीमाओं को प्राथमिकता देते हैं। महुआ मोइत्रा पहले भी कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में रह चुकी हैं चाहे वो गौतम अडानी पर हमला हो या लोकसभा में जिरह के दौरान बेलगाम शब्दों का इस्तेमाल। वहीं कल्याण बनर्जी ममता बनर्जी के सबसे पुराने सिपहसालारों में गिने जाते हैं जिनकी संगठन पर मजबूत पकड़ है।
क्या ममता अब पार्टी में सफाई अभियान चलाएंगी?
सवाल अब ये है कि क्या ममता बनर्जी इस विवाद को यहीं समाप्त मानेंगी या आने वाले दिनों में पार्टी में एक व्यापक 'आंतरिक शुद्धिकरण' अभियान छेड़ेंगी? सूत्रों की मानें तो ममता आने वाले हफ्तों में पार्टी नेताओं की आचार संहिता को लेकर सख्त दिशानिर्देश जारी कर सकती हैं। खासतौर पर सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर एक-दूसरे पर हमले करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात भी चल रही है।
जनता का नजरिया भी बदल रहा है
इस पूरे विवाद ने जनता के सामने भी एक सवाल खड़ा कर दिया है क्या विपक्ष की भूमिका निभा रही पार्टियां अब अपने ही भीतर टूट रही हैं? और अगर वो अपनी अंदरूनी समस्याएं नहीं सुलझा पा रही हैं तो क्या वो जनता की समस्याओं का समाधान करेंगी? जहां एक ओर बीजेपी ने इस विवाद पर चुटकी लेते हुए कहा कि “तृणमूल अब TMC नहीं बल्कि Tum Mere Chale Jaao पार्टी बन गई है” वहीं विपक्षी एकता की बात कर रही कांग्रेस भी खामोश नजर आई।
लड़ाई अब भी बाकी है
कल्याण बनर्जी का इस्तीफा महुआ मोइत्रा की तल्ख़ी ममता बनर्जी की फटकार ये सब महज़ शुरुआत हो सकती है। क्योंकि तृणमूल कांग्रेस जिस दौर से गुजर रही है उसमें आंतरिक स्थिरता और अनुशासन की सबसे ज्यादा ज़रूरत है। अगर पार्टी के नेता ही एक-दूसरे को ‘सुअर’ और ‘गटर पॉलिटिक्स’ कहें तो जनता कैसे भरोसा करेगी? अब सबकी निगाहें ममता बनर्जी पर टिकी हैं क्या वो इस विवाद को नियंत्रण में रख पाएंगी या फिर पार्टी में ‘आंतरिक विस्फोट’ का खतरा और बढ़ेगा? वक्त बहुत तेज़ी से जवाब मांग रहा है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!