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India को तबाह करने के लिये हो रही 'न्यूक्लियर साजिश', Pakistan के साथ ये देश मिलकर रच रहे थे षडयंत्र, खुल गई पोल
पाकिस्तान के बनने के 75 साल बाद भी आज भी वह भारत को अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखता है न्यूक्लियर क्षमता को बढ़ाने में बहुत तेजी से जुटा हुआ है और इस खेल में उसे चीन और तुर्किये जैसे भारत विरोधी देश अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं।
अमेरिका की रक्षा खुफिया एजेंसी की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में एशिया की तीन प्रमुख परमाणु शक्तियों को लेकर बेहद चौंकाने वाले खुलासे किये गये हैं। रिपोर्ट में भारत, पाकिस्तान और चीन की डिफेंस पॉलिसीज को लेकर बेहद अहम टिप्पणियां की गई हैं। इस रिपोर्ट में खासकर चीन की विस्तारवादी नीति, पाकिस्तान की एटमी तैयारियां और हिंदुस्तान के सैन्य आधुनिकीकरण को लेकर अपनी रिपोर्ट दी है
भारत को अपने अस्तित्व के लिये खतरा मानता है पाकिस्तान
पाकिस्तान के बनने के इतने साल बाद भी आज भी वह भारत को अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखता है न्यूक्लियर क्षमता को बढ़ाने में बहुत तेजी से जुटा हुआ है और इस खेल में उसे चीन और तुर्किये जैसे भारत विरोधी देश अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान विदेशी सहयोगियों की मदद से वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन से जुड़ी टेक्नॉलजी और सामानों की सप्लाई उसे चीन से हासिल हो रही हैं। इसके साथ ही कभी-कभी उसे अलावा हांगकांग, सिंगापुर, यूएई और तुर्किये जैसे देशों से टेक्नॉलजी और सामानों की सप्लाई मिलने की आशंका जताई गई है। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का माना है कि हथियार बनाने की ऐसी मंशा दक्षिण एशिया के सामरिक बैलेंस को काफी प्रभावित कर सकती है।
कितनी है पाकिस्तान की न्यूक्लियर ताकत
1998 में पहले न्यूक्लियर टेस्ट के बाद पाकिस्तान ने अपने एटॉमिक प्रोग्राम में काफी विस्तार किया है। अनुमान के पाकिस्तान के पास लगभग 160 परमाणु हथियार हैं और यह संख्या 2025 में बढ़कर 220 से 250 के बीच पहुंच सकती है। बीते कुछ सालों में पाकिस्तान समुद्र आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ा है। उसने 2017 और 2018 में सबमरीन से एटम बम से लैस हो सकने वाली क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। अगर पाकिस्तान ये टेक्नॉलजी पूरी तरकी से हासिल कर लेता है तो पाकिस्तान भी जल, थल और वायु तीनों से एटमी हमला करने में सक्षम हो जायेगा।
हालांकि, पाकिस्तान ने अब तक कोई न्यूक्लियर पॉलिसी नहीं घोषित की है। लेकिन वह मिनिमम क्रेडिबल डिटरेंस की नीति का पालन करता दिखता है। इसके साथ ही वह नो फर्स्ट यूज की नीति गैर-परमाणु देशों के संदर्भ में अपनाता है।
मोदी सरकार की अगुवाई में भारत की रक्षा नीति हुई मजबूत
रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा गया है कि पीएम मोदी की अगुवाई में भारत की डिफेंस पॉलिसी वैश्विक स्तर पर मजबूत पावर बनने और चीन की चुनौतियों का मुकाबला करने पर फोकस कर रही है। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार भारत, पाकिस्तान को एक सीमित खतरे के रूप में देखता है जिसे भारत को संभालना बहुत मुश्किल नहीं होगा। भारत केवल चीन को ही केवल चैलेंज के रूप में देखता है।
सैन्य आधुनिकीकरण हुआ तेज
पिछले कुछ सालों में भारत ने अपने सैन्य आधुनिकीकरण अभियान को काफी तत्परता से बढ़ाया है। जिसमें परमाणु सक्षम- अग्नि-I प्राइम MRBM और अग्नि-V मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल जैसी मिसाइलों का परीक्षण शामिल था। इसके साथ ही भारत ने अपनी परमाणु-संचालित सबमरीन को कमीशंड कर अपने न्यूक्लियर ट्रायड को और मजबूत किया है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को आगे बढ़ा रहा है। ताकि विदेशी हथियारों से भारत की निर्भरता घटाई जा सके और सप्लाई चेन को मजबूत किया जा सके।
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